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'अहिंसा का मतलब ये नहीं कि एक गाल पर थप्पड़ मारोगे तो दूसरा बढ़ा देंगे, हम दोनों गाल पर मारेंगे', नालंदा में बोले राज्यपाल

Bodhgaya Global Dialogues In Nalanda: बिहार के नालंदा में राज्यपाल राजेंद्र आर्लेकर ने बोधगया ग्लोबल डायलॉग्स 2024 का उद्घाटन किया. इस दौरान उन्होंने अहिंसा को लेकर बात की. उन्होंने कहा कि एक गाल पर थप्पड़ मारोगे तो दूसरा नहीं बढ़ाएंगे बल्कि दोनों गाल पर थप्पड़ मारेंगे. पढ़ें पूरी खबर.

नालंदा में बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर
नालंदा में बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Mar 16, 2024, 6:10 PM IST

Updated : Mar 16, 2024, 6:19 PM IST

नालंदा में बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर

नालंदाःबिहार के नालंदा में बोधगया ग्लोबल डायलॉग्स 2024 का आयोजन किया गया. सुषमा स्वराज सभागार में राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने इस कार्यक्रम का उद्घाटन किया. इस दौरान उन्होंने अहिंसा को लेकर बयान दिया. उन्होंने कहा कि अहिंसा को लेकर बयान दिया.

"हिमाचल में दलाई लामा से मिला था. दलाई लामा ने कहा था कि भारत ने दो शब्द दिए. पहला करुणा और दूसरा अहिंसा. लेकिन अहिंसा वन साइडेड नहीं है. अगर आप मुझकों एक थप्पड़ लगाएंगो तो मैं दूसरा गाल नहीं बढ़ाउंगा. बल्कि दोनों गाल पर थप्पड़ मारूंगा."-राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर, राज्यपाल, बिहार

'सस्त्रों की तुलना में शास्त्रों को प्राथमिकता': राज्यपाल ने कहा कि नालंदा की भूमि से निकला ज्ञानोदय संदेश अनाक्रामकता का रहा है. आज फिर हमें एकीकृत विचार प्रक्रिया की आवश्यकता है. यह वह भूमि है जहां सस्त्रों की तुलना में शास्त्रों को प्राथमिकता दी गई.

'भारत ने करुणा और अहिंसा दो शब्द दिए': दलाई लामा का उदाहरण देते हुए कहा कि भारत ने करुणा और अहिंसा में सन्निहित संदेश दुनिया को भेजा है. दुनिया के लिए हमारी करुणा और अहिंसा की अभिव्यक्ति सदैव प्रेरणा स्त्रोत रही है. राज्यपाल ने कहा कि मेरा मानना है कि बोधगया डाइलॉग के विचार-विमर्श भविष्य में हमारे समाज के लिए एक मार्गदर्शक के रूप में काम करेंगे.

नालंदा ज्ञान और प्रज्ञा की भूमिः नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अभय कुमार सिंह ने कहा कि हमारी एकीकृत राष्ट्रीयता ही हमारी दृष्टि को व्यापक बनाने के लिए प्रेरित करती है. वसुधैव-कुटुंबकम की अवधारणा को साकार कर सकने में समर्थ है. मगध क्षेत्र का यह एकीकृत परिदृश्य भी इसी समावेशी दृष्टिकोण को दर्शाता है. बोधगया, राजगीर और नालंदा ज्ञान और प्रज्ञा की भूमि रही है.

'प्राचीन भारतीय ज्ञान का प्रतिनिधि रहा है नालंदा विवि' : उन्होंने कहा कि मगध के वैभवशाली प्रदेश में स्थित नालंदा विश्वविद्यालय जो कभी प्राचीन भारतीय ज्ञान प्रतिनिधि था. आज एक बार फिर अनेक देशों से आए अध्ययनरत छात्रों के साथ एक बार फिर अपने नए अवतरण में उभर रहा है.

क्या है यह कार्यक्रमः बोधगया ग्लोबल डायलॉग्स 2024 का छठा संस्करण नालंदा विश्वविद्यालय और देशकाल सोसाइटी के बीच एक सहयोगात्मक शैक्षणिक कार्यक्रम है जो 16 और 17 मार्च 2024 को एनयू परिसर में हो रहा है. दो दिनों तक चलने वाला यह कार्यक्रम बोधगया, राजगीर तथा नालंदा के ऐतिहासिक विरासत व ज्ञान परंपरा में इन क्षेत्रों के योगदान के परिदृश्य पर केंद्रित है.

बोधगया ग्लोबल डायलॉग्स कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में सम्माननीय अतिथि के रूप में वरिष्ठ पत्रकार व लेखक श्री अरविंद मोहन, अध्यक्ष, देशकाल सोसायटी; लेफ्टिनेंट जनरल पी.एस. मिन्हास, कमानडेंट ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी, गया; प्रोफेसर विनीता सहाय, निदेशक, भारतीय प्रबंधन संस्थान, बोधगया; डॉ. डी. एम. मुले, सदस्य, एनएचआरसी, डॉ गौतमी भट्टाचार्या, एएसआई, पटना उपस्थित थे.

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Last Updated : Mar 16, 2024, 6:19 PM IST

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