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ईएमई कोर सेवानिवृत्त सैनिक संगठन ने की छात्रों को स्मार्टफोन देने की पैरवी, सरकार से साइबर ठगी रोकने की मांग

ईएमई कोर सेवानिवृत्त सैनिक संगठन ने सरकार से की शिक्षा पद्धति में बदलाव की मांग, बच्चों को क्रिएटिव स्मार्टफोन देने को कहा

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : 4 hours ago

Updated : 3 hours ago

EDUCATIONAL SMARTPHONES TO STUDENTS
ईएमई कोर सेवानिवृत्त सैनिक संगठन स्थापना दिवस (Photo- ETV Bharat)

देहरादून: ईएमआई कोर सेवानिवृत्त गैर राजनीतिक सैनिक संगठन ने शिक्षा पद्धति में बदलाव करते हुए कक्षा 1 से 12 तक के बच्चों और छात्रों को स्मार्टफोन दिए जाने और सरकार से साइबर ठगी रोकने की मांग उठाई है. पूर्व सैनिकों का यह गैर राजनीतिक संगठन समय-समय पर जनता से जुड़ी मांगें उठाता आ रहा है.

शिक्षा पद्धति में बदलाव की मांग: अपने स्थापना दिवस के मौके पर पूर्व सैनिक संस्था के संस्थापक और संरक्षक वेटरन आरएन असवाल का कहना है कि केंद्र सरकार और राज्य सरकार को शिक्षा पद्धति में बदलाव करना चाहिए. साथ ही ठोस शिक्षा नियमावली बनानी चाहिए, क्योंकि आधुनिक वैज्ञानिक डिजिटल युग में बच्चों के बीच मोबाइल की प्रवृत्ति दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. हर बच्चा स्मार्टफोन रखने का आदी हो चुका है. इससे उसके मन मस्तिष्क पर बाल्यकाल से गहरा दुष्प्रभाव पड़ रहा है.

ईएमई कोर सेवानिवृत्त सैनिक संगठन का स्थापना दिवस (Video- ETV Bharat)

छात्रों को शिक्षा संबंधित स्मार्टफोन देने की मांग: ऐसे में उनका मानना है कि कक्षा 1 से कक्षा 12 तक पढ़ने वाले हर विद्यार्थी को सरकार की तरफ से अनिवार्य निशुल्क ऐसा स्मार्टफोन उपलब्ध कराना चाहिए जिसमें मात्र तीन भाषाएं हिंदी, अंग्रेजी वह क्षेत्रीय भाषा का सॉफ्टवेयर हो. उस फोन में सिर्फ शिक्षा वर्ग अनुसार उनके विषयों के ज्ञान और खेल मनोरंजन क्षेत्रीय भाषा में क्षेत्रीय संस्कृति, इतिहास, संस्कार, संगीत कला, आम जीवन की गतिविधियों के सॉफ्टवेयर के अलावा कोई भी अन्य सॉफ्टवेयर अपलोड नहीं हो. पूर्व सैनिक संस्था का कहना है कि सरकारी और गैर सरकारी सभी स्कूल कॉलेज में सिर्फ उसी फोन को रखने की अनुमति हो.

साइबर ठगी में बैंकों को उत्तरदाई बनाने की मांग: पूर्व सैनिकों का कहना है कि हर दिन साइबर ठगी के मामले बढ़ते जा रहे हैं, लेकिन संबंधित बैंक शाखाएं पीड़ित की कोई मदद नहीं करती और ना ही साइबर ठगी का शिकार होने वाले का सही मार्गदर्शन किया जाता है. इसका शिकार व्यक्ति दर-दर की ठोकरें खाता है. जनता की गाढ़ी कमाई के पैसों को लूट करने वाले साइबर क्राइम जालसाजों तक साइबर जांच एजेंसियों का नहीं पहुंच पाना डिजिटल युग में सरकार की नाकामी को दर्शाता है. इसलिए सरकार को शीघ्र रिजर्व बैंक व खाताधारक की बैंक शाखाओं को सेवा नियमावली के आधार पर उत्तरदाई बनाया जाए. ऐसे विषयों को सुलझाने की समय सीमा भी सुनिश्चित की जाए, जिससे पीड़ित की मेहनत की गाढ़ी कमाई उनके खातों में वापस लाई जा सके.
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