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मैदान ए 2024 के लिए तैयार हैं भाकपा माले के राजकुमार, कहा - लेफ्ट के बगैर भाजपा को पटखनी नहीं दे पाएगा इंडिया गठबंधन - Jharkhand Assembly Election

Dhanwar Assembly Seat. धनवार विधानसभा सीट काफी हॉट सीट मानी जाती है. इस सीट पर हार जीत का फैसला भाकपा माले के साथ ही होता है. पिछले 6 विधानसभा चुनाव से भाकपा माले इस सीट पर राजकुमार यादव को प्रत्याशी बनती रही है. एक बार राजकुमार यादव जीते भी हैं. इस बार भी राजकुमार ने चुनाव की पूरी तैयारी कर रखी है. ईटीवी भारत संवाददाता ने राजकुमार यादव से बात की.

Dhanwar Assembly Seat
पूर्व विधायक राजकुमार यादव (ईटीवी भारत)

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Sep 27, 2024, 5:47 PM IST

गिरिडीह: धनवार के पूर्व विधायक सह भाकपा माले नेता राजकुमार यादव ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी को यदि हराना है तो इंडिया गठबंधन को लेफ्ट को साथ में लेकर चलना होगा. ईटीवी भारत संवाददाता के साथ खास बातचीत में पूर्व विधायक राजकुमार ने बताया कि वह चुनाव की तैयारी में पिछले 5 सालों से जुड़े हुए हैं. इस दौरान लगातार लोगों की समस्या को लेकर वे सड़क पर उतरते रहे. यहां के लोगों की समस्याओं को अधिकारियों के पास रखा. कई समस्याओं का निदान भी करवाया है. जनता को जब भी उनकी जरूरत महसूस हुई वे जनता के साथ खड़े रहे. उन्होंने कहा कि धनवार सीट पर बाबूलाल मरांडी को हराना है तो वह काम सिर्फ और सिर्फ भाकपा माले ही कर सकती है.

उन्होंने कहा कि धनवार विधानसभा की तैयारी के तहत गांव चलो सम्पर्क अभियान चल रहा है. आमलोगों का समर्थन भी मिल रहा है. बूथ कमेटी का निर्माण शुरू कर दिया गया है. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी पांच सालों से यहां के विधायक हैं. बाबूलाल मरांडी कहते हैं कि तिसरी को पहली दुनिया बनायेंगे लेकिन इन्होंने तो तिसरी को चौथी दुनिया में पहुंचा दिया. इनके द्वारा एक भी जनहित का काम नहीं किया गया. आज भी तिसरी-गावां की कई सड़कें बदहाल है. आज भी आदिवासियों की बुनियादी समस्या जस की तस है. तीस प्रतिशत आदिवासी गांवों में सड़क नहीं है. जो सड़क बनी है वह मेरे कार्यकाल में बनी है. सड़क के अभाव में यहां आदिवासी महिला की मौत हो गई. बाबूलाल को पांच साल में 25 करोड़ मिला, लेकिन काम कहीं दिखता नहीं. बाबूलाल ने आमलोगों से मतलब ही नहीं रखा.

पूर्व विधायक राजकुमार यादव से खास बातचीत करते संवाददाता अमरनाथ सिन्हा (ईटीवी भारत)

केंद्र चाहती तो ढिबरा चालू हो जाता

राजकुमार यादव ने कहा कि जब वे विधायक थे तो उन्होंने ढिबरा का मुद्दा उठाया था. एक डंप भी बना था. 2019 में सांसद भी भाजपा का बना तो वहीं बाबूलाल विधायक बने. ढिबरा को वैध करने की बात कही. पीएम जब चुनाव के दौरान इस क्षेत्र में आए तो उन्होंने ने भी कहा कि ढिबरा को वैध किया जायेगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. सांसद विधायक ने इस मुद्दे को सदन में उठाया ही नहीं. केंद्र सरकार रातों रात नोटबंदी कर देती है तो ढिबरा को लीगल करने का काम भी मिनटों में हो सकता है.

राजकुमार यादव ने कहा कि उनके द्वारा पावर ग्रिड लाया गया है. ग्रिड बनकर तैयार है सिर्फ 18 किमी का एनओसी वन विभाग से मिलना बाकी है. वर्तमान सांसद - विधायक चाहते तो एनओसी मिल सकता था और लोगों को निर्बाध बिजली भी मिलती लेकिन इन्हें तो सिर्फ मुख्यमंत्री की कुर्सी चाहिए जनता के दुख दर्द से इनका कोई सरोकार नहीं है.

1995 में पहली दफा लड़े थे चुनाव

यहां बता दें कि 1995 के बिहार विधानसभा चुनाव में धनवार विधानसभा सीट पर पहली दफा भाकपा माले के टिकट पर राजकुमार यादव उम्मीदवार बने. यहां जनता दल के गुरुसहाय महतो, कांग्रेस के दिग्गज नेता तिलकधारी प्रसाद सिंह, भारतीय जनता पार्टी के रणनीतिकार कहे जाने वाले जगदीश प्रसाद कुशवाहा के अलावा क्षेत्र के दिग्गज नेता माने जानेवाले हरिहर नारायण प्रभाकर के सामने भाकपा माले ने राजकुमार को उम्मीदवार बनाया. चुनाव हुआ और राजकुमार पांचवे नंबर पर रहे. इस विधानसभा चुनाव में गुरुसहाय महतो को 38604 मत, टीडी सिंह को 22982, जगदीश प्रसाद कुशवाहा को 15036, झामुमो के उमचरण साव को 13248 तो राजकुमार यादव को महज 6704 मत मिला.

2000 में बढ़ा ग्राफ

1995 के विपरीत 2000 के चुनाव तक इस विधानसभा सीट पर भाकपा माले के राजकुमार स्थापित नेता बन चुके थे. इस चुनाव ने यह साबित भी कर दिया. 2000 के बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा ने डॉ रविन्द्र राय, झामुमो ने निजामुद्दीन अंसारी, राजद ने गुरुसहाय महतो को उम्मीदवार हुआ. टक्कर जोरदार थी और इस चुनावी भिड़ंत में जीत भाजपा के रविन्द्र की हुई, लेकिन राजकुमार यादव ने रविन्द्र राय को सीधी टक्कर दी. इस चुनाव में रविन्द्र राय को 34145 मत तो राजकुमार को 31304 मत मिला. मतलब राजकुमार यह चुनाव महज 2841 वोट से हार गए.

2005 में जीत से रहे गए 3334 वोट दूर

झारखंड गठन के बाद पहला चुनाव 2005 में हुआ. 2005 में भाजपा ने फिर से रविन्द्र कुमार राय को अपना उम्मीदवार बनाया. वहीं रविन्द्र के सामने राजकुमार यादव ने माले की टिकट पर ताल ठोंक दी. जबकि झामुमो ने भी फिर से निजामुद्दीन अंसारी को अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया. मतदान हुआ लेकिन इस बार भी जीत का सेहरा भाजपा के रविन्द्र के सिर पर चढ़ा. 2000 की तरह 2005 में राजकुमार यादव दूसरे स्थान पर रहे. इस चुनाव में रविंद्र को 42357, दूसरे स्थान पर रहे राजकुमार यादव को 39023 मत मिला. इस बार महज 3334 वोट से राजकुमार हार गए.

2009 में भी रनर रहे राजकुमार

2009 का विधानसभा चुनाव इस चुनाव में फिर भाजपा, भाकपा माले, झामुमो के साथ झाविमो के उम्मीदवार मैदान में थे. भाजपा ने रविन्द्र राय, माले ने राजकुमार यादव को तो झामुमो छोड़ चुके निजामुद्दीन अंसारी को जेवीएम ने मैदान में उतारा. इस बार के चुनाव में भाजपा के रविन्द्र पिछड़ गए और टक्कर माले - जेवीएम में हो गई लेकिन यहां भी महज 4973 मत से राजकुमार को हार मिली. इस चुनाव में जेवीएम के निजामुद्दीन ने 50392 मत लाकर जीत हासिल की. जबकि राजकुमार को 45419 मत मिला.

2014 में बाबूलाल को दी मात, बने विधायक

2014 का चुनाव कई मायने में अलग था. इस बार के चुनाव में जेवीएम से खुद बाबूलाल मरांडी मैदान में थे. जबकि बीजेपी ने पूर्व आईजी लक्ष्मण प्रसाद सिंह को मैदान में उतारा. वहीं भाकपा माले ने लगातार पांचवी दफा राजकुमार यादव को प्रत्याशी बनाया. इस चुनाव में राजकुमार का साथ वोटरों ने दिया तो पहली दफा वे विधायक भी बने. इस चुनाव में राजकुमार को 50634 तो बाबूलाल को 39922 मत मिला. इस तरह 2014 में राजकुमार 10712 वोट से जीत गए.

बाबूलाल ने लिया हार का बदला

2019 में राजकुमार फिर से मैदान में थे. यहां इनके सामने एक बार जेवीएम से बाबूलाल मरांडी, भाजपा के लक्ष्मण प्रसाद सिंह, जेएमएम के निजामुद्दीन अंसारी तो निर्दलीय अनूप सोंथालिया मैदान में थे. इस बार बाबूलाल ने बाजी मार ली. बाबूलाल को 52352, बीजेपी के लक्ष्मण को 34802 मत मिला. इस चुनाव में राजकुमार 32245 वोट लाकर तीसरे स्थान पर रहे.

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