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दिव्यांग छात्र सिस्टम के आगे बेबस, बिन सुविधा गढ़ रहे भविष्य - Disabled students

Disabled students helpless मनेंद्रगढ़ में दिव्यांग छात्र स्कूल और कॉलेज जाकर अपना भविष्य संवार रहे हैं. लेकिन इन छात्रों को स्कूल आने जाने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है. क्योंकि छात्रों को स्कूल और कॉलेज आने जाने के लिए किसी भी वाहन का इंतजाम नहीं किया गया है.Studying without facilities

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : 5 hours ago

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Updated : 4 hours ago

Disabled students helpless
दिव्यांग छात्र सिस्टम के आगे बेबस (ETV Bharat Chhattisgarh)

मनेन्द्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर :शरीर में दिव्यांगता एक प्रकार की लाचारी हो सकती है.लेकिन कुछ हुनरमंद और बुलंद हौंसले वाले लोग अपनी विकलांगता को ताकत बना लेते हैं. मनेन्द्रगढ़ में प्रदेश के इकलौते नेत्रहीन विद्यालय के छात्र अपने मन की आंखों से जीवन में उजाला कर रहे हैं. जहां आंखों से सामान्य लोग पढ़ाई करते हैं, वहीं दिव्यांग छात्र मन की आंखों से पढ़कर अपना भविष्य संवार रहे हैं.

ब्रेन लिपि का शिक्षक नहीं :पढ़ाई के लिए दिव्यांग छात्र रोजाना 3 से 4 किलोमीटर का सफर, केवल एक स्टिक के सहारे पैदल तय करते हैं . बात यदि स्कूल की करें तो यहां बड़ी चुनौती ये है कि उन्हें किसी शिक्षक का मार्गदर्शन नहीं मिलता. क्योंकि जिस विद्यालय में दिव्यांग छात्र पढ़ाई करने जाते हैं, वहां उनके लिए ब्रेन लिपि का कोई शिक्षक मौजूद नहीं है. इसके बावजूद ये बच्चे सामान्य छात्रों के साथ रहकर, सुनकर ही शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं.

दिव्यांग छात्र सिस्टम के आगे बेबस (ETV Bharat Chhattisgarh)


मुश्किलों भरा सफर :दिव्यांगछात्र बिना किसी सहारे, केवल स्टिक के भरोसे, भीड़-भाड़ भरे सड़कों से होते हुए स्कूल और कॉलेज पहुंचते हैं. आने-जाने के दौरान इन्हें तेज रफ्तार से दौड़ती गाड़ियों, तंग रास्तों और फुटपाथ की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है.गर्मियों में सूरज की तपिश और बारिश में भीगते हुए भी ये बच्चे पढ़ाई जारी रखते हैं. इन छात्रों का कहना है कि यदि उन्हें बस की सुविधा मिल जाए, तो स्कूल-कॉलेज पहुंचना उनके लिए काफी आसान हो जाएगा.

हमें छड़ी के सहारे कॉलेज जाना पड़ता है. हमने शासन से बस की मांग की है ताकि हम सुरक्षित तरीके से कॉलेज जा सकें, लेकिन अभी तक हमारी मांग पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है.अब यह शासन पर निर्भर है कि हमारी यह मांग कब पूरी होती है- धर्मेंद्र सिंह गोंड़,दिव्यांग छात्र

जिम्मेदारों का जवाब :दिव्यांगों के लिए असुविधाओं की जानकारी जिम्मेदारों को भी है.तस्वीरें सामने आने के बाद अब समस्या का समाधान करने की बात अधिकारियों ने की है.

आमाखेरवा में संचालित नेत्रहीन विद्यालय हमारे विभाग से मान्यता प्राप्त है. हम यह जानते हैं कि इन बच्चों को आने-जाने में बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. इसलिए हमने उनके लिए वाहन की व्यवस्था करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है.जल्दी ही यह समस्या हल हो जाएगी"- आरके सिन्हा, उप संचालक, समाज कल्याण विभाग

नेत्रहीन छात्रों के लिए वाहन की सुविधा जरुरी है.क्योंकि सिर्फ एक छड़ी के सहारे उनके लिए पढ़ाई के लिए कॉलेज आना जाना मुश्किलों से भरा है. आवागमन की सुविधा ना होने से छात्रों को अपना भविष्य गढ़ने में परेशानी हो रही है. प्रशासन को चाहिए कि शासन की योजनाओं का फायदा छात्रों तक पहुंचाएं ताकि उनका आने वाला कल उज्जवल हो.


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