अलीगढ़/संभल/इटावा:मुस्लिम परिवार की चौथी पीढ़ी के वशंज अशफाक 65 फीट का रावण का पुतला बना रहे हैं. वहीं, वह मेघनाथ और कुंभकरण के भी 60 फीट के पुतले बना रहे हैं. वहीं संभल में भी मुस्लिम कारीगर रावण के पुतले को तैयार करने में जुटे हुए हैं. चलिए जानते हैं इस बारे में.
अलीगढ़ में एक महीने से चल रही तैयारीः अलीगढ़ में दशहरे की तैयारी जोरों पर चल रही है. अलीगढ़ की अगर बात कही जाए तो, दसवीं के दिन रावण के पुतले को दहन करने की तैयारी एक महीने पहले से चल रही है. 10 सितंबर को रावण में पुतले को बनाने की तैयार यहां शुरू की गई थी, जो की 10 अक्टूबर को समाप्त हो जाएगी. कारीगरों के द्वारा रावण के पुतले को अंतिम रूप दिया जा रहा है. जिसको लेकर दसवीं के दिन इस रावण के पुतले को दहन किया जाएगा.
40 साल से ये मुस्लिम परिवार बना रहा पुतला:रावण के पुतले को बनाने वाले मुख्य कारीगर मोहम्मद अशफाक हर साल अलीगढ़ के नुमाइश ग्राउंड में यहां रावण के पुतले को बनाने के लिए आते हैं. 40 साल से वह इस काम में जुटे हुए हैं. अबकी बार भी मोहम्मद अशफाक के द्वारा 65 फीट का रावण का पुतला बनाया जा रहा है, तो वही मेघनाथ और कुंभकरण के भी 60 फीट के पुतले बनाए गए हैं.
रावण के पुतले को दहन करने की तैयारी, मुस्लिम कारीगरों ने दी जानकारी (video credit-Etv Bharat)
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रावण में क्या है खास ?अबकी बार रावण के पुतले में उनके द्वारा 600 पटाखे लगाये गये है. जिसमें रावण के सिर में 50 पटाखे लगाने का काम किया गया है. अलग-अलग जगह पर उनके द्वारा दर्जनों पटाखे लगाए जाएंगे. 65 फीट का रावण का पुतला, तो वही मेघनाथ और कुंभकरण के भी 60 फीट के पुतले बनाए जा रहे हैं. अबकी बार रावण के पुतले में जान डालने का काम किया जाएगा. जिसमें, रावण के सिर के ऊपर लगी छतरी घूमेगी. तो वहीं, रावण के मुंह से चिल्लाहट की आवाज निकलेगी, जिसके साथ रावण की आंख से आंसू भी निकलेंगे. मोहम्मद अशफाक बताते है, रावण को जलाने का मुख्य मकसद लोगों को अपने अंदर की बुराई को खत्म करने का संदेश देता है.
संभल में भी मुस्लिम कारीगर तैयार कर रहे पुतले:संभल में पिछले 50 साल से एक मुस्लिम परिवार रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के पुतले बना रहा है. इन सभी पुतलों का दहन दशहरे के दिन होता है. इन सभी पुतलों को बनाने के लिए मुस्लिम परिवार पिछले करीब डेढ़ महीने से तैयारी कर रहा है. मुसलमानों के लिए भले ही यह उनके रोजगार से जुड़ा हुआ हो, लेकिन कहीं ना कहीं इसे हिंदू मुस्लिम एकता की मिसाल कहा जा सकता है. हालांकि, दशहरे के लिए तैयार किए जाने वाले रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के पुतलों को बनाकर मुस्लिम परिवार न खुद पर गर्व महसूस करता है, बल्कि इससे उनके परिवार का भरण पोषण भी होता है. आपको बता दें, कि आगामी 12 अक्टूबर को दशहरा पर्व मनाया जाना है. जिसमें बुराई के प्रतीक रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के पुतलों को दहन किया जाएगा संभल जिले में भी दशहरे पर्व को लेकर करीब डेढ़ महीने पहले से ही रावण,कुंभकरण और मेघनाथ के पुतलों को बनाया जा रहा है. खास बात यह है, कि इन सभी पुतलों को संभल का एक मुस्लिम परिवार बनाता है. यह मुस्लिम परिवार पिछले करीब 50 साल से इन पुतलों को बनाता आ रहा है.
इटावा में 15 फीट ऊंचा पुतला तैयारःरामलीला मैदान में बनी भव्य लंका में लंकाधिपति रावण का पुतला रामलीला कमेटी द्वारा लगवाया गया. इस पुतले को स्थानीय कारीगर पिंटू पेंटर द्वारा बनाया गया है. पिंटू पिछले लगभग 10- 15 वर्षों से पुतला बना रहा है. वह ही मारीच, जयंत, जटायु आदि के कागज और बांस से बने चेहरे बनाता है. बाबू पेंटर के खानदान का होने के कारण मुखोटों की पेंटिंग का काम उनसे ही उसने सीखा था. और फिर रावण के पुतले भी बनाने लगा. उससे पूर्व आधी शताब्दी से ज्यादा वर्षों तक एक मुस्लिम जातीय बाबू खां और उसके परिवार द्वारा जैन मोहल्ला और लाल जी बगिया में यह काम किया जाता था. रावण के 15 फुट ऊंचे पुतले को बनाने में पिंटू को 20 दिन लगे हैं.
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