लखनऊ: लोकसभा चुनाव में अपेक्षित सफलता नहीं मिल पाने और कई स्तर पर लगातार फीडबैक में यह बात सामने आई की सरकार और संगठन में समन्वय नहीं रहा. इसके साथ ही जनप्रतिनिधियों की सुनवाई नहीं हो रही है. अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार जनप्रतिनिधियों को बुलाकर बातचीत कर रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं की तरफ से सरकार की कार्यशैली पर सवाल खड़े किये जा रहे हैं. लगातार नेताओं की तरफ से असंतोष जताया जा रहा है. पूर्व केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने इसकी शुरुआत की थी और स्थानीय नेताओं पर चुनाव में सहयोग न करने की बात कही थी, भितरघात के आरोप लगाए थे. इसके अलावा भाजपा के विधायक संगीत सोम और पूर्व केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान, जौनपुर से बीजेपी के विधायक रमेश मिश्रा ने यूपी में बड़े परिवर्तन की बात कही है. अब जब कल यानि रविवार को भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक होने वाली है तो उसमें भी कई नेताओं का असंतोष और मुखर हो सकता है. वहीं, योगी कैबिनेट की बैठकों से दूर चल रहे डिप्टी सीएम केशव मौर्य के कार्य समिति की बैठक में हिस्सा लेने की बात कही जा रही है. ऐसे में केशव मौर्य क्या इस बैठक में हिस्सा लेंगे या दूरी बनाए रखेंगे.
कार्यसमिति की बैठक में कुछ भाजपाई हो सकते हैं मुखर
दरअसल, भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में यह परंपरा रही है कि अपनी बात खुलकर रखी जा सकती है. संगठन पर या सरकार स्तर पर अगर कहीं कोई कमी है या कोई सुझाव है, तो उसे बारे में कार्यसमिति के सदस्य या अन्य आमंत्रित पदाधिकारी अपनी बात को स्पष्ट रूप से अपने नेतृत्व के सामने रख सकते हैं. अब जब रविवार को भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश कार्यसमिति की बड़ी बैठक आयोजित की गई है तो स्वाभाविक रूप से लोकसभा चुनाव में हुई हार के कारणों पर चर्चा होगी ही. इसके अलावा पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री संगठन बीएल संतोष लगातार फीडबैक ले रहे थे. पदाधिकारी मंत्रियों से उन्होंने समीक्षा की. बैठक में भी नेताओं ने सरकार के कामकाज और जनप्रतिनिधियों की समस्याओं पर ध्यान न दिए जाने की बात प्रमुखता से कही थी. इससे पहले भी पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने स्थानीय नेताओं द्वारा चुनाव में सहयोग न करने और भितरघात के आरोप लगाते हुए चुनाव में हार के बड़े कारण बने थे.
विधानसभा चुनाव से पहले बड़े बदलाव की मांग
इसके अलावा भारतीय जनता पार्टी के कई नेताओं की नाराजगी सार्वजनिक रूप से देखने को मिली है. योगी सरकार में मंत्री रहे प्रतापगढ़ के रहने वाले मोती सिंह ने भी अपनी नाराजगी जाहिर की है. थाने, तहसील में भ्रष्टाचार को लेकर उन्होंने सरकार पर निशाना साधा है और कहा है कि इतना भ्रष्टाचार उन्होंने अब तक नहीं देखा है. कुल मिलाकर उन्होंने सीधे-सीधे सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने का काम किया है. इसके अलावा भारतीय जनता पार्टी के जौनपुर से विधायक रमेश मिश्रा ने भी उत्तर प्रदेश में जनप्रतिनिधियों की समस्याओं पर ध्यान न दिए जाने की गंभीर आरोप लगाए हैं. रमेश मिश्रा ने पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व से उत्तर प्रदेश में बड़े परिवर्तन की बात कहते हुए अपनी नाराजगी जाहिर की है. रमेश मिश्रा ने 2027 के विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करने के लिए उत्तर प्रदेश में बड़े बदलाव की मांग की है.