गोरखपुर: जिले में माध्यमिक शिक्षा विभाग के हैरान कर देने वाले नियम और कानून से, पिछले एक वर्ष पूर्व रिटायर्ड हुए शिक्षकों के सामने मौजूदा समय में बड़ी परेशानी उठ खड़ी हुई है. वर्ष 2023 में करीब 60 शिक्षक रिटायर्ड हुए. इनको रिटायरमेंट होने के बाद उनके जीपीएफ का पैसा (Teachers did not get GPF in Gorakhpur) पूरी तरह विभाग को भुगतान कर देना चाहिए था. रिटायरमेंट के बाद साल भर बीतने को है, लेकिन इन्हें फूटी कौड़ी तक नसीब नहीं हुई है. विभाग को 26 लाख से लेकर 40 लाख रुपए तक एक- एक शिक्षक को देना है.
ऐसे शिक्षकों की संख्या करीब 60 है. अपने जीवन की गाढ़ी कमाई को पाने के लिए शिक्षक अक्सर कार्यालय का दौड़ लगाते हैं. लेकिन खाली हाथ ही लौटते हैं. शिक्षकों की काफी नाराजगी पर विभाग ने एक शर्त बना दिया है जो हैरान करने वाली है. शिक्षक खुद गंभीर बीमार हो, या उसके परिवार में कोई गंभीर बीमारी की चपेट में हो. शिक्षक के बेटा- बेटी की शादी हो. ऐसे लोगों को ही भुगतान में प्राथमिकता दी जाएगी.
कुछ लोगों को इन्हीं शर्तों पर भुकतान भी हुआ है. जिसमें बाकी शिक्षक भ्रष्टाचार का आरोप भी खुले तौर पर लगा रहे हैं. खास बात यह है कि गोरखपुर मंडल के अन्य किसी जिले में इस तरह का बकाया नहीं है. लेकिन मुख्यमंत्री के शहर में ही सेवानिवृत शिक्षकों को, विभाग चक्कर लगाने और शर्तों से जूझने पर मजबूर कर दिया है. शहर के बिछिया स्थित नेहरू इंटर कॉलेज के करीब पांच शिक्षक, वर्ष 2023 में सेवानिवृत हुए थे. इसमें एक राम जी सिंह भी शामिल हैं. उन्होंने ईटीवी भारत से जीपीएफ के भुगतान नहीं होने की पीड़ा खुलकर बताया.
उन्होंने कहा कि रिटायर्ड होने के बाद जीपीएफ से मिलने वाले पैसे से, कई जरूरी व्यवस्थाओं को निपटाना और पूर्ण करना होता है. लेकिन विभाग हमारा पैसा नहीं दे रहा. मूल पैसे की बात तो छोड़ दीजिए उस पर ब्याज भी विभाग नहीं देगा. जबकि एक वर्ष में 2 लाख से अधिक उनके पैसे का ब्याज हो चुका है. उन्होंने कहा कि शर्त विभाग ने ऐसी रखी है जो दुखी कर देती है. ईश्वर ना करें वह बीमार हों, या किसी शिक्षक के परिवार में ही कोई बीमारी की चपेट में आये. ऐसी शर्तों पर भुगतान की बात कही जा रही है.