सिमडेगा: कृषि पशुपालन एवं सहकारिता विभाग के दिशा-निर्देश पर जिला मत्स्य कार्यालय, सिमडेगा के परिसर में जिला स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. जिसमें जिले के विभिन्न प्रखंडों से करीब 200 से अधिक मत्स्य कृषक उपस्थित हुए. कार्यशाला का उद्घाटन मुख्य अतिथि उपायुक्त अजय कुमार सिंह द्वारा किया गया. इस दौरान अमरेंद्र कुमार उप मत्स्य निदेशक झारखंड, जिला कृषि पदाधिकारी मुनेंद्र दास, जिला सहकारिता पदाधिकारी आत्म अभय टोप्पो सहित अन्य पदाधिकारी गण उपस्थित रहे.
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उपायुक्त द्वारा बताया गया कि सिमडेगा जिला एक कृषि प्रधान जिला है. जहां सिर्फ एक धान की फसल होती है. बाकी समय किसानों के पास रोजगार का कोई विकल्प नहीं रहता है. जिले में कुल 3000 निजी/सरकारी जलकर हैं. जिनमें मछली पालन किया जा सकता है. साथ ही जिले में 36 छोटे/बड़े जलाशय हैं, जिनमें मत्स्य पालन की अपार संभावना है. विजय केरकेट्टा, बायोफ्लॉक तालाब के लाभुक द्वारा एक साल में 2 लाख रुपए की आमदनी प्राप्त की, जिसे उपायुक्त ने काफी प्रसंशनीय कार्य बताया और इसी तरह से अन्य लोगों को भी मत्स्य पालन से जुड़ कर उद्यमिता विकास करने का आह्वान किया गया.
उपायुक्त ने कहा कि जिस तरह से मिट्टी की नब्ज पहचानने हेतु कृषि विभाग कार्य कर रहा है, उसी तरह से प्रत्येक तालाबों की मिट्टी और पानी की जांच कर नब्ज पहचानने होंगे, तभी इस जिले को मछली पालन में अग्रणी जिला बना सकते हैं. इसके लिए प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के द्वारा एक लैब बनाने के लिए मत्स्य कृषकों को आगे आने के लिए प्रेरित किया गया. उन्होंने कहा कि परंपरागत तरीकों को छोड़कर तकनीकी रूप में ज्यादा से ज्यादा लोगों को मछली पालन में जोड़ना है. जिससे कार्यशाला की सार्थकता सिद्ध हो सकती है.
उप मत्स्य निदेशक अमरेंद्र कुमार किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि माननीय मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की और कृषि पशुपालन एवं सहकारिता विभाग के द्वारा दिए गए निर्देश के आलोक में सभी जिलों में मत्स्य कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है. इस कार्यशाला का उद्देश्य विभागीय कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी किसानों को देना है. NFDP पर अधिक से अधिक लोगों का पंजीकरण कराना, NSPAAD का प्रयोग करना तथा इससे संबंधित एप्लिकेशन को मत्स्य किसानों के फोन पर डिजिटली रूप से डाउनलोड कर उसका लाभ पहुंचाना है.