रांचीः झारखंड में राजनीतिक कयासबाजी और अस्थिरता की तस्वीर जस की तस बनी हुई है. राजभवन से हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद सरकार बनाने का न्योता अभी तक झारखंड मुक्ति मोर्चा को नहीं आया है. हालांकि झारखंड मुक्ति मोर्चा ने चंपई सोरेन को अपना नेता चुन लिया. चंपई सोरेन ने सरकार बनाने के लिए विधायकों के सहमति का पत्र भी राज्यपाल को दे दिया है लेकिन अभी तक बुलावा नहीं आया है.
झारखंड में वर्तमान समय में जो राजनीतिक हालात बने हुए हैं उसमें यह बात भी कहीं जा रही है कि झारखंड संभवत राष्ट्रपति शासन की तरफ चल जाए. हालांकि अभी इस बात को पुख्ता स्थान नहीं मिला है. लेकिन जिस तरीके के राजनीतिक हालात बने हुए हैं फिलहाल राज्यपाल ने झामुमो को सरकार बनाने का निमंत्रण दिया नहीं और हेमंत सोरेन को गुरुवार को कोर्ट में पेश कर दिया गया. इसके बाद जो राजनीतिक हालात बने हैं उसे पर सबकी निगाहें राजभवन पर टिकी हुई हैं.
राजभवन को लेकर झारखंड हाई कोर्ट के अधिवक्ता धीरज कुमार ने कहा कि मुख्यमंत्री का इस्तीफा और अब तक राजभवन से स्थिति स्पष्ट नहीं होना यह बताता है कि राज्य में सरकार जैसी कोई व्यवस्था अब नहीं रह गई है. उन्होंने कहा कि चूंकि चंपई सोरेन के नेतृत्व में किए गए दावे पर राजभवन से स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई है, ऐसे में वर्तमान सरकार का कोई औचित्य नहीं रह गया है. अधिवक्ता धीरज कुमार ने कहा कि राज्यपाल संवैधानिक रूप से राज्य के कस्टोडियन हैं और वह इस पर मंथन कर रहे होंगे. ऐसा माना जा रहा है कि राजभवन जल्द ही इस पर कोई निर्णय ले लेगा.