खूंटीः वन विभाग की एंट्री के बाद से अवैध बालू उत्खनन में कमी आई. डेढ़ माह के भीतर दो दर्जन हाइवा और जेसीबी जब्त किए गए. एक दर्जन मामले दायर किए गए हैं. वन विभागई की कार्रवाई से बालू माफियाओं में हड़कंप मचा हुआ है. तोरपा, रनिया और कर्रा प्रखंड क्षेत्र की कारो और छाता नदी से बालू का अवैध उत्खनन लगभग ठप हो गया है. तोरपा क्षेत्र के कुछ गिने चुने बालू माफियाओं द्वारा अभी भी बालू की तस्करी किए जाने की सूचना पर वन विभाग अब जब्ती की कार्रवाई में जुटा हुआ है.
खूंटी के कर्रा, रनिया और तोरपा प्रखंड क्षेत्र की कारो और छाता नदी से अवैध बालू के उत्खनन पर प्रशासन लगातार कार्रवाई कर रहा था लेकिन उसके बाद भी प्रशासन को चुनौती देकर बालू माफिया दिनदहाड़े उत्खनन करते रहे. बालू माफियाओं के हौसले बुलंद थे लेकिन अचानक डीसी के निर्देश पर वन विभाग ने वन क्षेत्रों में विशेष अभियान की शुरुआत की और एक अक्टूबर से वन विभाग ने अवैध बालू के उत्खनन पर लगाम लगाने के लिए एंट्री मारी.
डीसी के निर्देश पर डीएफओ दिलीप कुमार ने एक विशेष टीम बनाई और वन क्षेत्रों में कार्रवाई का निर्देश दिया. वनरक्षकों की अलग अलग टीम बना कर जरिया और गिरगा वन क्षेत्रों में कार्रवाई शुरू की और दो माह के भीतर 22 गाड़ियों को जब्त किया. दो माह के भीतर 10 वनवाद दायर कि गए और कार्रवाई शुरू कर दी गई. बड़ी संख्या में माफियाओं की गाड़ियां जब्त होने से माफियाओं का मनोबल टूटा गया. यही नहीं माफियाओं द्वारा डंप 6450 घनफीट बालू भी जब्त कर लिया गया.
आखिर क्या है वनवाद और इस वनवाद के दायर होने से क्यों खौफजदा हुए बालू माफिया.
दरअसल, अवैध उत्खनन के खिलाफ कार्रवाई करते हुए वन विभाग ने वन अपराध में अवैध पातन, अतिक्रमण, अवैध उत्खनन, भारतीय वन अधिनियम 1927 की धारा 33 और 30 के तहत वन मुकदमा दायर किया. इसके तहत वन की जमीन से जुड़ी किसी भी प्रकार की वन संपदा जैसे बालू, मिट्टी, पत्थर समेत अन्य का उठाव वर्जित है.