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बिहार में 'बदलाव' का दावा करने वाले प्रशांत किशोर पहली परीक्षा में फेल, BJP-JDU ने दी ये सलाह - ELECTION RESULT

बिहार में हुए उपचुनाव में प्रशांत किशोर की पार्टी को सभी सीटों पर हार मिली है, जिसके बाद उनकी रणनीति पर सवाल उठने लगे हैं.

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प्रशांत किशोर. (ETV Bharat)

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Nov 23, 2024, 5:58 PM IST

Updated : Nov 23, 2024, 8:48 PM IST

पटनाः बिहार की राजनीति में 'बदलाव' और 'विकल्प' का दावा लेकर उतरे प्रशांत किशोर पहली बड़ी परीक्षा में अपेक्षित प्रदर्शन नहीं कर सके. एक साल से अधिक समय तक पदयात्रा करने के बाद पार्टी का गठन कर प्रशांत किशोर ने खुद को एक गंभीर खिलाड़ी के रूप में पेश करने की कोशिश की. लेकिन, उपचुनाव के नतीजों ने उनके दावों पर सवाल खड़े कर दिए. चार में से सिर्फ एक सीट पर उनके उम्मीदवार की जमानत बची है, जिसके बाद विरोधी दल तंज कस रहे हैं.

"प्रशांत किशोर उपचुनाव में बुरी तरह से फेल हुए. जीत का दावा करने वाले प्रशांत किशोर सिर्फ एक सीट पर जमानत बचा पाए. बाकी के तीन सीट पर उनके उम्मीदवार जमानत भी नहीं बचा पाए. दो सीटों पर तो 5% से कम वोट मिला है. प्रशांत किशोर को भविष्य में गठबंधन की सियासत का रुख करना पड़ेगा, नहीं तो नतीजा ऐसे ही होंगे."- डॉक्टर संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक

प्रशांत किशोर. (ETV Bharat)

विरोधी दल ने कसा तंज: भाजपा प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने कहा है कि प्रशांत किशोर वोट कटवा साबित हुए. बिहार की जनता ने इन्हें उपचुनाव में ही खारिज कर दिया. प्रशांत किशोर को फिर से रणनीति बनाने के काम में लग जाना चाहिए. हालांकि बिहार हारने के बाद प्रशांत किशोर को अब रणनीति बनाने का काम भी नहीं मिलेगा. जदयू प्रवक्ता निहोरा यादव ने कहा कि प्रशांत किशोर बैनर पोस्टर लगाने वाले लोग हैं. उपचुनाव में महिलाओं ने औकात बता दिया.

"प्रशांत किशोर शराबबंदी खत्म करने की बात कह रहे थे और उसी का जवाब प्रशांत किशोर को उपचुनाव में मिला है. प्रशांत किशोर भविष्य में बिहार की राजनीति में प्रासंगिक नहीं हैं. अब उन्हें पुराने रास्ते पर चले जाना चाहिए. बिहार की जनता ने उन्हें खारिज कर दिया है."- निहोरा यादव, जदयू प्रवक्ता

प्रशांत किशोर. (फाइल फोटो) (ETV Bharat)

PK को जोर का झटकाः 2 अक्टूबर 2024 को राजनीतिक पार्टी बनाने वाले प्रशांत किशोर को चुनाव में जोर का झटका लगा है. चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर पिछले 1 साल से बिहार के अंदर पदयात्रा कर रहे थे. दल के गठन के साथ ही प्रशांत किशोर ने उपचुनाव में कूदने का फैसला लिया. चारों सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए. उपचुनाव में प्रशांत की पार्टी जनसुराज को जमानत बचाने के लिए संघर्ष करना पड़ा.

उम्मीदवार पर विवादः प्रशांत किशोर अपने भाषण में तेजस्वी यादव की शिक्षा पर सवाल उठाते थे. उन्होंने तय किया था कि उनका उम्मीदवार पढ़ा लिखा होगा. प्रशांत किशोर ने उपचुनाव में चार सीटों पर जो उम्मीदवार दिये वो इंटर या उससे कम शिक्षा हासिल करने वाले थे. इमामगंज के उम्मीदवार के डॉक्टर होने पर विवाद खड़ा हो गया था. वो ग्रामीण चिकित्सक था. विपक्ष ने प्रशांत किशोर के उम्मीदवार को लेकर सवाल उठाये थे. प्रशांत किशोर को ऐसी कोई भी उम्मीदवार नहीं मिला जिसने ग्रेजुएशन तक शिक्षा हासिल की थी.

कास्ट इक्वेशन तोड़ने में नाकामः प्रशांत किशोर, अक्सर अपनी सभाओं में लोगों से कहते थे कि जात पात देखकर वोट मत कीजिए. उपचुनाव में दावा किया था कि शानदार प्रदर्शन करेंगे और दोनों ही गठबंधन को औकात बताने का काम करेंगे. प्रशांत किशोर ने कहा था कि बिहार में जाति पाती की सियासत को तोड़ने में कामयाब होंगे. हालांकि बाद में प्रशांत किशोर ने भी जाति के आधार पर अपने प्रत्याशी खड़े किए.

प्रशांत किशोर. (फाइल फोटो) (ETV Bharat)

तीन सीटों पर जमानत जब्तः प्रशांत किशोर की पार्टी सिर्फ एक सीट पर जमानत बचा सकी. इमामगंज के उम्मीदवार जितेंद्र पासवान जमानत बचाने में कामयाब हुए. जितेंद्र पासवान ने 37 हजार से अधिक वोट प्राप्त किया. तीसरे स्थान पर रहे. जितेंद्र पासवान को 22.63% वोट हासिल हुआ. वहीं तरारी विधानसभा सीट पर किरण देवी को मात्र 5,662 वोट मिला. इन्हें 3.48% मत मिले. बेलागंज में मोहम्मद अमजद को 17,285 वोट मिला. 10.66% वोट हासिल हुआ. रामगढ़ में सुशील कुशवाहा को मात्र 6513 वोट मिला जो 3.87% है.

जमानत बचाने के लिए कितना वोट जरूरीः बता दें कि जमानत बचाने के लिए 16% वोट हासिल करना होता है. किसी विधानसभा क्षेत्र में जितने मतदान हुए उतने वोटों का 16% या 1/6 मत अगर हासिल होता है तो प्रत्याशी जमानत बचा लेता है. इससे कम मत हासिल होने पर प्रत्याशी की जमानत राशि जब्त कर ली जाती है.

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Last Updated : Nov 23, 2024, 8:48 PM IST

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