कोरबा: महंगाई की मार के बीच कोरबा के पीडीएस यानि की सरकारी राशन दुकानों से खाद्यान्न की सप्लाई लोगों को नहीं हो पा रही है. इससे निचले तबके के गरीबों पर दोहरी मार पड़ रही है. राशन दुकानों से बीपीएल और एपीएल राशनकार्डधारी हितग्राहियों को रियायती दरों पर सरकारी राशन प्रदान किया जाता है. बीते लंबे समय से उचित मूल्य की दुकानों से सरकारी चना गायब हो चुका है. पिछले तीन चार महीनों से राशनकार्ड धारकों को चना नहीं मिल रहा है.
कोरबा में गरीबों को नहीं मिल रहा चना: खाद्य सुरक्षा अधिनियम लागू करने वाला छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य है. यहां खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत गरीबों को सरकारी राशन दुकान से ₹1 प्रति किलो की दर से चावल प्रदान किया जाता है. यहीं से नमक, शक्कर और चना भी गरीबों को मिल जाता है. कोरबा में पिछले कुछ समय से इन्हें चना नहीं मिल रहा है. जो कि गरीबों के लिए दिक्कत की बात है.
कितने दुकानों को हुआ चने का आवंटन?: कोरबा जिले में 553 सरकारी उचित मूल्य की दुकानें संचालित हो रही हैं. 436 दुकानों में नवंबर माह का सस्ता चना नहीं पहुंचा है. अधिकारियों का कहना है कि शासन से आवंटन नहीं होने की वजह से वितरण रूक गया है. 117 दुकानों में पिछला भंडारण बचे होने की वजह से चना का वितरण 56 हजार परिवारों को किया गया है. बाकी के बचे डेढ़ लाख हितग्राही परिवार सस्ते सरकारी चने से वंचित हो गए हैं. चने के लिए दुकानों के चक्कर काट रहे हैं. बीपीएल परिवारों को सस्ता राशन उपलब्ध कराना केंद्र सरकार की महत्वपूर्ण योजना है.
आदिवासी जिला होने से शक्कर का फ्री वितरण: छत्तीसगढ़ के अन्य जिलों में राशनकार्ड धारकों को चावल और नमक ही दिया जाता है. वहीं आदिवासी जिला होने की वजह कोरबा में राज्य शासन चना और शक्कर भी प्रदान कर रही है.उचित मूल्य की दुकान से बीपीएल वर्ग के हितग्राहियों को चना 5 रुपये प्रति किलो तो शक्कर17 रुपये प्रति किलो के दर से को प्रदान किया जाता है. योजना को और प्रभावी बनाने के लिए प्रत्येक ग्राम पंचायतों में उचित मूल्य के दुकानों का संचालन किया जा रहा है.
कृषि संगठन से नहीं हो सका है अनुबंध: चना वितरण के लिए राज्य शासन की ओर से कृषि संगठन से प्रतिवर्ष अनुबंध किया जाता है. जानकारी है कि जिस संगठन ने चना वितरण का जिम्मा लिया था, अब उसका स्टॉक समाप्त हो गया है. इस वजह से गोदामों में चने का भंडारण नहीं हो सका है. पौष्टिक चना वितरण की योजना भाजपा के रमन सरकार ने शुरू की थी. तब से यह लगातार जारी है.चावल, नमक, शक्कर की तुलना में चना वितरण पर सबसे ज्यादा आर्थिक खर्चा होता है. कुछ दुकानों में चना वितरण हो चुका है. जिन दुकानों में हितग्राहियों को चना नहीं मिला है, वे संचालकों पर ही वितरण नहीं करने का आरोप लगा रहे हैं. सामग्री वितरण के अभाव में दुकानों में विवाद की स्थिति भी होती है. खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग ने दुकान संचालकों को आवंटन मिलने पर चना वितरण की सूचना चस्पा करने के निर्देश दिए हैं.