कुल्लू: हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिला में कई ट्रैक हैं जो ट्रैकर्स की पहली पसंद हैं. ये ट्रैक विहंगम दृश्यों के साथ ही लोगों के लिए धार्मिक आस्था का भी केंद्र है. ऐसा ही एक ट्रैक है कुल्लू जिले का खीरगंगा ट्रैक. ये ट्रैक बेहद खूबसूरत है और ट्रैक मणिकर्ण घाटी में स्थित है. ट्रैकिंग और एडवेंचर के शौकीन लोगों के लिए ये जगह किसी जन्नत से कम नहीं है, लेकिन इस ट्रैक की हालत काफी खराब है. इसकी खराब हालत के चलते कई सैलानी यहां अपनी जान से हाथ तक धो चुके हैं.
अब इस ट्रैक की हालत सुधारने के लिए वन विभाग ने प्रस्ताव तैयार किया है और इसे प्रशासन को सौंपा गया है, ताकि देश-विदेश के सैलानियों की पसंद खीर गंगा ट्रैक की राह सैलानियों के लिए आसान हो सके. इस ट्रैक की हालत को सुधारने के लिए वन विभाग ने प्रशासन से 30 लाख रुपए की राशि की मांग की है. जिला कुल्लू की मणिकर्ण घाटी में ट्रैक बरशेनी से शुरू होता है और यहां से इसकी लंबाई 13 किलोमीटर है.
320 सैलानियों को एक दिन में ट्रैकिंग के लिए भेजा जाएगा
वन विभाग के अनुसार इस ट्रैक पर बरशेनी से नकथान तक जीप योग्य सड़क बनाई जाएगी. इसके आगे इस ट्रैक की हालत सुधारी जाएगी. इस ट्रैक पर अप्रैल से अक्टूबर माह तक ट्रैकिंग होती है. 6 माह के दौर में 2 लाख से अधिक सैलानी इस ट्रैक पर पहुंचते हैं, लेकिन ट्रैकिंग रूट का रास्ता खराब बेहद खराब बै. ट्रैक पर पांव फिसलने पर लोग लुढ़कर पार्वती नदीं में गिरते हैं. इसके कारण कई लोग अपनी जान से हाथ चुके हैं. ट्रैक की हालत सुधारने के बाद यहां पर सैलानियों की संख्या को भी कंट्रोल किया जाएगा और प्रतिदिन 320 सैलानियों को ट्रैकिंग के लिए भेजा जाएगा. इसके लिए यहां पर वन विभाग की एक चेक पोस्ट स्थापित की जाएगी, ताकि इस रूट पर आने जाने वाले सैलानियों का रिकॉर्ड रखा जाए. रिकॉर्ड रखने का एक फायदा ये होगा कि अगर सैलानी वापस नहीं आता है तो इस क्षेत्र में वन विभाग की टीम उसे तलाश करने के लिए रेस्क्यू कार्य भी समय पर शुरू कर देगी.