गया: सावन के सोमवार पर देशभर में शिव भक्त भगवान भोलेनाथ को मनाने के लिए पूजा अर्चना अभिषेक करते हैं. वहीं बिहार के गया में शिव भक्तों की साधना स्थल है. जहां सावन के दिनों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है. यह मंदिर बोधगया के रतनारा गंगा बिगहा गांव में विराजमान हैं. इस मंदिर में एक दो नहीं बल्कि एक साथ दर्जनों शिवलिंग है. वैसे कहा जाता है कि यहां सच्चे मन से आने वाले भक्तों की हर मनोकामना भगवान भोलेनाथ पूरी करते हैं.
शिव साधना का अनोखा स्थल:बोधगया शिव मंदिर और सरस्वती मंदिर के पुजारी लखन प्रसाद ने बताया कि यहां शिवलिंग के साथ माता नंदी की भी प्रतिमा है. ये शिवलिंग काफी प्राचीन काल के बताए जाते हैं. माना जाता है कि पुराने काल में यहां शिव भक्तों की आस्था का बड़ा केंद्र हुआ करता था. इस स्थान पर शिव भक्त काफी संख्या में शिव साधना में जुटे रहते थे. यहां शिवलिंग के दर्शन से अनोखी आस्था जुड़ी है.
भक्तों की हर मुराद पूरी करते हैं भोलेनाथ :मुख्य रूप से इस मंदिर में वंश वृद्धि की मन्नत लेकर लोग आते हैं. वैसे कहा जाता है, कि यहां सच्चे मन से आने वाले भक्तों की हर मनोकामना भगवान भोलेनाथ पूरी करते हैं. हालांकि जिन लोगों की वंश वृद्धि नहीं होती, उनकी मनोकामना भगवान भोलेनाथ शिवलिंग के रूप में पूजन के बाद आशीर्वाद के तौर पर कर देते हैं.
"पहले हजार से भी ज्यादा शिवलिंग हुआ करते थे. 1964 में बाढ़ आई तो काफी संख्या में शिवलिंग जमीन के अंदर दब गए. कुछ शिवलिंग जमीन से ऊपर थे तो उसे असामाजिक तत्व चोरी कर ले गए. यह शिव साधना की बड़ी स्थली रही है. यहां भक्तों की मन्नतें पूरी होती है."-लखन प्रसाद, पुजारी, बोधगया शिव मंदिर और सरस्वती मंदिर
बाढ़ में विलिन हो गये शिवलिंग:बताया जाता है कि पहले यहां हजार से भी ज्यादा शिवलिंग हुआ करते थे. 1964 में बाढ़ आने के बाद अधिकांश शिवलिंग जमीन के अंदर दब गए. अब भी यहां एक साथ दर्जनों शिवलिंग मौजूद हैं. बोधगया का यह स्थान शिवभक्तों की आस्था का बड़ा केंद्र होता है. यहां स्थापित दर्जनों शिवलिंग के दर्शन करने काफी संख्या में लोग आते हैं.
फूल गिरना मन्नत पूरी होने की है निशानी: पुजारी ने बताया कि माता सरस्वती पर सच्ची भक्ति के साथ फूल चढ़ाते ही फूल का गिरना शुभ माना जाता है. भक्त की मांगी मन्नत पूरी होगी. उस फूल को उठाकर खुशी खुशी वापस चले जाते हैं. बताया जाता है कि इसी शिवलिंग के ठीक बगल में भगवान बुद्ध ने विश्राम और साधना किये थे.