देहरादूनः उत्तराखंड में अब ग्रामीणों को खेतों की साफ सफाई के रूप में आड़ा जलाने की परंपरा छोड़नी होगी. वन विभाग ने एक तरफ आड़ा (बुवाई से पहले खेत की सफाई के दौरान मिली झाड़ी व अन्य) जलाने की परंपरा को समयबद्ध करने के निर्देश दिए हैं तो प्रमुख सचिव वन ने 31 मार्च के बाद इसे पूरी तरह प्रतिबंधित किए जाने के लिए कहा है. वन विभाग द्वारा यह कदम फॉरेस्ट फायर की घटनाओं को लेकर उठाया जा रहा है. ताकि वनाग्नि की घटनाओं को कम किया जा सके.
उत्तराखंड में फायर सीजन के दौरान जंगलों में आग की घटनाएं वन विभाग और आम लोगों के लिए भी सिरदर्द बन जाती है. खास बात यह है कि उत्तराखंड में ऐसी घटनाओं के बढ़ने से न केवल जनहानि की स्थिति पैदा हो जाती है. बल्कि पर्यावरण को भी इससे खासा नुकसान होता है. इसी को देखते हुए वन विभाग ने फायर सीजन से पहले ही जरूरी कदम उठाए जाने पर काम शुरू कर दिया है. इस दिशा में प्रमुख सचिव वन आर के सुधांशु ने कुछ दिशा निर्देश विभिन्न जिलों के जिलाधिकारियों को भी दिए हैं.
इसके तहत उत्तराखंड में प्रमुख सचिव वन ने 31 मार्च के बाद खेतों की साफ-सफाई के लिए जलाए जाने वाले आड़ा की परंपरा को प्रतिबंधित किए जाने के निर्देश दिए हैं. जबकि इससे पहले भी इस व्यवस्था को समयबद्ध करने के लिए कहा गया है. प्रमुख सचिव आर के सुधांशु ने जिलाधिकारी को साप्ताहिक या पाक्षिक (दो हफ्ते) रूप से इस पर बैठकें करते हुए एनडीआरफ, एसडीआरएफ, पैरामिलिट्री फोर्स और आपदा क्विक रिस्पांस टीम का सहयोग लिए जाने के लिए कहा गया है.