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बैंड बाजे के साथ हुआ चिकित्सक का देहदान, मरणोपरांत भी छात्रों के अध्ययन में बनेंगे सहायक - donated body for study

झालावाड़ मेडिकल कॉलेज के एनाटॉमी विभाग के सेवानिवृत्त चिकित्सक डॉ जेएल लोढ़ा की देह शनिवार को दान की गई. उनकी देह छात्रों के अध्ययन में काम आ सकेगी.

doctor donated his body
चिकित्सक का देहदान

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Feb 17, 2024, 5:44 PM IST

झालावाड़.मेडिकल कॉलेज एंड सोसाइटी के एनाटॉमी विभाग में सेवानिवृत्ति चिकित्सक डॉ. जेएल लोढ़ा का शनिवार को मरणोपरांत उनके परिजनों के द्वारा देहदान किया गया. इस तरह डॉ जे एल लोढ़ा मरणोपरांत भी मेडिकल छात्रों के अध्ययन में सहायक बने रहेंगे. शनिवार को मृतक चिकित्सक की पत्नी मालती लोढ़ा ने परिजनों सहित पति की देह झालावाड़ मेडिकल कॉलेज के एनाटॉमी विभाग को सौंपी. इससे पहले चिकित्सक के पार्थिव देह को घर से मोक्ष-वाहिनी में बैंड-बाजों की धुन के साथ मेडिकल कॉलेज झालावाड़ लाया गया.

उनकी धर्मपत्नी मालती ने बताया कि उनके पति डॉक्टर जवारी लाल की अंतिम इच्छा थी कि उनकी पार्थिव देह मरणोपरांत झालावाड़ मेडिकल कॉलेज में अध्ययन कर रहे छात्रों के काम आ सके. उन्होंने पुराने दिनों को याद करते हुए बताया कि उनके पति डॉ जवारी लाल ने कोई भी काम कभी किसी के डर से नहीं किया. वह अपनी मर्जी के मालिक थे. उनके देहदान से समाज, शहर और सभी रिश्तेदारों को प्रेरणा मिले. इसलिए आज उनके पार्थिव शव को मोक्ष वाहिनी के द्वारा बैंड बाजे के साथ मेडिकल कॉलेज लाया गया.

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देह को सौंपते वक्त मेडिकल कॉलेज, झालावाड़ के सीनियर प्रोफेसर, शरीर रचना विभाग डॉ मनोज शर्मा व डीन डॉ पी झवर के साथ मेडिकल कॉलेज के स्टूडेंट भी मौके पर मौजूद रहे. इस दौरान मेडिकल कॉलेज के एनाटॉमी विभाग के प्रोफेसर मनोज शर्मा ने बताया कि मेडिकल कॉलेज में प्रथम वर्ष के छात्रों को प्रायोगिक कार्य के लिए कैडेवर की आवश्यकता होती है. ऐसे में मंगलपुरा निवासी डॉक्टर जे एल लोढ़ा ने पिछले दिनों इलाज के दौरान अपनी देहदान करने का संकल्प पत्र भरा था. इस दौरान उन्होंने कहा कि मेडिकल कॉलेज के पास अब तक देवदान के लिए 90 संकल्प पत्र भरे जा चुके हैं. इसके साथ ही वर्तमान में उनके पास 13 केडेवर मौजूद हैं.

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उन्होंने बताया कि सात केडेवर को झालावाड़ जिले के लोगों ने डोनेट किया है. वहीं 6 कैडेवर भरतपुर की अपना संस्थान से प्राप्त हुए हैं. इस दौरान प्रोफेसर ने बताया कि उनके विभाग के द्वारा देहदान करने के लिए लगातार आकाशवाणी तथा शहर में आयोजित कार्यक्रमों में जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाते हैं. मेडिकल कॉलेज में 200 छात्रों का हर वर्ष एडमिशन होता है. ऐसे में प्रत्येक 10 छात्र पर एक कैडेवर की आवश्यकता होती है. उन्होंने कहा कि अब लोगों में लगातार जागरूकता आ रही है. इसलिए आने वाले दिनों में देहदान करने वालों की संख्या में भी इजाफा होगा.

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