लखनऊ: यूपी में गाड़ियों के नंबर प्लेट के गोरखधंधे पर ईटीवी भारत की खबर का एक बार फिर असर (ETV Bharat Impact) हुआ है. दुर्घटनाग्रस्त गाड़ियों (crashed vehicle) की नंबर प्लेट (number plate) लगाकर खनन कर रही गाड़ियों और एक ही दिन में एक ही नंबर की गाड़ी पर खनन विभाग की ओर से कई-कई बार फार्म EMM11 जारी करने के मामले में परिवहन विभाग ने जांच के आदेश दिए हैं. वहीं इस गड़बड़झाले में बराबर के जिम्मेदार खनन विभाग मौन साधे है, जबकि इस गोरखधंधे का पूरा ब्यौरा खनन विभाग की वेबसाइट पर ही उपलब्ध है. और उसे कोई भी आसानी से देख सकता है. हैरान करने वाली बात यह है कि खनन विभाग में गाड़ियों की रॉयल्टी कटते वक्त वीडियोग्राफी भी होती है. बावजूद इसके विभाग इसे रोकने के लिए कोई कारगर प्रयास करता दिखाई नहीं दे रहा है.
ईटीवी भारत की पड़ताल से खुलासाईटीवी भारत ने अपनी पड़ताल में पाया था कि ऐसी कई गाड़ियां हैं, जो दुर्घटना में बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई थीं और चलने फिरने के काबिल भी नहीं थीं, फिर भी उन गाड़ियों के नंबर पर खनन विभाग एक ही दिन में कई-कई बार रॉयल्टी काट दे रहा है. यही नहीं पड़ताल में ऐसे भी मामले पता चले कि एक ही दिन में 300 किलोमीटर की दूरी तक मौरंग ले जाने वाले ट्रक खदान से उसी दिन कई-कई बार चक्कर लगा रहे हैं. इससे साबित हो रहा है कि इसमें फर्जी नंबर प्लेटों का इस्तेमाल हो रहा था. एक ट्रांसपोर्टर ने तो आरोप यहां तक लगाए कि, उसकी एक गाड़ी पर एक ही दिन में 13 रॉयल्टी काटी गई है. यानी एक ही गाड़ी खनन वाले जिले से दूसरे जिले के लिए दिन भर में 13 चक्कर लगाती है, जो असंभव है.
अपर परिवहन आयुक्त ने दिए जांच के आदेश इस मामले में अपर परिवहन आयुक्त (प्रवर्तन) पुष्पसेन सत्यार्थी ने पत्र जारी कर संबंधित आरटीओ को कार्रवाई कर रिपोर्ट करने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने अपने पत्र में ईटीवी भारत की खबर का हवाला देते हुए लिखा है कि 'जो ट्रक औरैया में दुर्घटना में जल जाने के बावजूद फर्राटा भरते पाया गया है, उसकी जांच की जाए. कई गाड़ियों में हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट भी नहीं है. उस ट्रांसपोर्ट गाड़ी के मामले में तकनीकी अधिकारी आरआई के साथ ज्वाइंट चेकिंग में वाहन की चेसिस और इंजन नंबर की भी जांच कर कार्रवाई करें. साथ ही मामले में सख्त कार्रवाई किए जाने की आवश्यकता है.
चंद्रभूषण सिंह, परिवहन आयुक्त
कार्रवाई करने के मामले में खनन विभाग की भूमिका संदिग्धइस पूरे गोरखधंधे में खनन विभाग की भी अहम भूमिका मानी जा रही है. जानकारों की माने तो चूंकि यह अधिकांश प्रकरण मौरंग खनन और खदानों से जुड़े हैं. इसलिए खनन विभाग को भी ध्यान देना चाहिए कि आखिर एक दिन में एक ही गाड़ी 200-300 किलोमीटर की दूरी तय करके कई चक्कर कैसे लगा सकती है. इस विषय में जब खनन निदेशक माला श्रीवास्तव से बात करने के लिए फोन किया गया, तो उन्होंने सवाल सुनते ही फोन काट दिया. बाद में वाट्सएप पर सवाल पूछे जाने पर जवाब की बजाय उन्होंने अपने अधीनस्थ संयुक्त निदेशक अमित को फोन कराया. अमित जी ने पूरे प्रकरण की जानकारी तो ली पर वह इस विषय में क्या कर रहे हैं, नहीं बताया, बल्कि उन्होंने भी अपने अधीनस्थ खनन अधिकारी राजेश कुमार का नंबर भेज दिया. कई बार प्रयास करने के बाद राजेश कुमार से बात हुई, तो उन्होंने बताया कि इसके लिए कई स्तर पर काम करने की जरूरत है. तकनीकी तौर पर सुधार कराने के बाद ही ऐसे मामलों पर काबू पाए जाने की बात भी उन्होंने कही. उन्होंने कहा कि 'आप जिन विषयों को संज्ञान में लाए हैं, उनकी जांच की जाएगी.' हालांकि इतने बड़े घोटाले पर खनन विभाग के उच्चाधिकारियों का संज्ञान न लेना यह बताता है कि, या तो विभाग मिलीभगत से यह सब हो रहा है, या विभाग कुछ करना ही नहीं चाहता.
पुष्पसेन सत्यार्थी, अपर परिवहन आयुक्त (प्रवर्तन) झांसी, कानपुर और लखनऊ आरटीओ को सख्त निर्देश
परिवहन आयुक्त चंद्रभूषण सिंह ने कहा कि यह मामला काफी गंभीर है. हमने प्रकरण में गंभीरता से जांच करने के आदेश दिए हैं. जिन जिलों से इस तरह का काम हो रहा है, वहां के आरटीओ जांच करेंगे और कार्रवाई जरूर होगी.
अपर परिवहन आयुक्त (प्रवर्तन) पुष्पसेन सत्यार्थी ने कहा कि ट्रकों की फर्जी नंबर प्लेट के मामले में संबंधित आरटीओ को आदेश जारी कर दिए हैं. झांसी से जो ट्रक लोड होकर रवाना हुए उसके लिए झांसी, कानपुर और लखनऊ आरटीओ को निर्देशित किया गया है कि वह गंभीरता से जांच करें. दोषियों के खिलाफ एक्शन लें.
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