वाराणसी: पूर्वांचल क्षेत्र में विकास को एक नई गति प्रदान करने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी ने 13 दिसंबर 2021 को बनास काशी संकुल की आधारशिला रखी थी. इस परियोजना को 2 साल में पूरा भी कर लिया गया और 23 फरवरी 2024 को अमूल बनास डेयरी प्लांट का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करेंगे. 1,00,000 से अधिक वाराणसी एवं पूर्वांचल के गोपालक और किसानों के इस जन-समारोह में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एवं राज्यपाल आनंदीबेन पटेल भी उपस्थित रहेंगी. इस कार्यक्रम की थीम 'पूर्वांचल के विकास में सहकार का प्रयास' है और इसमे प्रधानमंत्री पूर्वांचल के विकास की कुछ अन्य परियोजनाओं की भी चर्चा एवं लोकार्पण करेंगे.
वर्तमान में यूपी में बनास डेरी का दूध का कारोबार 47 जिलों (7 पूर्वाचल में) के 4,600 गांवों में फैला हुआ है. यह दूध संग्रहण अगले साल तक 70 जिलों के 7,000 गांवों तक विस्तारित हो जाएगा. इसमें पूर्वाचल में 15 नए जिलों का विस्तार भी शामिल है. पूर्वांचल में 600 से ज्यादा समितियां चालू हैं. इनकी संख्या वर्ष के अंत तक बढ़कर 2,600 हो जाएगी. बनास डेरी मौजूदा समय में यूपी में 3.5 लाख दूध उत्पादकों के साथ काम कर रही है. इनमें से 58 हजार दूध उत्पादक पूर्वांचल एंव वाराणसी के हैं. गांवों में व्यापक काम करके, बनास डेरी यूपी में 2 लाख अतिरिक्त दुग्ध उत्पादक परिवारों को जोड़ेगी. इनमें से 1 लाख पूर्वांचल और वाराणसी के अन्य जिलों से आएंगे.
पूर्वांचल में शुरू हुये विकास के अंतर्गत वर्तमान में ख़ुशीपुर, चोलापुर, मिर्ज़ापुर, ग़ाज़ीपुर और दूबेपुर में 5 चिलिंग सेंटर काम कर रहे हैं और अगले महीने तक 8 और चालू हो जाएंगे. यूपी में कुल मिलाकर, 29 चिलिंग सेंटर चालू हैं और साल के अंत तक यह बढ़कर 50 हो जाएंगे. इस बुनियादी ढांचे के माध्यम से वर्तमान में उत्तर प्रदेश से 19 लाख लीटर प्रतिदिन से अधिक दूध एकत्रित किया जा रहा है. इसमें औसतन 3 लाख लीटर प्रतिदिन दूध पूर्वांचल और वाराणसी से आ रहा है. उत्तर प्रदेश में इस साल के अंत तक यह संख्या बढ़कर प्रतिदिन 25 लाख लीटर हो जाएगी, जिसमें 7 लाख लीटर प्रतिदिन वाराणसी और पूर्वांचल से आएगा.