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झारखंड में नहीं है संवैधानिक संकट, राज्यपाल के पास असीम शक्तियां! - झारखंड में सियासी संकट

Political crisis in Jharkhand. झारखंड में सियासी असमंजस बरकरार है. दावा पेश करने के बाद भी जेएमएम को राजभवन की ओर से सरकार बनाने का न्योता नहीं मिला है. हालांकि प्रदेश संवैधानिक संकट के बीच नहीं है. क्योंकि राज्यपाल के पास इससे उबरने के लिए असीम शक्तियां हैं.

Everyone waiting for decision of Raj Bhavan regarding Political crisis in Jharkhand
झारखंड में सियासी संकट

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Feb 1, 2024, 1:59 PM IST

रांचीः झारखंड में राजनीतिक कयासबाजी और अस्थिरता की तस्वीर जस की तस बनी हुई है. राजभवन से हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद सरकार बनाने का न्योता अभी तक झारखंड मुक्ति मोर्चा को नहीं आया है. हालांकि झारखंड मुक्ति मोर्चा ने चंपई सोरेन को अपना नेता चुन लिया. चंपई सोरेन ने सरकार बनाने के लिए विधायकों के सहमति का पत्र भी राज्यपाल को दे दिया है लेकिन अभी तक बुलावा नहीं आया है.

झारखंड में वर्तमान समय में जो राजनीतिक हालात बने हुए हैं उसमें यह बात भी कहीं जा रही है कि झारखंड संभवत राष्ट्रपति शासन की तरफ चल जाए. हालांकि अभी इस बात को पुख्ता स्थान नहीं मिला है. लेकिन जिस तरीके के राजनीतिक हालात बने हुए हैं फिलहाल राज्यपाल ने झामुमो को सरकार बनाने का निमंत्रण दिया नहीं और हेमंत सोरेन को गुरुवार को कोर्ट में पेश कर दिया गया. इसके बाद जो राजनीतिक हालात बने हैं उसे पर सबकी निगाहें राजभवन पर टिकी हुई हैं.

राजभवन को लेकर झारखंड हाई कोर्ट के अधिवक्ता धीरज कुमार ने कहा कि मुख्यमंत्री का इस्तीफा और अब तक राजभवन से स्थिति स्पष्ट नहीं होना यह बताता है कि राज्य में सरकार जैसी कोई व्यवस्था अब नहीं रह गई है. उन्होंने कहा कि चूंकि चंपई सोरेन के नेतृत्व में किए गए दावे पर राजभवन से स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई है, ऐसे में वर्तमान सरकार का कोई औचित्य नहीं रह गया है. अधिवक्ता धीरज कुमार ने कहा कि राज्यपाल संवैधानिक रूप से राज्य के कस्टोडियन हैं और वह इस पर मंथन कर रहे होंगे. ऐसा माना जा रहा है कि राजभवन जल्द ही इस पर कोई निर्णय ले लेगा.

हालांकि इस बारे में पूछे जाने पर वरिष्ठ आईएएस और झारखंड सरकार के मुख्य सचिव रहे विजय शंकर दुबे ने कहा कि राज्यपाल के पास यह अधिकार निश्चित है कि ऐसी किसी स्थिति में वह सरकार चलाने में सक्षम होते हैं. हेमंत सोरेन को गिरफ्तार कर लेने के बाद शायद राज्यपाल इस पर कोई निर्णय ले हालांकि राज्यपाल के पास असीम शक्तियां होती हैं. ऐसे में राज्य में कोई संवैधानिक संकट खड़ा होगा यह नहीं कहा जा सकता. इस बाबत झारखंड के पूर्व मुख्य सचिव विजय शंकर दुबे ने कहा कि इस बात का इंतजार करना चाहिए कि राज्यपाल क्या निर्णय लेते हैं. लेकिन जो स्थिति झारखंड में है किसी तरह का कोई संवैधानिक संकट या राज्य को चलाने में कोई दुश्वरी नहीं होगी. क्योंकि राज्यपाल के पास ऐसी शक्तियां हैं, जिसमें वह किसी को भी नामित कर सकते हैं. हालांकि राज्य के मुख्य सचिव इस बात के लिए सक्षम होते हैं कि राज्य की विधि व्यवस्था और अन्य व्यवस्थाओं को सुचारू ढंग से चला सकें.

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