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सचेत हो जाएं, क्या आप खेती में इस्तेमाल अंधाधुंध रसायन के साइड इफैक्ट जानते हैं - GWALIOR AWARENESS RALLY

खेती में बड़े स्तर पर रसायनों का प्रयोग हो रहा है. ऐसे अनाज से हम धीमा जहर शरीर में ले रहे हैं.

Gwalior Awareness rally
विश्व मृदा दिवस पर निकाली जागरूकता रैली (ETV BHARAT)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Dec 5, 2024, 2:07 PM IST

ग्वालियर : स्वस्थ मिट्टी यानी स्वस्थ शरीर, लेकिन वर्तमान में हमारी मिट्टी रसायनों के लगातार प्रयोग से विषाक्त होती जा रही है. ऐसे में हमें अपनी प्राकृतिक खेती को अपनाकर पौष्टिक अनाज का उत्पादन करना चाहिए. क्योंकि जिस तरह का हम अनाज खाते हैं, उसका हमारे मन पर गहरा प्रभाव पड़ता है. मौजूदा दौर में रासायनिक प्रयोग से खेती विषाक्त होती जा रही है, जिसका सीधा असर हमारे स्वास्थ्य पर पड़ रहा है. इसको लेकर लगातार अभियान चलाए जा रहे हैं, लेकिन जितनी जागरूकता आनी चाहिए, उतनी नहीं आई है. ये बातें ग्वालियर राजमाता विजयाराजे सिंधिया एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर अरविंद कुमार शुक्ला ने कही.

विश्व मृदा दिवस पर निकाली जागरूकता रैली

विश्व मृदा दिवस के मौके पर राजमाता विजयाराजे कृषि विश्वविद्यालय ने जागरूकता रैली निकाली. इस दौरान लोगों को सलाह दी गई अपनी मिट्टी को पहचानें. मिट्टी की गुणवत्ता बनाये रखने के प्रति जागरूकता लाने गुरुवार यानि 5 दिसम्बर को विश्व मृदा दिवस मनाया जा रहा है. राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय की जागरूकता रैली कॉलेज कैंपस से शुरू हुई. यह रैली शहर के अलग-अलग चौक चौराहों से होती हुई गुजरी. इसमें बड़ी संख्या में कई कॉलेजो व स्कूलों के छात्र-छात्राएं शामिल हुए. इसके अलावा रैली में झांकी प्रदर्शनी भी लगाई गई. प्रदर्शनी के जरिए लोगों को सॉइल टेस्टिंग के प्रति जागरूक किया गया.

सिंधिया एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर अरविंद कुमार शुक्ला (ETV BHARAT)

ज्यादा उत्पादन के लिए मिट्टी की क्वालिटी चौपट

उल्लेखनीय है कि विश्व मृदा दिवस 2024 की थीम 'मिट्टी की देखभाल: माप, निगरानी, प्रबंधन' रखा गया है. इसका उद्दश्य मिट्टी की विशेषताओं को समझने और खाद्य सुरक्षा के लिए स्थायी मृदा प्रबंधन है. एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर अरविंद कुमार शुक्ला का कहना है "लोग ज्यादा से ज्यादा उत्पादन के लिए मिट्टी की क्वालिटी को लगातार खराब कर रहे हैं. ऐसे में लोग प्राकृतिक खेती के प्रति जागरूक हों, मिट्टी की गुणवत्ता को बनाए रखें."

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