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Year Ender 2024: लहसुन के दामों ने किसानों को दी है राहत, बीते साल से 3 गुना से ज्यादा मिला मंडियों को रेवेन्यू - FRUITFUL GARLIC CROPS IN 2024

लहसुन की फसल ने इस बार किसानों को तो राहत दी ही है. साथ ही जिला मंडियों को भी रेवेन्यू दे निहाल कर दिया.

Fruitful garlic crops in 2024
लहसुन के दामों से किसान निहाल (ETV Bharat Kota)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Dec 29, 2024, 6:31 AM IST

कोटा: साल 2022 में लहसुन उत्पादक किसान परेशान थे. हालांकि 2023 में उनके हालात सुधरे और 2024 में उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ किसानों को अच्छा दाम भी मिला. किसानों को पूरे साल ही लहसुन के दाम ने राहत दी. यहां तक की किसानों को 300 रुपए किलो से भी ज्यादा तक के दाम मिल गए. इसका फायदा किसान और व्यापारियों को ही नहीं सरकार को भी हुआ है. कोटा संभाग की कृषि उपज मंडियों की बात की जाए, तो लहसुन के क्रय-विक्रय पर मंडी शुल्क और रेवेन्यू में अच्छी खासी बढ़ोतरी हुई है.

बीते साल पूरे वित्तीय वर्ष में 9.46 करोड़ रुपए का रिवेन्यू मिला था. यह रेवेन्यू साल 2024 के वित्तीय वर्ष में अब तक 27 करोड़ को क्रॉस कर चुका है. यह नवंबर तक का आंकड़ा है. हालांकि मंडियों में अब लहसुन की आवक कम हो गई है, लेकिन फरवरी और मार्च में भी ठीक-ठाक नया लहसुन मंडियों में आता है. ऐसे में इस रेवेन्यू में इन दिसंबर से अगले साल मार्च तक चार माह में काफी बढ़ोतरी होगी.

साल 2024 में लहसुन के फैक्ट्स (ETV Bharat GFX)

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चीनी-लहसुन में दी थी झटका देने की कोशिश: ग्रेन एंड सीड्स मर्चेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष अविनाश राठी का कहना है कि सितंबर महीने में भारत में चीनी-लहसुन में कई जगह पर दस्तक दे दी थी. यह बांग्लादेश-नेपाल के जरिए भारत में प्रवेश कर रहा था. हाड़ौती में चीनी लहसुन की एंट्री नहीं हुई थी, लेकिन जहां पर यहां के व्यापारियों का माल जाता है, वहां चीनी लहसुन पहुंचने से दाम कम हो गए थे. हाड़ौती में प्रतिबंधित चीनी लहसुन के विरोध में सितंबर महीने में एक दिन मंडियों को बंद रखा गया. इस विरोध के बाद सरकार ने भी सख्ती की थी और वापस दाम बढ़ने लगे थे.

किसानों को लहसुन के मिले अच्छे दाम (ETV Bharat Kota)

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फिलहाल किसानों को हुआ है मुनाफा:भारतीय किसान संघ के जिला मंत्री रूपनारायण यादव का कहना है कि इस साल किसानों को औसत लहसुन पर 150 से 200 रुपए किलो के आसपास का दाम मिला है. जबकि इसकी लागत पर 30 से 35 हजार प्रति बीघा का खर्चा होता है. ऐसे में अच्छे दाम मिलने से किसानों को मुनाफा हुआ है. इसी के चलते खेतों में लहसुन का रकबा बढ़ा दिया है. कोटा संभाग में 95000 हेक्टेयर से ज्यादा एरिया में बुवाई हुई है. आने वाले सालों में क्या दाम रहते हैं, यह फिलहाल तय नहीं है.

लहसुन के दाम ने दी राहत (ETV Bharat Kota)

लहसुन के बराबर नहीं मिला किसी भी फसल में फायदा: अविनाश राठी का मानना है कि लहसुन के दाम ऊंचे रहने से पूरा पैसा किसानों को मिलता है, क्योंकि इसे स्टोर नहीं किया जा सकता है. ऐसे में 10 बीघा में किसान ने लहसुन उत्पादन किया है, तो वह 120 क्विंटल माल प्राप्त करेगा. इसे बेचने से 12 से 15 लाख रुपए तक मिले हैं. इससे बढ़िया मुनाफा किसी भी फसल में नहीं मिला है. लहसुन उत्पादक किसान वर्तमान में बड़े आनंद में है व काफी मजबूत हो गया है.

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राठी का कहना है कि हाड़ौती संभाग के अधिकांश किसान अपना पूरा लहसुन बेच चुके हैं. लहसुन पर केवल मंडी टैक्स लिया जाता है. यह भी 2.1 फीसदी है. किसानों को पूरे साल ही अच्छे दाम मंडी में मिले हैं. फिलहाल दामों में गिरावट आई है, लेकिन किसानों के पास माल नहीं है और आवक काफी कम हो गई है. सीजन खत्म होने से लहसुन भी क्वालिटी का नहीं आ रहा है. वहीं अधिकांश किसानों ने लहसुन की बुवाई कर दी है.

कृषि विपणन बोर्ड के संयुक्त निदेशक इंदु शेखर शर्मा का कहना है कि कृषि उपज मंडियों में आने वाली जिंसों पर ट्रेडिंग के दाम के आधार पर टैक्स लिया जाता है. इसमें मंडी शुल्क शामिल रहता है. ऐसे में लहसुन दर के आधार पर ही उन्हें मंडी टैक्स मिलता है. इसका फायदा किसानों को भी मिला है, क्योंकि उन्हें भी अच्छे दाम मिले हैं. इस बार दर ज्यादा होने के चलते मंडियों के रेवेन्यू में बढ़ोतरी हुई है.

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