लखनऊ: राष्ट्रीय लोकदल के मुखिया जयंत चौधरी ने आखिरकार इंडिया गठबंधन का साथ छोड़कर एनडीए के साथ जाने का फैसला ले लिया है. अब तक भारतीय जनता पार्टी पर लगातार प्रहार कर रहे जयंत अब बीजेपी के साथ मिलकर नल के जल से कमल खिलाने की पुरजोर कोशिश में जुट गए हैं.
अब वे इंडिया गठबंधन के नेताओं पर ही प्रहार करेंगे. समाजवादी पार्टी के साथ 2022 के विधानसभा में गठबंधन करने वाले जयंत ने लोकसभा चुनाव 2024 के लिए उसे तोड़ दिया है. अब उन्होंने भाजपा से नाता जोड़ा है. हालांकि, चर्चा है कि जयंत के इस फैसले से आरएलडी के कई विधायक खुश नहीं हैं.
चार विधायकों के नाम चर्चा में हैं जो जयंत से नाराज होकर सपा की तरफ रुख कर सकते हैं. सपा मुखिया भी आरएलडी मुखिया से धोखा खाए हैं. लिहाजा, आरएलडी के विधायकों को तोड़ने के उनके प्रयासों की भी चर्चा राजनीतिक गलियारों में शुरू हो गई है.
ऐसे में कोई बड़ी बात नहीं है कि आरएलडी के कुछ विधायक आने वाले दिनों में सपा के खेमे में नजर आएं और लोकसभा चुनाव में सपा के उम्मीदवार के तौर पर मैदान में ताल ठोकें.
यूपी विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने सभी पार्टी के विधायकों को राम नगरी अयोध्या में भगवान राम के दर्शन कराने का फैसला लिया था. 11 फरवरी को समाजवादी पार्टी को छोड़कर अन्य दलों के विधायक अयोध्या गए भी, क्योंकि अब आरएलडी मुखिया जयंत चौधरी भाजपा के पाले में आ गए हैं.
लिहाजा, आरएलडी के भी विधायक भगवान राम के दर्शन करने अयोध्या पहुंचे, लेकिन चार विधायकों ने अयोध्या जाने से दूरी बना ली. अब इन्हीं विधायकों की नाराजगी की चर्चाएं सामने आ रही हैं. इनमें से कई विधायक पिछला विधानसभा चुनाव आरएलडी के सिंबल पर लड़े थे लेकिन उनका सपा से पुराना नाता रहा है.
यही विधायक अब आरएलडी से नाता तोड़कर समाजवादी पार्टी से अपना संबंध जोड़ सकते हैं. इनमें दो मुस्लिम विधायक हैं तो दो हिंदू. हालांकि विधायकों की नाराजगी से आरएलडी के नेता साफ इनकार कर रहे हैं. यहां तक कि जयंत चौधरी भी मीडिया के सामने आकर कह चुके हैं कि विधायकों से चर्चा करने के बाद ही एनडीए के साथ जाने का फैसला लिया है.
यूपी के पिछले विधानसभा चुनाव में मीरापुर से चंदन चौहान मैदान में उतरे थे. उन्होंने आरएलडी के प्रत्याशी के तौर पर जीत हासिल की थी. वह विधायक आरएलडी से बने लेकिन उनकी गिनती हमेशा से ही अखिलेश के चहेते नेताओं में होती रही है.
उनका सिंबल आरएलडी का जरूर था लेकिन उनकी नजदीकियां हमेशा समाजवादी पार्टी के साथ रहीं. जब समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपने विधायकों को राम मंदिर दर्शन के लिए न जाने का फैसला लिया तो आरएलडी के विधायक चंदन चौहान भी अयोध्या नहीं गए.