लखनऊ : समाजवादी पार्टी की विधायक ने हाल ही में विधानसभा सत्र के दौरान एक ऐसा सवाल पूछा जो परिवहन विभाग के गले की फांस बन गया. विधायक पिंकी सिंह यादव ने सदन में सवाल कर जानकारी मांगी थी कि ड्राइविंग लाइसेंस के लिए जो मेडिकल लगता है, कहां से बनता है और मेडिकल बनवाने की क्या व्यवस्था है? साथ ही किन डॉक्टरों से मेडिकल बनवाया जाता है. अब इस पर परिवहन विभाग में खलबली मची तो प्रदेश भर में अधिकृत डॉक्टर ही मेडिकल के लिए नियुक्त कराए जाने की तैयारी है. एक जिले में पांच डॉक्टर नियुक्त किए जा सकते हैं. इन्हीं डॉक्टर को परिवहन विभाग लॉगिन आईडी देगा. इस लॉगिन आईडी पर डॉक्टर ही मेडिकल अपलोड करेंगे. यही मेडिकल सर्टिफिकेट मान्य होगा. अधिकृत डॉक्टर से मेडिकल जारी होने के बाद ही ड्राइविंग लाइसेंस जारी हो सकेंगे. अभी कोई भी डॉक्टर मेडिकल बना देता है और उससे काम हो जाता है. जिसमें बहुत धांधली हो रही है.
जल्द ही नियुक्त होंगे मेडिकल अफसरःनिवर्तमान अपर परिवहन आयुक्त (आईटी) देवेंद्र कुमार ने सभी सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी (प्रशासन), लाइसेंसिग प्राधिकारी ने पत्र जारी करते हुए अवगत कराया था कि सारथी पोर्टल पर मेडिकल अफसरों की लॉगिन आईडी बनाई जाएं. अब एक बार फिर से इस आदेश को सख्ती से लागू करने की तैयारी हो रही है. जल्द ही सीएमओ मेडिकल के लिए मेडिकल ऑफिसर नियुक्त करेंगे. चिकित्साधिकारी ऑनलाइन प्रमाण पत्र ही जारी करेंगे. इसके लिए उन्हें सारथी पोर्टल पर लॉगिन आईडी मुहैया कराई जाएगी.
कब पड़ती है मेडिकल सर्टिफिकेट की जरूरतःबता दें कि 50 साल या उससे ज्यादा आयु के व्यक्तियों के लिए ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए मेडिकल प्रमाण पत्र की जरूरत होती है. साथ ही व्यावसायिक लाईसेंस बनवाने और लाइसेंस के नवीनीकरण के लिए मेडिकल प्रमाण पत्र की आवश्यकता होती है. विशेष परिस्थितियों में शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्तियों के डीएल बनने में भी मेडिकल प्रमाण पत्र लगता है. ऐसे में आवेदक मेडिकल प्रमाण पत्र बनवाने के लिए अस्पतालों के चक्कर लगाते रहते हैं और उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ता है. कई बार तो ऐसा भी सामने आया कि कई आवेदक फर्जी प्रमाण पत्र भी सहायक संभागीय कार्यालय में जमा करा देते थे, लेकिन अब इस पर रोक लगाने की कोशिश की जा रही है.