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यहां एक हफ्ता पहले मनाई जाती है दिवाली, जानिए क्यों सिरदार देव से डरते हैं लोग

आज हम आपको सेमरा गांव के बारे में बताने जा रहे हैं,जहां सिरदार देव की बात आज भी पूरा गांव मान रहा है.

Diwali celebrated One week before
यहां एक हफ्ता पहले मनाई जाती है दिवाली (ETV Bharat Chhattisgarh)

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : 4 hours ago

धमतरी : पूरा देश दीपावली की तैयारियों में जुटा है.लेकिन छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले के गांव में एक सप्ताह पहले ही दिवाली मना ली गई है.एक सप्ताह पहले ही गांव में दीपावली पर्व को उत्साह के साथ मना लिया है. धमतरी जिले का एक ऐसा गांव है जहां एक सप्ताह पहले ही दिवाली मना ली गई. पूरा गांव इस पर्व को बड़े ही धूमधाम से मना रहा है. आईए जानते आखिर ऐसा क्यों हैं.

एक हफ्ते पहले मना ली जाती है दिवाली : 31 अक्टूबर को लक्ष्मी पूजन के साथ दीपावली का पर्व मनाया जाएगा. वहीं धमतरी से 30 किलोमीटर दूर एक ऐसा गांव है. जहां 24 अक्टूबर को ही दीपावली का पर्व मना लिया गया. इसके बाद शुक्रवार को गोवर्धन पूजा मनाई गई. इस गांव का नाम है सेमरा.जहां दिवाली एक हफ्ते पहले ही मना ली जाती है.इस गांव के लोगों का कहना है कि यदि उन्होंने ऐसा नहीं किया तो गांव में कुछ ना कुछ अनिष्ट हो जाएगा.

यहां एक हफ्ता पहले मनाई जाती है दिवाली (ETV Bharat Chhattisgarh)

आखिर क्यों मनाई जाती है पहले दिवाली : गांव वालों की माने तो ये परंपरा सदियों से चली आ रही है.साथ ही कई किवदंतियां एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक चली आ रही है. कहते हैं कि गांव में सिरदार देव अखाड़ा खेलने आते थे.लेकिन एक बार सिरदार देव और उनका घोड़ा शेर के शिकार बन गए.इसके बाद सिरदार देव ने गांव के मालगुजार को सपना दिया कि आप मुझे देवता के रूप में मानों, मेरी शर्तों पर कार्य करो. उनकी शर्त ये थी गांव में कोई भी त्यौहार एक हफ्ता पहले से ही शुरु करें. इस शर्त को जो नहीं मानेगा तो उसे अनिष्ट का शिकार होना पड़ेगा. तब से गांव में दिवाली पूजा सिरदार देव की पूजा के नाम से मनाई जाती है.

जानिए किस बात से डरते हैं लोग (ETV Bharat Chhattisgarh)

गांव में कोई भी त्योहार एक हफ्ते पहले शुरु होता है. पहले लोग दिवाली और होली के समय ही पूजा शुरु किए थे.लेकिन गांव में हैजा फैल गया.फिर आगजनी हो गई.इसके बाद से ही एक हफ्ते पहले पूजा की जाती है- यादराम देवांगन, ग्रामीण

सिरदार देवता के पूजा के साथ त्यौहार शुरु होता है. इसके बाद जिस दिन त्यौहार होता है उसे भी मनाते हैं गांव में सिरदार देव की पूजा किसी भी त्यौहार से पहले होती है.इसी के बाद ही त्यौहार की शुरुआत होती है. -चंद्रहास सिन्हा, ग्रामीण

नौजवानों में भी खौफ :इस खौफ से गांव में दिवाली का पर्व समय से पहले ही मनाया जाने लगा. लेकिन मौजूदा युग के नौजवान इसे आस्था के रूप में पूजते हैं. भविष्य में भी इस प्रथा को निरंतर निर्वहन करने की बात कहते हैं.इस गांव में सिर्फ दिवाली ही एक हफ्ते पहले नहीं मनाई जाती,बल्कि दूसरे त्योहारों के साथ भी इसी परंपरा का निर्वहन किया जाता है. गांव के युवा इसे आस्था का नाम देते हैं.सभी एक स्वर में सिरदार देवता की पूजा की बात स्वीकारते हैं.

गांव में सिरदार देव का मंदिर बनाया गया है.वो सभी की मनोकामना को पूरी करते हैं.आगे भी आने वाली पीढ़ी इस परंपरा को निर्वहन करेगी- यशवंत शुक्ला, ग्रामीण

आज तक सेमरा गांव के लोगों ने एक हप्ता पहले ही दिवाली, होली और हरेली जैसे त्यौहारों को मनाया है.उनके लिए सिर्फ सिरदार देवता का आदेश ही सबकुछ है.सिरदार देवता की कहानी एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक जाती रही.आज भी जो पीढ़ी गांव में है,उन्हें भी सिरदार देवता की कहानी बताकर त्यौहारों को पहले मना लेने का कारण बताया जाता है.लेकिन जब त्यौहार का सही समय आता हो तो इस गांव में सन्नाटा पसरा रहता है.आप इसे भले ही अंधविश्वास का नाम दें लेकिन सेमरा के लोगों के लिए ये आस्था है.

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