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संशोधित पेंशन के मामले में समय पर पूरा नहीं हुआ हाईकोर्ट का आदेश, शिक्षा विभाग के बड़े अफसरों पर जेल जाने की लटकी तलवार - High Court order ignored

High Court order ignored: शिक्षा विभाग संशोधित पेंशन से जुड़े एक मामले में समय पर हाईकोर्ट के आदेश को पूरा नहीं कर पाया है. हाईकोर्ट ने इस लापरवाही पर सख्ती दिखाई है. अदालत के सख्त रुख से शिक्षा विभाग के कुछ बड़े अफसरों पर जेल जाने की तलवार लटक गई है.

HP High Court
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट (फाइल फोटो)

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jul 8, 2024, 6:53 AM IST

शिमला: पेंशन, एरियर आदि मामलों को लेकर हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के निरंतर कड़े आदेश आ रहे हैं. इसी कड़ी में हाईकोर्ट के शिक्षा विभाग से संबंधित एक आदेश को लेकर हिमाचल की सरकारी मशीनरी में हलचल मच गई है. दरअसल, शिक्षा विभाग से जुड़े एक मामले में हाईकोर्ट ने संशोधित पेंशन को लेकर पर्टीकुलर आदेश जारी किए थे.

कोर्ट के उन आदेशों पर अमल नहीं हो पाया. इस पर हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए शिक्षा विभाग के संबंधित अफसरों को जेल भेजने के सख्त आदेश दे दिए हैं. यही नहीं, हाईकोर्ट ने शिक्षा विभाग के संबंधित अफसरों को 10 जुलाई को तय नियमों के अनुसार सरेंडर करने के आदेश दिए हैं.

राज्य सरकार के मुख्य सचिव को भी अदालत ने अपनी इस सख्ती से अवगत करवाते हुए आगे के एक्शन के निर्देश दिए हैं. संबंधित अफसरों को 10 जुलाई यानी बुधवार को सरेंडर करने के लिए कहा गया है. अफसरों को हाईकोर्ट में ही सरेंडर करना होगा. वहां से उन्हें तय प्रक्रिया के अनुसार सिविल जेल भेजने की व्यवस्था की जाएगी साथ ही मुख्य सचिव को निर्देश दिए गए हैं कि शिक्षा विभाग के संबंधित अफसरों के कारावास यानी जेल की अवधि में निर्वाह भत्ते यानी सबसिस्टेंस एलाउंस की व्यवस्था करें.

अदालत में सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर व न्यायमूर्ति रंजन शर्मा की खंडपीठ ने एडिशनल एडवोकेट जनरल को निर्देश दिए हैं कि इन सभी बातों को लेकर राज्य सरकार के मुख्य सचिव को सूचित कर दिया जाए. शिक्षा विभाग के जिन अफसरों पर जेल जाने की तलवार लटक गई है, उनमें शिक्षा सचिव, शिक्षा निदेशक और एक डिप्टी डायरेक्टर शामिल हैं.

ऐसे में सरकार को हाईकोर्ट की सख्ती से बचने के लिए एकाध दिन में कोई कारगर कदम उठाना होगा. राज्य सरकार के पास सिर्फ सोमवार (आज) व मंगलवार का ही समय है. बुधवार को अफसरों को जेल जाने के लिए कोर्ट में सरेंडर करना होगा.

क्या है मामला:

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर व न्यायमूर्ति रंजन शर्मा की खंडपीठ शिक्षा विभाग से जुड़े लक्ष्मण दास वर्सेज स्टेट ऑफ हिमाचल केस की सुनवाई कर रही है. खंडपीठ ने एग्जीक्यूशन याचिका की सुनवाई में उपरोक्त सख्त आदेश जारी किए हैं.

दरअसल, मामले में हाईकोर्ट ने पूर्व में स्पष्ट रूप से कुछ तय निर्देश दिए थे. अब एग्जीक्यूशन याचिका में अदालत ने पाया कि न तो संबंधित आदेश को पूरी तरह से लागू किया गया और न ही मामले से जुड़े शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अधिकारी अदालत के समक्ष पेश हुए.

यही नहीं, अदालत के समक्ष पेश होने से छूट को लेकर भी कोई आवेदन माननीय हाईकोर्ट के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया गया. खंडपीठ ने पाया कि ये अदालत के आदेश की सरासर और जानबूझकर अवहेलना का मामला है. ऐसे में हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर व न्यायमूर्ति रंजन शर्मा ने अपने फैसले में कहा कि अदालत को सख्त और फोर्सफुल स्टेप उठाने की जरूरत है.

रिवाइज्ड पेंशन का है मामला:

हाईकोर्ट में ये केस पेंशन के रिवीजन से जुड़ा हुआ है. लक्षमण दास नामक याचिकाकर्ता की पेंशन के रिवीजन का ये मामला है. पूर्व में हाईकोर्ट से फैसला लक्षमण दास के फेवर में आ चुका है. पेंशन के लिए याचिकाकर्ता का कुछ सेवाकाल गिना जाना बाकी था. उस सेवाकाल के गिनने से याचिकाकर्ता की पेंशन में बढ़ोतरी होनी थी. हाईकोर्ट के आदेश के बाद शिक्षा विभाग ने संबंधित आदेश कर दिए थे, लेकिन ड्राइंग एंड डिस्परसिंग ऑफिसर यानी डीडीओ ने इस केस यानी पेंशन को काउंट करने वाले मामले को अकाउंटेंट जनरल कार्यालय को नहीं भेजा.

शिक्षा विभाग ये मानकर निश्चिंत था कि उसके स्तर पर आदेश को अमली जामा पहना दिया गया है, जबकि याचिकाकर्ता की पेंशन संशोधित ही नहीं हुई. अब जब हाईकोर्ट के इस कदर सख्त आदेश आ गए तो सरकारी मशीनरी में हलचल मची हुई है. शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने भी हाईकोर्ट के इस फैसले के बारे में मुख्य सचिव कार्यालय व वित्त सचिव कार्यालय को सूचित कर दिया है. मामले में आज यानी सोमवार 8 जुलाई को सरकार को कोर्ट के आदेश को देखते हुए कारगर कदम उठाने होंगे.

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