जयपुर:भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में हुए कारगिल युद्ध का अंत 26 जुलाई को हुआ था, इसलिए हर साल इस दिन को कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है. कारगिल युद्ध में शहीद हुए जवानों को याद कर श्रद्धांजलि दी जाती है. आज हम आपको जयपुर के ऐसे कलाकार से रूबरू कराने जा रहे हैं, जो अपने अनोखे अंदाज में शहीदों को श्रद्धांजलि देता है और उसका यह सफर 25 साल पहले कारगिल युद्ध से ही शुरू हुआ था. हम बात कर रहे हैं जयपुर के कलाकार चंद्र प्रकाश गुप्ता की, जो तेल चित्र (पोट्रेट ) बनाने में माहिर हैं. चंद्र प्रकाश गुप्ता पिछले 25 साल से राजस्थान के शहीदों के पोट्रेट बनाकर उनके परिजनों को भेंट करते आ रहे हैं.
350 से अधिक शहीदों के बना चुके हैं तेल चित्र:गुप्ता अपने 25 साल के इस सफर में करीब 350 से अधिक शहीदों के पोट्रेट बनाकर उनके परिजनों को भेंट कर चुके हैं. उनका कहना है कि सभी लोग शहीदों को अपने-अपने तरीके से श्रद्धांजलि देते हैं और तेलचित्र बनाकर श्रद्धांजलि देना यह उनका अलग तरीका है. शहीद परिवार राजस्थान के किसी भी कोने में रहता हो, चंद्र प्रकाश गुप्ता स्वयं जाकर उनके परिजनों को यह पोट्रेट भेंट करते हैं.
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ऐसे हुई थी शुरुआत: चंद्र प्रकाश ने बताया कि 1999 में जब कारगिल युद्ध हुआ था तो शहीदों को सभी लोग अपने-अपने तरीके से श्रद्धांजलि दे रहे थे. मैंने भी सोचा कि मुझे भी अपनी तरफ से शहीदों को श्रद्धांजलि देनी चाहिए. उन्होंने कहा कि वह पोट्रेट बनाना जानते थे और शहीदों का पोट्रेट बनकर ही वे उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि दे सकते हैं. उस समय कारगिल युद्ध में राजस्थान के 72 जवान शहीद हुए थे. चंद्र प्रकाश गुप्ता ने उस समय 72 शहीदों के तेल चित्र बनाकर उन्हें उनके घर जाकर परिजनों को भेंट किए. गुप्ता ने पुलवामा में शहीद हुए राजस्थान के पांच जवानों के भी पोट्रेट बनाकर शहीद परिवारों को भेंट कर चुके हैं.
25 साल से शहीदों को पोर्ट्रेट बनाकर दे रहा श्रद्धांजलि (PHOTO ETV Bharat Jaipur) अपने पिता से यह कला सीखी थी:गुप्ता ने बताया कि आज पूरा देश कारगिल युद्ध की 25वीं वर्षगांठ बना रहा है. 25 साल पहले भारत के जवानों ने पाकिस्तान के नापाक इरादों को धूमिल कर दिया था और पहाड़ों पर बहादुरी से युद्ध लड़ते हुए कारगिल में विजय हासिल की थी. उस युद्ध में राजस्थान के भी जवान शहीद हुए थे. उस समय मैंने शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए उनके पोट्रेट बनाना शुरू किया था और आज इस काम को करते हुए 25 साल पूरे हो चुके हैं. यह मेरे लिए बहुत गर्व की बात है.
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अंतिम सांस तक देता रहूंगा श्रद्धांजलि:गुप्ता ने कहा कि जब तक मुझमें अंतिम सांस है, तब तक मैं इस मुहिम को जारी रखूंगा और इसी तरह से राजस्थान के शहीदों के पोट्रेट बनाकर उन्हें श्रद्धांजलि देता रहूंगा ताकि शहीद परिवारों को संबल मिलता रहे. उन्होंने कहा कि हमें शहीदों को स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस, कारगिल विजय दिवस पर याद करने की बजाय हमेशा याद रखना चाहिए और उन्हें अपने दिलों में बसाना चाहिए. शहीदों ने हमारे कल के लिए अपने आज को खोया है. ऐसे शहीदों को मैं नमन करता हूं.
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पूर्व राज्यपाल अंशुमान सिंह का था खास लगाव:अपने पुराने दिनों को याद करते हुए चंद्र प्रकाश गुप्ता ने बताया कि पूर्व राज्यपाल अंशुमान सिंह का उनसे खास लगाव था. राज्यपाल रहते हुए अंशुमान सिंह जब किसी शहीद की मूर्ति अनावरण जैसे कार्यक्रमों में जाते थे तो मुझे भी अपने साथ अपने विशेष विमान में साथ लेकर जाते थे. मैं करीब 17 से 18 बार उनके साथ गया था. उन्होंने कहा कि 1999 में जब अंशुमान सिंह राज्यपाल थे और अशोक गहलोत मुख्यमंत्री थे, उस समय मैंने राजभवन में एक कार्यक्रम भी करवाया था, जिसमें 11 शहीद परिवारों को बुलाया गया था. उस कार्यक्रम में 11 शहीदों के तेल चित्र (पोर्ट्रेट) बनाकर तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और राज्यपाल अंशुमान सिंह ने भेंट किए थे.
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गुप्ता को मिले कई पुरस्कार:जयपुर के पोर्ट्रेट कलाकार चंद्र प्रकाश गुप्ता अपने हुनर को लेकर कई बार राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर सम्मानित भी हो चुके हैं. उन्होंने बताया कि 2000 में उन्हें राष्ट्रपति केआर नारायण ने सम्मानित किया गया था. इसके अलावा 2001 में राजस्थान सरकार की ओर से उन्हें स्टेट अवार्ड भी मिला था. 2018 में राजस्थान बुक्स ऑफ रिकॉर्ड की ओर से राजस्थान एक्सीलेंस अवार्ड से भी उन्हें सम्मानित किया जा चुका है. इसके अलावा 'आजाद हिंद फौज' सम्मान से भी उन्हें नवाजा जा चुका है.