देहरादून:केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव का रण बीजेपी ने जीत लिया है. इस सीट पर बीजेपी का साख दांव पर लगी हुई थी. उपचुनाव में भले ही कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा हो, लेकिन कांग्रेस के लिए केदारनाथ उपचुनाव के नतीजे आगामी चुनावों में बेहतर करने का मौका देगी. हालांकि, मंगलौर और बदरीनाथ विधानसभा उपचुनाव को जीतने के बाद कांग्रेस को उम्मीद थी कि वह केदारनाथ उपचुनाव को भी जीत लेगी. लेकिन जनता ने कांग्रेस को नकारते हुए बीजेपी के सिर ताज सजाया है.
जीत से बीजेपी ने बचाई साख :उत्तराखंड केदारनाथ उपचुनाव जहां एक ओर भाजपा के लिए साख का सवाल बनी हुई थी तो वहीं यह उपचुनाव कांग्रेस के लिए एक संजीवनी देने का काम करती. हालांकि, उपचुनाव में भाजपा अपनी साख बचाने में तो कामयाब हो गई, लेकिन इस उपचुनाव में कांग्रेस को मिली करारी हार के बाद भी कांग्रेस के लिए यह चुनाव संजीवनी का काम करेगी.
कांग्रेसी नेताओं को एकजुट कर गया चुनाव:क्योंकि इस उपचुनाव के दौरान कांग्रेस के दिग्गज नेता ना सिर्फ एकजुट केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र में दिखाई दिए, बल्कि इस चुनाव को जीतने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी. भले ही कांग्रेस को केदारनाथ उपचुनाव में हार का सामना करना पड़ा हो, लेकिन ये उपचुनाव उनके नेताओं और कार्यकर्ताओं के एकजुट होकर चुनाव लड़ने की परंपरा को आगे बढ़ाने में कामयाब हो सकती है.
2022 में भाजपा ने जीता था केदारनाथ विधानसभा सीट:केदारनाथ विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस को जीत हासिल ना होना एक बड़ा फैक्टर ये था कि साल 2022 में भाजपा प्रत्याशी शैलारानी रावत इस सीट से विधायक चुनी गई थी. ऐसे में केदारनाथ विधानसभा सीट भाजपा की थी, जिस वजह से भी कांग्रेस को इस उपचुनाव में हार का सामना करना पड़ा है. हालांकि, इतना जरूर है कि साल 2022 से पहले साल 2017 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस प्रत्याशी मनोज रावत को केदारनाथ की जनता ने विधायक चुना था. लेकिन 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में मनोज रावत को करारी हार का सामना करना पड़ा था.
कांग्रेस प्रत्याशी मनोज रावत की सक्रियता कम:साल 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी मनोज रावत को करारी हार का सामना करना पड़ा. जिसके चलते केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र में मनोज रावत की सक्रियता काफी कम हो गई थी. वहीं जुलाई 2024 में केदारनाथ विधानसभा सीट से भाजपा विधायक शैला रानी रावत का निधन हो गया, उसके बाद कांग्रेस प्रत्याशी मनोज रावत की सक्रियता विधानसभा क्षेत्र में बढ़ी. ऐसे में एक वजह यह भी मानी जा रही है कि कांग्रेस प्रत्याशी मनोज रावत की सक्रियता क्षेत्र में काफी कम हो गई थी, लेकिन अचानक सक्रियता से जनता का रूख कांग्रेस प्रत्याशी की तरफ अधिक नहीं हो पाया.