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नारायणी नदी की कटान में समा गए स्कूल, घर और मंदिर; खौफ के साये में जी रहे दर्जनों गांवों के लोग - Flood in Kushinagar

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jul 26, 2024, 7:29 PM IST

कुशीनगर (Flood in Kushinagar) में बड़ी गंडक नारायणी नदी उफान पर है. नदी में हो रही कटान के वजह से तटीय इलाकों में बसे गांवों के कई घर, स्कूल और मंदिर बाढ़ की भेंट चढ़ गए हैं.

उफान पर बड़ी गंडक नारायणी नदी.
उफान पर बड़ी गंडक नारायणी नदी. (Photo Credit: ETV Bharat)

कुशीनगर :नेपाल के पहाड़ों पर हो रही लगातार बारिश की वजह से कुशीनगर की बड़ी गंडक नदी नारायणी उफान पर है. अभी पानी का डिस्चार्ज कम होने से नारायणी नदी में कटान तेज हो गया है. इसके चलते नदी किनारे बसे दर्जनों गांवों के लोग दहशत में हैं. बैक रोलिंग के कारण कई घर, प्राइवेट स्कूल नदी में समा रहे हैं. वहीं बाढ़ नियंत्रण के कार्यों पर सवाल उठाते हुए पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने यूपी सरकार को घेरा है.

यूपी के कुशीनगर और बिहार की सीमा क्षेत्र में नारायणी नदी का रौद्र रूप देखने के मिल रहा है. बड़ी गंडक (नारायणी) नदी तटीय इलाकों में रहने वाले दर्जनों गांवों के लोगों के लिए आफत बन गई है. बाढ़ नियंत्रण को लेकर प्रशासन और अधिकारियों ने भले तमाम दावे किए हैं, लेकिन सारे दावे नदी की उफान में धराशायी होते नजर आ रहे हैं. हालात ऐसे हैं कि नदी में पानी कम होने के बाद कटान तेज हो गई है.

बाढ़ प्रभावित लोगों से बाचचीत करते पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू. (Photo Credit: ETV Bharat)

इससे नदी किनारे बने घरों के कटान में बहने के खतरा बढ़ गया है. कई गांवों में घर, मंदिर और स्कूल कटान के भेंट चढ़ चुके हैं. ग्रामीण बताते हैं कि नदी किनारे बैठकर नारायणी नदी के खौफ को देखने के अलावा कोई रास्ता नहीं दिखा रहा है. हालात ऐसे ही रहे, तो जल्द ही कई गांवों के लोग बेघर हो जाएंगे. बाढ़ खण्ड विभाग की ओर से किए जा रहे सारे प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं. नदी के बहाव को मोड़ने के लिए किए गए सारे प्रबंध पानी में समाहित हो चुके हैं.

बाढ़ पीड़ितों का हालचाल लेने पहुंचे पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने सरकार को घेरते हुए गंभीर आरोप लगाए हैं. लल्लू ने कहा कि बाढ़ राहत की धनराशि का खूब बंदरबांट किया गया है. यही कारण है कि बाढ़ नियंत्रण के इंतजाम नहीं किया जा सका है. शासन प्रशासन ने लोगों को बाढ़ से जूझने के लिए छोड़ दिया है.

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