पटना:गंगा नदी भले ही देश की राष्ट्रीय नदी हो लेकिन सही मायने में गंगा सांस्कृतिक विरासत की प्रतीक भी है. यही कारण है कि सनातन धर्म में किसी भी धार्मिक कार्य में गंगा नदी के जल का विशेष महत्व होता है. अभी प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन हो रहा है. इस महाकुंभ में देश ही नहीं विदेश के लोगों का भी गंगा नदी के प्रति आस्था जुड़ाव हो रहा है.
बिहार में गंगा दूषित: अब तक एक अनुमान के मुताबिक कुंभ में 55 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं ने गंगा एवं संगम में स्नान किया है. गंगा नदी देश के लोगों की आत्मा में बसी है, लेकिन हकीकत यही है कि देश के कई राज्यों में गंगा प्रदूषित हो चुकी है और इसके प्रदूषण का कारण कोई और नहीं वहां के स्थानीय लोगों और राज्य सरकार की लापरवाही है.
गंगा नदी का उद्गम स्थल: गंगा नदी उत्तराखंड के उत्तरकाशी स्थित गंगोत्री ग्लेशियर से निकलती है. शास्त्रों के मुताबिक गंगोत्री ग्लेशियर के गोमुख से गंगा की धार निकलती है. वहीं पर भागीरथी और अलकनंदा नदी इसे जुड़ती है और यह गंगा नदी का रूप लेती है. धार्मिक मान्यता के अनुसार गंगा नदी को पृथ्वी पर लाने के लिए राजा भगीरथ ने कठोर तपस्या की थी, उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर गंगा पृथ्वी पर आई थी. लेकिन गंगा के बेग से पृथ्वी को बचाने के लिए भगवान शंकर ने उनको अपनी जटाओं में उतारा था और फिर पृथ्वी पर गंगा का अवतरण हुआ था.
गंगा नदी की यात्रा:गंगा नदी का उद्गमस्थल उत्तराखंड है. उत्तराखंड में गंगोत्री ग्लेशियर से निकलने के बाद इसमें अलकनंदा, धौली गंगा, पिंडर, मंदाकिनी और भीलगंगा नदी जुड़ती है. उत्तराखंड होते हुए यह उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल होते हुए बंगाल की खाड़ी से मिलती है. गंगा देश की सबसे बड़ी नदी है. गंगा नदी की लंबाई 2525 किलोमीटर है.
बिहार में गंगा नदी की यात्रा: बिहार में गंगा नदी बक्सर के चौसा में प्रवेश करती है. बिहार में गंगा नदी 12 जिलों से होकर गुजरती है. ये जिले बक्सर, भोजपुर, सारण, पटना, वैशाली, समस्तीपुर, बेगूसराय, मुंगेर, खगड़िया, कटिहार, भागलपुर, लखीसराय हैं. गंगा नदी की कुल लंबाई 2510 किलोमीटर है. लेकिन बिहार से होकर जिन 12 जिलों से गंगा गुजरती है उसकी कुल लंबाई 445 किलोमीटर है.
गंगा का प्रदूषण समस्या का कारण:वेटरन्स फोरम के संस्थापक बी एन पी सिंह ने बताया कि राजधानी पटना की आबादी 20 लाख से अधिक है. 20 लाख आबादी के द्वारा विसर्जित पानी इसके अलावे पटना के आसपास में जितने भी स्लॉटर हाउस हैं उनका कचरा गंगा में विसर्जित किया जाता है.
"इन दूषित पानियों का कोई ट्रीटमेंट नहीं होता है, यही कारण है कि पटना और आसपास में गंगा भयानक रूप से प्रदूषित हो गई है. यह केवल राजधानी पटना का ही मामला नहीं है. बिहार के जिन जिलों से गंगा गुजरती है उन शहरों का सारा वेस्टेज पानी गंगा में विसर्जित होता है. सारण के डोरीगंज को छोड़ दें तो कहीं का भी पानी अब शुद्ध नहीं रहा."-बी एन पी सिंह,वेटरन्स फोरम के संस्थापक
कुंभ से प्रदूषण स्तर बढ़ा:सीपीसीबी की रिपोर्ट के अनुसार प्रयागराज में गंगा एवं जमुना में अभी प्रदूषण का स्तर बहुत ही खतरनाक है. गंगा की स्वच्छता पर काम करने वाले वेटरन्स फोरम के संस्थापक बी एन पी सिंह ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दिए गए सरकारी आंकड़ों के अनुसार 55 करोड़ लोगों ने अब तक कुंभ में स्नान किया है. जिस तरीके से आस्था के नाम पर गंगा में पूजा सामग्री के अलावे अन्य चीजों का विसर्जन किया जाता है, वह भी गंगा की स्वच्छता को प्रभावित करता है. यही कारण है कि सीपीसीबी की रिपोर्ट में भी प्रयागराज में गंगा एवं जमुना में प्रदूषण स्तर खतरनाक बताया गया है.
गंगा सफाई के लिए योजना की शुरुआत:1984 में केंद्र सरकार ने गंगा की सफाई के लिए "गंगा एक्शन प्लान" योजना की शुरुआत की. गंगा एक्शन प्लान के तहत गंगा को स्वच्छ एवं निर्वाण बनाने के लिए काम भी शुरू हुआ, लेकिन वह अपने उद्देश्य को पूरा नहीं कर पाया. इसके बाद नरेंद्र मोदी की सरकार ने 2014 में "नेशनल मिशन फार क्लीन गंगा"(नमामि गंगे) की शुरुआत की है.अब तक नमामि गंगे योजना के कार्यान्वयन में अगस्त 2024 तक 4300 करोड़ रूपए से अधिक खर्च हो चुके हैं.
नमामि गंगे योजना का उद्देश्य: केंद्र सरकार ने 2014 में नमामि गंगे योजना की शुरुआत की थी. इस योजना का उद्देश्य गंगा को स्वच्छ एवं निर्माण बनाना है. जिन-जिन राज्यों से गंगा गुजरती है उन राज्यों में गंगा में गंदा पानी का विसर्जन नहीं हो, उन राज्यों में गंगा की सफाई हो सके. इस पर काम किया जा रहा है. लेकिन हकीकत यह है कि बीते 10 वर्षों में नदी के किनारे बसे नगरों के गंदे नालों का पानी नदी में बहाया जाना बंद नहीं हुआ.
एनजीटी का दावा: सर्वोच्च न्यायालय ने पर्यावरण से संबंधित मामले नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) को हस्तांतरित कर दिए हैं, इसलिए एनजीटी अलग -अलग राज्यों की समय-समय पर सुनवाई करती है. पिछले दिनों न्यायालय ने बिहार को लेकर सुनवाई की. इनमें "फ्लडप्लेन" क्षेत्र का सीमांकन, दीघा सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की स्थिति, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के लिए विमुक्त की गई राशि की स्थिति, नमामि गंगे योजना के कार्यान्वयन ंमे राज्य सरकार की भूमिका एवं निगरानी, फीकल कोलीफार्म की स्थिति अन्य सहायक नदियों मे प्रदूषण जैसे बिंदुओं पर जानकारी ली गई.
बिहार में गंगा का पानी प्रदूषित: गंगा बचाओ अभियान से जुड़े राजीव कुमार ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि बिहार में गंगा के पानी का प्रदूषण स्तर बहुत ही खराब हो चुका है. उन्होंने कहा कि बक्सर से भागलपुर के बीच का पानी ना नहाने योग्य है और ना ही पीने योग्य.
"न्यायालय के समक्ष एनएमसीजी ने स्वीकार किया है कि बिहार में प्रतिदिन 1100 एमएलडी सीवेज गंगा में जाता है, जबकि सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता 343 एम एलडी की ही है यानि 750 एमएलडी सीवेज बगैर ट्रीटमेंट के ही प्रवाहित हो रहा है."- राजीव कुमार, सदस्य,गंगा बचाओ अभियान
सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की स्थिति: राजीव कुमार ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि राज्य के 8 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट मे 6 काम ही नहीं कर रहा है. राजधानी पटना में पांच ट्रीटमेंट प्लांट है जिसमें से एक भी काम नहीं कर रहा है. पटना के गंदे नालो का पानी गंगा में प्रवाहित करने के सिवा कोई दूसरा रास्ता ही नही है. सच्चाई यह है कि सीवरेज नेटवर्क से लेकर घरो के लाईन को जोड़ने और मैनहोल बनाने का कार्य अधूरा है. पिछले कई वर्षों से नमामि गंगे प्रोजेक्ट के द्वारा राजधानी पटना के हर मोहल्ले में पाइप लाइन बिछाने का काम चल रहा है. पटना शहर का गंदा पानी सीधे गंगा में बहाया जा रहा है.