नई दिल्ली:देश के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का गुरुवार रात दिल्ली एम्स में निधन हो गया. उनके निधन के बाद उनके संपर्क में रहे लोग अपनी-अपनी यादों को साझा कर रहे हैं. ऐसे ही कुछ संस्मरण दिल्ली विश्वविद्यालय के दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स (डीएसई) में स्थित इंडियन कॉफी हाउस में उस समय कार्यरत रहे अंबर दास गुप्ता ने ईटीवी भारत के साथ साझा किए.
वर्तमान में डीएसई में कैंटीन संचालकअंबर दास गुप्ता ने बताया कि 1969 से 71 के बीच जब डॉ. मनमोहन सिंह डीएसई में प्रोफेसर के रूप में पढ़ाते थे, उस समय मैं डीएसई कैंपस के अंदर ही स्थित इंडियन कॉफी हाउस में नौकरी करता था. डॉ. मनमोहन सिंह कॉफी के बहुत शौकीन थे. वह अक्सर मेरे पास कॉफी पीने आते थे. जब भी वह कॉफी पीने आते, हाल-चाल जरूर पूछते थे.
कॉफी पीने के शौकीन थे डॉ. मनमोहन सिंह (etv bharat)
शक्ल से जानते थे मनमोहन सिंह: अंबर दास गुप्ता ने बताया कि मनमोहन सिंह के साथ प्रोफेसर अमर्त्य सेन और डीएसई के अभी मौजूदा प्रोफेसर ओम प्रकाश भी पढ़ाते थे. जब डॉ. मनमोहन सिंह डीएसई से चले गए, उसके बाद भी उनका अतिथि के रूप में उनका आना जाना जारी रहा. प्रधानमंत्री रहते हुए दो बार वह डीएसई आए, उस समय भी मैंने उन्हें कॉफी पिलाई और तब भी उन्होंने मेरा हाल-चाल पूछा था. वह मुझे नाम से नहीं, लेकिन शक्ल से जानते थे.
लोगों से मिलते हुए डॉ. मनमोहन सिंह (Etv bharat)
''जब वह पहली बार प्रधानमंत्री के रूप में डीएसई के एनुअल फंक्शन में वर्ष 2006 में शामिल होने आए, तब उनके सिक्योरिटी गार्ड्स ने मुझसे कहा कि जाकर जल्दी से कॉफी पिलाओ आपको तो जानते हैं. आपको तो जाना चाहिए. मैंने कहा कि वे यहां कॉफी नहीं पियेंगे वे स्टूडेंट के बीच में ही कॉफी पियेंगे. फिर मैं उनके लिए कॉफी लेकर गया. तब वह छात्र-छात्राओं के बीच में मौजूद थे और छात्रों से बातचीत करते हुए ही कॉफी पी.''-अंबर दास गुप्ता, कैंटिन संचालक
छात्र-छात्राओंं से था विशेष लगाव: अंबर दास ने आगे बताया कि डॉ. मनमोहन सिंह की खासियत थी कि अगर वह किसी कार्यक्रम में जाते थे, तो कभी बैठकर कॉफी नहीं पीते थे. हमेशा लोगों के बीच में खड़े होकर ही कॉफी पीते थे ताकि लोगों से बातचीत भी करते रहें. छात्रों से उनका विशेष लगाव था. वह अक्सर छात्र-छात्राओं के बीच में ही कॉफी पीते हुए उनसे पूछते थे कि पढ़ाई कैसी चल रही है. डीएसई में पढ़ाने के दौरान भी कई बार वह फर्स्ट फ्लोर की गैलरी में ही मुझसे कॉफी मंगाकर टहलते हुए पीते थे. डीएसई छोड़ने के बाद भी वह सेंट स्टीफंस कॉलेज में कार्यरत अपने दामाद और हिस्ट्री डिपार्टमेंट में कार्यरत अपनी बेटी से मिलने भी आते रहते थे. सबसे बातचीत करना और हाल-चाल पूछना उनकी आदत में शामिल था.
डॉ. मनमोहन सिंह का छात्रों से था विशे। लगाव (Etv bharat)
अंबर दास ने यह भी बताया, ''जब मैं 1964 में इंडियन कॉफी हाउस में नौकरी करने आया था तो मेरी उम्र 18 साल थी और आज मेरी उम्र 79 वर्ष है. 1996 में जब इंडियन कॉफी हाउस बंद हो गया था. इसके बाद डीएसई के प्रोफेसर ने मुझे यहां पर कैंटीन शुरू करा दी. अब मैं कैंटीन के माध्यम से यहां के प्रोफेसर और छात्र छात्राओं को चाय, कॉफी, खाना और फास्ट फूड खिलाने की सेवा देता हूं.''