जयपुर :दीपावली को देखते हुए शहर के बाजारों में डेकोरेशन के सामानों की दुकानें सजी हुई हैं. लोग अपने घरों को सजाने के लिए डेकोरेटिव लाइटिंग से लेकर आर्टिफिशियल फ्लावर तक खरीद रहे हैं, लेकिन इस बार बाजार में रेडीमेड रंगोली, चौकी कवर और थालपोश जैसे आइटम शहर वासियों को एकाएक अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं. यही नहीं इन आइटम्स की ऑनलाइन भी डिमांड आ रही है. खास बात ये है कि इन्हें बनाने वाली जयपुर की ये दो सहेलियां आर्थिक रूप से पिछड़ी हुई महिलाओं का भी सहारा बनी हैं.
हैंड क्राफ्ट आइटम बनाने से शुरुआत : राजधानी जयपुर में रहने वाली दो सहेलियां ने करीब 3 साल पहले अपनी हॉबी को रोजगार में तब्दील किया और आज आर्थिक रूप से कमजोर कई महिलाओं को अपने पैरों पर खड़ा किया है. जयपुर निवासी शालिनी अग्रवाल ने बताया कि उन्होंने अपनी फ्रेंड रिंकू गुप्ता के साथ मिलकर हैंड क्राफ्ट आइटम बनाने की शुरुआत की थी. फिर अपने आइटम्स को कुछ एग्जीबिशन में प्रदर्शित किया, जहां लोगों को उनका काम पसंद आया. इससे उनका कॉन्फिडेंस बढ़ा और अपने आइटम्स को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर बेचना शुरू किया.
दिवाली में सजाने के लिए रेडीमेड रंगोली (ETV Bharat Jaipur) पढ़ें.Rajasthan: अबकी दिवाली अनमोल दीयों से जगमगाएगा बीकानेर शहर, सभी को रास आ रही बच्चों की कृति
रेडीमेड रंगोली बनाना शुरू किया : जब डिमांड बढ़ने लगी तो लगा कि कुछ लोगों को और साथ जोड़ना चाहिए. ऐसे में आर्थिक रूप से पिछड़ी हुई जरूरतमंद महिलाओं को साथ लेकर आगे बढ़े. शुरुआत एक बांदरवाल से की थी, फिर शुभ-लाभ बनाए. फिर आइडिया आया कि लोग त्योहार के समय बिजी रहते हैं, कुछ लोग रंगोली नहीं बना पाते तो उन्होंने रेडीमेड रंगोली बनाना शुरू किया, जिसे हर अवसर पर लगाया भी जा सकता है. अब इस दीपावली उन्होंने चौकी कवर और थालपोश बनाए हैं, जिसकी अच्छी डिमांड आ रही है.
रेडीमेड रंगोली (ETV Bharat Jaipur) घर पर ही तोरण बनाए (ETV Bharat Jaipur) रिंकू गुप्ता ने बताया कि पहले दीपावली पर उनकी माताजी घर को सजाती थीं, फिर वो भी अपने घर को सजाने लगीं. ऐसे में आइडिया आया क्यों न लोगों के घरों को भी सजाया जाए. ऐसे में उन्होंने घर पर ही तोरण बनाए, जो 250 रुपए से 2500 रुपए तक की राशि में उपलब्ध हैं. अधिकतर सामान में गोटा-पत्ती, बॉर्डर, बूटी, पर्ल्स, लेस आदि इस्तेमाल करते हैं. एक आइटम बनाने में स्टिचिंग, पेस्टिंग सभी का ध्यान रखा जाता है, ताकि आइटम खरीदने वाला निराश ना हो और उसी के अनुसार समय लगता है. उन्होंने स्पष्ट किया कि ये एक खुला मंच है. जरूरतमंद यहां आकर इस कौशल को सीख सकते हैं और अपने रोजगार के रूप में विकसित कर सकते हैं ताकि अपनी इस स्किल के जरिए वो अपने पैरों पर खड़ा हो सके, आत्मनिर्भर बन सकें.