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विदेशी पक्षियों को भा रहे गोरखपुर के वेटलैंड; नदियों-ताल-पोखरों में कर रहे अठखेलियां - GORAKHPUR WETLAND BIRD ARRIVAL

WETLAND MIGRATORY BIRDS : वन प्रभाग क्षेत्र की 92 नदियों के अलावा तालाब और पोखरों में दिखने लगे प्रवासी पक्षी.

काफी संख्या में गोरखपुर के वैटलैंडों में पहुंच रहे प्रवासी पक्षी.
काफी संख्या में गोरखपुर के वैटलैंडों में पहुंच रहे प्रवासी पक्षी. (Photo Credit; ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 8, 2024, 9:05 AM IST

गोरखपुर :जिले में स्थानीय और विदेशी पक्षियों की संख्या लगातार बढ़ रही है. वन प्रभाव क्षेत्र की 92 नदियों के अलावा तालाब और पोखरों में ये अठखेलियां करते आसानी से नजर आ जाते हैं. ये पक्षी लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं. इनके शिकार पर लगे प्रतिबंध और निगरानी के कारण ये पक्षी अब यहां खुद को काफी महफूज महसूस करते हैं. सर्द मौसम के शुरू होने के साथ ही वेटलैंड क्षेत्र में विदेशी पक्षियों के आने का सिलसिला शुरू हो गया है. स्थानीय पक्षियों का झुंड भी पानी के ऊपर करतब दिखाते नजर आने लगे हैं.

काफी संख्या में गोरखपुर पहुंच रहे प्रवासी पक्षी. (Video Credit; ETV Bharat)

सारस की संख्या में तीन गुना इजाफा :देसी-विदेशी ये पक्षी पानी पर साथ बैठते हैं और फिर एक साथ आसमान में हवा से बातें करने लगते हैं. इस मनमोहक नजारे को कैमरे में कैद करने के लिए काफी इंतजार करना पड़ता है. इस बार सारस की संख्या में भी तीन गुना वृद्धि हुई है. साइबेरियन पक्षी भी आ रहे हैं. रामगढ़ ताल क्षेत्र का वेटलैंड भी इनके आगमन का केंद्र बना हुआ है. हालांकि यह क्षेत्र अब अशफाक उल्ला खां चिड़ियाघर का हिस्सा बन चुका है. यह करीब 30 एकड़ के क्षेत्रफल में फैला है.

गोरखपुर क्षेत्र में कुल 11 वन प्रभाग :सीएम योगी की पहल पर वर्ष 2021 में पहली बार वन विभाग ने वेटलैंड की गणना के साथ सारस की गणना भी कराई थी. इसमें सारस की संख्या इस क्षेत्र में बढ़ी मिली थी. गोरखपुर क्षेत्र में कुल 11 वन प्रभाग है. यहां पर पक्षियों का आना-जाना लगा हुआ है. अशफाक उल्ला खां चिड़ियाघर के वन्य जीव चिकित्सक डॉ. योगेश सिंह बताते हैं कि चिड़ियाघर के अंदर स्थित वेटलैंड को बेहद ही प्राकृतिक तरीके से मेंटेन किया जा रहा है. इसके साथ कोई भी छेड़छाड़ नहीं होती.

गोरखपुर में हैं कई वेटलैंड. (Photo Credit; ETV Bharat)

ये पक्षी आने लगे गोरखपुर :वन्य जीव चिकित्सक ने बताया कि पानी, घास, दलदल और कुछ उभरे हुए क्षेत्र इस वेटलैंड की खासियत हैं. ये इसकी खूबसूरती को बढ़ाते हैं. यहां पक्षी आकर्षित होकर पहुंचते हैं. पक्षियों को शांत वातावरण मिलता है. नवंबर के आखिरी सप्ताह से प्रवासी और स्थानीय पक्षियों का यहां आना शुरू हो जाता है. फिलहाल विस्लिंग डक, कामन कूट, कोचर्ड, सारस यहां आने शुरू हो गए हैं. धीरे-धीरे अन्य प्रकार के पक्षियों की संख्या और बढ़ेगी.

एक साथ उड़ान भरते हैं पक्षी. (Photo Credit; ETV Bharat)

मौसम प्रतिकूल होते ही चले जाते हैं वापस :उन्होंने बताया कि इन पक्षियों को यहां पूरी तरह से सुरक्षित माहौल मिलता है. यहां पर्याप्त खाने-पीने की चीजों की उपलब्धता होती है. प्रजनन का भी इन्हें माहौल मिलता है. उन्होंने बताया कि ये पक्षी जहां स्थायी रूप से रहते हैं वहां ठंड इनके अनुकूल नहीं रहती है, इसलिए वे उड़कर यहां चले आते हैं. इसके बाद जब यहां का मौसम इनके प्रतिकूल बन जाता है तो ये अपने प्रदेश लौट जाते हैं. इस समय वेटलैंड पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है.

भोजन के लिए मिलती हैं पर्याप्त मछलियां :वहीं गोरखपुर वन प्रभाव क्षेत्र की बात करें तो कुल 92 नदी, तालाब और पोखोरों की वजह से वेटलैंड का माहौल पक्षियों को खूब भाता है. पक्षियों को भोजन के लिए पर्याप्त मछलियां मिल जाया करती हैं. इससे उनका कुनबा बढ़ता रहता है. प्रवासी एशियन पक्षी ओपनबिल की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है. यह दक्षिण पूर्व एशिया में पाए जाते हैं. यह सारस की एक ही प्रजाति है. इनका भी प्रमुख भोजन मछली ही है.

प्रवासी पक्षियों को भा रहा गोरखपुर. (Photo Credit; ETV Bharat)

इन इलाकों में भी दिखाई देने लगे प्रवासी पक्षी :वन विभाग के उप प्रभागीय वन अधिकारी डॉ. हरेंद्र सिंह कहते हैं कि पिछले 3 वर्षों में सारस की जो संख्या बढ़ी है वह करीब 125 हो चुकी है. इसमें 116 वयस्क और अन्य बच्चे शामिल हैं. इसके बाद इनकी संख्या को बढ़ाने के लिए सीएम ने वेटलैंड यानी कि पानी से भरे जमीन को चिन्हित कर, उनकी निगरानी करते हुए पक्षियों के ठहराव की व्यवस्था करने का निर्देश दिया है. इसका अनुपालन किया जा रहा है. शिकार पर लगाम लगाने के लिए भी कई कदम उठाए गए हैं. कैंपियरगंज, सहजनवा क्षेत्र में इनकी अच्छी संख्या देखने को मिलती है. वहीं चिलुआताल, महाराजगंज, निचलौल बेल्ट में भी प्रवासी पक्षी बड़ी संख्या में दिखाई देते हैं.

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