वाराणसी: पूर्वांचल की 20 से ज्यादा सीटों पर 25 मई और 1 जून को वोट पड़ने वाले हैं. यह वह सीटें हैं जहां बीजेपी का दबदबा है और दो बार से भारतीय जनता पार्टी पूर्वांचल की कुछ सीटों पर लगातार जीत रही है. इनमें से चार ऐसी सीटें हैं जहां पर भारतीय जनता पार्टी और उनके प्रत्याशी हैट्रिक लगाने की तैयारी कर रहे हैं. इसमें सबसे पहले वाराणसी यानी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकसभा क्षेत्र की सीट आती है.
उसके बाद चंदौली केंद्रीय मंत्री महेंद्र नाथ पांडेय, मिर्जापुर से केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल बीजेपी के सीनियर लीडर और वर्तमान में बीजेपी सांसद रविंद्र कुशवाहा की सलेमपुर सीट आती हैं. इन चार सीटों पर भारतीय जनता पार्टी हैट्रिक लगाने की तैयारी में है, लेकिन क्या है इन पूर्वांचल की सीटों का समीकरण और क्यों लगातार दो बार के बाद तीसरी बार भी बीजेपी यहां जीत का दम भर रही है यह जानना जरूरी है.
इस बारे में पॉलिटिकल एक्सपर्ट रत्नेश राय का कहना है कि पूर्वांचल में वाराणसी संसदीय सीट पर 2014 में भारतीय जनता पार्टी से सांसद चुने गए. नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने और उसके बाद 2019 में फिर से उन्होंने जीत दर्ज की. भारतीय जनता पार्टी ने तीसरी बार भी उनको ही वाराणसी से प्रत्याशी बनाया.
ऐसे ही भरोसा करते हुए भाजपा पूर्वांचल की तीन और सीटों पर हैट्रिक की तैयारी में है. इसमें चंदौली से भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय, सलेमपुर से रविंद्र कुशवाहा और मिर्जापुर से अपना दल एस की अनुप्रिया पटेल प्रत्याशी बनी हैं. इन सभी सीटों पर बीजेपी जीत फाइनल मान रही है.
रत्नेश राय का कहना है कि जीत की संभावना इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि 2014 में मोदी लहर और 2019 में 5 साल में किए गए तमाम डेवलपमेंट के कामों ने दूसरी बार उन्हीं लोगों को मौका दिया जिन्होंने 2014 में जीत दर्ज की थी. इस बार भी कामों का असर कहीं ना कहीं इन सीटों पर पड़ता दिखाई दे रहा है.
इसके अलावा बलिया, आजमगढ़, मछली शहर और भदोही की सीट भी हैं. जहां भारतीय जनता पार्टी अपने पुराने प्रत्याशी पर ही भरोसा जता चुकी है. इन सीटों पर बीजेपी हैट्रिक की तैयारी में है, लेकिन प्रत्याशी बदले हैं.
रत्नेश राय का कहना है कि गाजीपुर, घोसी, लालगंज और जौनपुर ऐसी सीटें हैं, जहां पर कभी किसी दल या प्रत्याशी को हैट्रिक का मौका नहीं मिल पाया है. पॉलिटिकल एक्सपर्ट रत्नेश राय का कहना है कि रॉबर्ट्सगंज में 2014 में भारतीय जनता पार्टी और 2019 में अपना दल एस को जीत मिली थी. अब यहां से अगर अपना दल प्रत्याशी को जीत मिलती है तो यहां एनडीए गठबंधन की हैट्रिक मानी जा सकती है.