गौरेला पेण्ड्रा मरवाही: गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले का 10 फरवरी को स्थापना दिवस है. साल 2020 की 10 फरवरी को इस जिले का गठन हुआ था. इस बार भी जीपीएम में स्थापना दिवस की धूम देखी जा रही है.
अरपा महोत्सव का होता है आयोजन: गौरेला पेण्ड्रा मरवाही जिला मैकल पर्वत श्रृंखला और अमरकंटक की तराई में बसा हुआ है. जिले की शान और पहचान के लिए 'अरपा महोत्सव' चर्चित है. अरपा नदी का उदगम स्थल होने की वजह से यहां पर 'अरपा महोत्सव' मनाया जाता है. जिला गठन के साथ ही यहां पर प्रतिवर्ष जिला स्थापना दिवस के साथ ही 'अरपा महोत्सव' मनाए जाने की घोषणा भी की गई थी. जो हर साल मनाया जा रहा है.
जीपीएम जिले की भौगोलिक स्थिति: छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश की सीमा पर स्थित इस जिले को बिलासपुर जिले का विभाजन कर बनाया गया है. जिले की सीमा उत्तर में मनेन्द्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर, दक्षिण में कोटा, पूर्व में कटघोरा और पश्चिम एमपी का सोहागपुर है. जिले का क्षेत्रफल 2307.39 वर्ग किलोमीटर है. जिले में 4 तहसील, 3 ब्लॉक और 224 गांव शामिल हैं.
'छत्तीसगढ़ मित्र' से चर्चा में आया पेंड्रा: छत्तीसगढ़ के प्रथम हिंदी समाचार पत्र 'छत्तीसगढ़ मित्र' का प्रकाशन पेंड्रा रोड से हुआ था. अविभाजित छत्तीसगढ़ में माधव राव सप्रे ने प्रदेश में हिंदी पत्रकारिता की शुरुआत की थी. उनका व्यक्तित्व और कृतित्व सभी साहित्यकारों, पत्रकारों और आम जनता के लिए भी प्रेरणादायक है. उन्होंने सन् 1900 में पेंड्रा से रामराव चिंचोलकर के साथ मिलकर हिन्दी पत्रिका ‘छत्तीसगढ़ मित्र’ का सम्पादन और प्रकाशन शुरू किया था. तभी से पेंड्रा की पहचान बनी.
राष्ट्रपति के दत्तक पुत्रों का है गढ़: यहां गौरेला में 'राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र' कहलाने वाली बैगा जनजाति बहुतायत में हैं. इसी वजह से इसे पहले 'विशेष अनुसूचित जनजाति क्षेत्र' का दर्जा मिला. कहा जाता है कि यहां अमरकंटक की सीमा से लगे 'कबीर चबूतरा' पर कबीर और गुरुनानक जी के बीच लंबी चर्चा हुई थी.
गौरेला पेण्ड्रा मरवाही जिले का इतिहास: ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार, रतनपुर के कल्चुरी नरेश ने दो भाइयों हिंदुसिंह और छिंदुसिंह की ईमानदारी से प्रसन्न होकर यह क्षेत्र को उन्हें ईनाम स्वरूप दिया था. लंबे समय तक यह क्षेत्र इनके नियंत्रण में रहा. बाद में यह क्षेत्र मराठों के नियंत्रण में भी आया. पेण्ड्रा क्षेत्र के बारे में बताया जाता है कि यह एक समय पर पिंडारियों की गतिविधियों का केंद्र था. वे आसपास के क्षेत्रों पर आक्रमण और लूटपाट करते थे. उन्हीं के वजह से इस क्षेत्र को पहले पिण्डारा और फिर पेण्ड्रा नाम मिला.
जिले में उगाई जाने वाली फसलें:फसलों की बात करें तो इस जिले में सबसे अधिक खेती चावल की ही होती है. उसके अलावा गेहूं, चना, धान, मक्का, ज्वार, मूंगफली की खेती होती है. फलों में जामुन और सीताफल और मिलेट्स का उत्पादन भी यहां होता है.
जिले में पांच कॉलेज हैं स्थापित: जिले में कुल पांच बड़े काॅलेज हैं. जिनमें डॉ भंवर सिंह पोर्ते कॉलेज पेण्ड्रा, डॉ भंवर सिंह पोर्ते कॉलेज मरवाही, आयुश कॉलेज ऑफ एजुकेशन पेण्ड्रारोड, गवर्नमेंट पंडित माधव राव सप्रे कॉलेज, गवर्नमेंट फिज़िकल कॉलेज पेण्ड्रा है. इसके साथ ही डिस्ट्रिक्ट एजुकेशन एंड ट्रेनिंग सेंटर (DIET) भी यहां मौजूद है.