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शिक्षा विभाग का फरमान: बीमार होने और बेटे या बेटी के शादी पर ही रिटायर्ड शिक्षकों को मिलेगा GPF का पैसा

गोरखपुर में शिक्षा विभाग का अनोखा फरमान सामने आया है. वर्ष 2023 में रिटायर हुए 60 शिक्षकों को अब तक उनके GPF (General Provident Fund) का रुपया नहीं मिला है. विभाग का कहना है कि भुगतान में ऐसे रिटायर्ड शिक्षकों को प्राथमिकता दी जाएगी, जो खुद बीमार हो या उनके बेटे या बेटी की शादी हो.

गोरखपुर में शिक्षक परेशान
गोरखपुर में शिक्षक परेशान

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 2, 2024, 3:42 PM IST

शिक्षा विभाग के फरमान से रिटायर्ड टीचर हुए परेशान

गोरखपुर: जिले में माध्यमिक शिक्षा विभाग के हैरान कर देने वाले नियम और कानून से, पिछले एक वर्ष पूर्व रिटायर्ड हुए शिक्षकों के सामने मौजूदा समय में बड़ी परेशानी उठ खड़ी हुई है. वर्ष 2023 में करीब 60 शिक्षक रिटायर्ड हुए. इनको रिटायरमेंट होने के बाद उनके जीपीएफ का पैसा (Teachers did not get GPF in Gorakhpur) पूरी तरह विभाग को भुगतान कर देना चाहिए था. रिटायरमेंट के बाद साल भर बीतने को है, लेकिन इन्हें फूटी कौड़ी तक नसीब नहीं हुई है. विभाग को 26 लाख से लेकर 40 लाख रुपए तक एक- एक शिक्षक को देना है.

ऐसे शिक्षकों की संख्या करीब 60 है. अपने जीवन की गाढ़ी कमाई को पाने के लिए शिक्षक अक्सर कार्यालय का दौड़ लगाते हैं. लेकिन खाली हाथ ही लौटते हैं. शिक्षकों की काफी नाराजगी पर विभाग ने एक शर्त बना दिया है जो हैरान करने वाली है. शिक्षक खुद गंभीर बीमार हो, या उसके परिवार में कोई गंभीर बीमारी की चपेट में हो. शिक्षक के बेटा- बेटी की शादी हो. ऐसे लोगों को ही भुगतान में प्राथमिकता दी जाएगी.

कुछ लोगों को इन्हीं शर्तों पर भुकतान भी हुआ है. जिसमें बाकी शिक्षक भ्रष्टाचार का आरोप भी खुले तौर पर लगा रहे हैं. खास बात यह है कि गोरखपुर मंडल के अन्य किसी जिले में इस तरह का बकाया नहीं है. लेकिन मुख्यमंत्री के शहर में ही सेवानिवृत शिक्षकों को, विभाग चक्कर लगाने और शर्तों से जूझने पर मजबूर कर दिया है. शहर के बिछिया स्थित नेहरू इंटर कॉलेज के करीब पांच शिक्षक, वर्ष 2023 में सेवानिवृत हुए थे. इसमें एक राम जी सिंह भी शामिल हैं. उन्होंने ईटीवी भारत से जीपीएफ के भुगतान नहीं होने की पीड़ा खुलकर बताया.

उन्होंने कहा कि रिटायर्ड होने के बाद जीपीएफ से मिलने वाले पैसे से, कई जरूरी व्यवस्थाओं को निपटाना और पूर्ण करना होता है. लेकिन विभाग हमारा पैसा नहीं दे रहा. मूल पैसे की बात तो छोड़ दीजिए उस पर ब्याज भी विभाग नहीं देगा. जबकि एक वर्ष में 2 लाख से अधिक उनके पैसे का ब्याज हो चुका है. उन्होंने कहा कि शर्त विभाग ने ऐसी रखी है जो दुखी कर देती है. ईश्वर ना करें वह बीमार हों, या किसी शिक्षक के परिवार में ही कोई बीमारी की चपेट में आये. ऐसी शर्तों पर भुगतान की बात कही जा रही है.

उन्होंने कहा कि दो-चार शिक्षकों को भुगतान हुआ है. जिन्होंने बेटा- बेटी के शादी का कार्ड लगाया है. लेकिन उसमें भी लेनदेन और भ्रष्टाचार की बात सामने आई है. जिन शिक्षकों को भुकतान नहीं मिला है उनमें शामिल हैं अक्षय लाल गौड़. जिनके जीपीएफ का 32 लख रुपए विभाग पर बकाया है. बेटी की शादी उनके तय हुई है. फिर भी उन्हें भुगतान नहीं मिल पा रहा. मारकंडे मौर्य, के के शुक्ला, चिंतामणि त्रिपाठी, रविंद्र सिंह, जे एन सिंह, जैसे लोग जो ईटीवी भारत के कैमरे पर तो नहीं आ सके, लेकिन टेलिफोनिक बातचीत में उन्होंने अपनी पीड़ा जाहिर की है. उन्होने कहां है कि विभाग की शर्तें उन्हें मंजूर नहीं है. उन्हें उनका जीएफ भुगतान चाहिए.

विभाग ने बीमार होने के बाद भुगतान की जो शर्त लगाई है तो उसका भी उल्लंघन हो रहा है. सेवानिवृत शिक्षिका गायत्री कीर्ति सिंह के पति गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं. उनका कोलकाता के अपोलो अस्पताल में किडनी का इलाज और रांची के अस्पताल में मानसिक बीमारी का इलाज हो रहा है. लेकिन रिटायरमेंट के बाद उनके जीपीएफ का पैसा उन्हें नहीं मिला है. इसी प्रकार जगदीश नारायण सिंह ने बताया कि कुछ दिनों पहले उनकी पत्नी की बाईपास सर्जरी हुई है.

वह अभी जीपीएफ के भुगतान के लिए दर-दर भटक रहे हैं. संयुक्त शिक्षा निदेशक योगेंद्र कुमार सिंह ने ईटीवी भारत को बताया कि कोषागार और विभागीय लेखा विभाग ने, धनराशि और ब्याज के रूप जो आंकड़े प्रस्तुत किए थे, उसमें कुछ कमियां रह गई जिसकी वजह से भुगतान नहीं हो पा रहा है. अपर मुख्य सचिव को इस मामले से अवगत करा दिया गया है. उम्मीद है बहुत जल्द 35 करोड़ का बजट मिलेगा जिससे इन शिक्षकों का भुगतान हो जाएगा. अन्य कोई मनसा इनके भुगतान को रोकने की नहीं है. सिर्फ बजट का अभाव है.

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