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Delhi: आंखों की रोशनी नहीं, पर दूसरों की दिवाली रोशन करने का रखते हैं हुनर; जानिए- इनके हाथों का कमाल - DIWALI FESTIVAL

-सिगरेट की बेकार डिब्बियों से बना रहे 'कैंडल स्टैंड' -दिवाली पर नए रूप में कैंडल स्टैंड -दिव्यांग लोगों का कारनामा

Disabled people are making candle stand from waste cigarette boxes on Diwali, they do something special on every festival
दिवाली पर वेस्ट सिगरेट की डिब्बियों से कैंडल स्टैंड बना रहे दिव्यांग, हर त्यौहार करते हैं कुछ खास (ETV Bharat)

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Oct 30, 2024, 1:12 PM IST

नई दिल्ली:दिल्ली की चकाचौंध से परे एक जगह ऐसी भी है, जहां हरीश वेस्ट पड़े सिगरेट के डिब्बों से कैंडल के स्टैंड बना रहे हैं. वह दृष्टिहीन हैं, लेकिन जिस सफाई के साथ वह वेस्ट पड़े सिगरेट की डिब्बियों से कैंडल के स्टैंड बनाते हैं, तो विश्वास करना मुश्किल है कि वो देख नहीं सकते. हरीश ने बताया कि वह 10 सालों से सोसाइटी फॉर चिल्ड्रन डेवलपमेंट संस्था से जुड़े हैं. यहां उन्होंने कई तरह के हुनर सीखें हैं. इस बार उन्होंने दिवाली की कई डेकोरेटिव आइटम्स और कैंडल स्टैंड बनाएं.

हरीश आगे बताते हैं कि दिव्यांग होने के कारण उन्होंने कई वर्षों तक रेलवे स्टेशनों पर सामान बेचकर काम चलाया. इसके बाद बजरी ढोने का काम किया. इन दोनों कामों में उन्हें कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा. लेकिन अब वह संस्था के साथ जुड़कर अपना जीवन सुखमय बिता पा रहे हैं. परिवार में दो बेटे हैं और दोनों ही अभी पढ़ाई कर रहे हैं. वह उम्मीद करते हैं कि आगे जाकर वह एक समृद्ध व्यक्ति बने.

दिवाली पर वेस्ट सिगरेट की डिब्बियों से कैंडल स्टैंड बना रहे दिव्यांग, हर त्यौहार करते हैं कुछ खास (ETV Bharat)

दिवाली के लिए विशेष सुंदर थालियां
कार्यशाला में रामबाबू अपने कटे हुए हाथ से दीये रखने वाली थालियां बना रहे हैं. वह बताते हैं कि 14 वर्षों से इस संस्था के संग जुड़े हैं. इस बार उन्होंने दिवाली के विशेष आइटम्स में सुंदर थालियां बनाई हैं. रामबाबू की अभी हाल ही में शादी हुई है, फिलहाल उनकी दो नन्हीं बेटियां हैं. वह खुश हैं कि उनकी परवरिश बखूबी कर पा रहे हैं. माना कि रामबाबू का एक हाथ नहीं है, लेकिन उनके काम की रफ्तार देखते ही बनती है.

दिवाली पर वेस्ट सिगरेट की डिब्बियों से कैंडल स्टैंड बना रहे दिव्यांग, हर त्यौहार करते हैं कुछ खास (ETV Bharat)

नेत्रहीन लोगों को कुशल प्रशिक्षण
संस्था के कमरे में बैठे 45 से 50 लोग ऐसे हैं जिनमें से किसी का हाथ नहीं है, कोई सुन नहीं सकता, तो कोई बोल नहीं सकता. वहीं कई ऐसे लोग हैं जो नेत्रहीन हैं. लेकिन सभी खुश हैं कि एक कुशल प्रशिक्षण के बाद वह अपनी आजीविका को आसानी से चला रहे हैं.

दिवाली पर वेस्ट सिगरेट की डिब्बियों से कैंडल स्टैंड बना रहे दिव्यांग, हर त्यौहार करते हैं कुछ खास (ETV Bharat)

कुशल हुनर से जीवन यापन करते लोग
सोसाइटी फॉर चाइल्ड डेवलपमेंट की फाउंडर मधुमिता पुरी ने बताया कि करीब 35 साल पहले उन्होंने एक सपना देखा था कि विशिष्ट बच्चों और लोगों को अग्रसर करें. कुछ ऐसा किया जाए, जिससे उनके लिए जीवन यापन करना आसान हो सके. वर्तमान में 90 ऐसे विशेष लोग हैं जो दीये और दिवाली संबंधित डेकोरेटिव आइटम्स तैयार कर रहे हैं. वह ज्यादा पढ़े लिखे नहीं हैं. लेकिन उनको एक कुशल हुनर का ज्ञान दिया गया है. ताकि आमदनी के कई स्रोत खुल पाए.

दिवाली पर वेस्ट सिगरेट की डिब्बियों से कैंडल स्टैंड बना रहे दिव्यांग, हर त्यौहार करते हैं कुछ खास (ETV Bharat)
दिवाली पर वेस्ट सिगरेट की डिब्बियों से कैंडल स्टैंड बना रहे दिव्यांग, हर त्यौहार करते हैं कुछ खास (ETV Bharat)

इसके अलावा यह लोग खुद तो विशेष हैं हीं, वहीं उनके द्वारा तैयार किए जाने वाले सामान और भी ज्यादा खास हैं. दिव्यांगों द्वारा तैयार किए जाने वाले दीये व दिवाली फेस्टिवल आइटम्स वेस्ट मेटेरियल से तैयार किए जाते हैं. इसमें सिगरेट की खाली डिब्बी, वेस्ट पेपर, बेल पत्थर के बेस्ट छिलके, आदि चीजों से आकर्षक आइटम्स को तैयार किया जाता है.

दिव्यांग के पास अनेक टैलेंट

मधुमिता का मानना है कि वह दिव्यांग और स्पेशल जरूर हैं, लेकिन उनके पास अनेक और भी टैलेंट हैं. वह अपने विद्यार्थियों में यह उम्मीद करती हैं कि जो आता है, उसको आगे बढ़ाओ. इसी बुनियाद पर वह साल भर पड़ने वाले पर्व और त्योहार पर आकर्षक सामान तैयार करवाती है. दिव्यांगों के अंदर एक अलग तरीके का आत्मविश्वास पैदा होता है.
दिवाली पर वेस्ट सिगरेट की डिब्बियों से कैंडल स्टैंड बना रहे दिव्यांग, हर त्यौहार करते हैं कुछ खास (ETV Bharat)

लावारिस स्थिति में गरीबी रेखा से सीख
बता दें कि सोसाइटी फॉर चाइल्ड डेवलपमेंट एक ऐसा स्कूल है, जहां दिव्यांग बच्चे शिक्षा ग्रहण करने आते हैं. मधुमिता बताती हैं कि उनका प्रयास है कि यह बच्चे हिंदी, अंग्रेजी और गणित पढ़ने लायक सक्षम हैं. ताकि आगे आने वाले समय में उन्हें समस्या नहीं हो. समिति के साथ जो भी दिव्यांग छात्र जुड़े हैं, वह गरीबी रेखा के नीचे के हैं. सोसाइटी में कई ऐसे बच्चे भी मौजूद हैं जिनको उनके माता-पिता लावारिस स्थिति में रेलवे स्टेशनों, बस स्टैंड व सड़कों पर छोड़ कर चले जाते हैं, जिन्हें पहले बाल संस्थाओं द्वारा पाला जाता है.

दिवाली पर वेस्ट सिगरेट की डिब्बियों से कैंडल स्टैंड बना रहे दिव्यांग, हर त्यौहार करते हैं कुछ खास (ETV Bharat)

वहीं जैसे यह बच्चे बड़े होते हैं, उनको सरकार और दिल्ली पुलिस के माध्यम से इस संस्था में जोड़ लिया जाता है. बच्चों को संस्था के साथ जोड़ने का मुख्य उद्देश्य यही है कि वह दिव्यांग होने के साथ-साथ एक होनहार कारीगर भी बन सके यही उद्देश्य रहता है. सोसाइटी फॉर चाइल्ड डेवलपमेंट संस्था दिव्यांग और दिव्यांग बच्चों को समझ में इस्तेमाल होने वाले कुछ आकर्षक सामानों को बनाने की ट्रेनिंग देते हैं जिससे उनकी रोजी-रोटी आसानी से चलती रहे.

दिवाली पर वेस्ट सिगरेट की डिब्बियों से कैंडल स्टैंड बना रहे दिव्यांग, हर त्यौहार करते हैं कुछ खास (ETV Bharat)
दिवाली पर वेस्ट सिगरेट की डिब्बियों से कैंडल स्टैंड बना रहे दिव्यांग, हर त्यौहार करते हैं कुछ खास (ETV Bharat)
विशेष ट्रेनिंग दी जाती है

मधुमिता आगे बताती हैं कि उनका मुख्य उद्देश्य इन लोगों को आगे बढ़ाना है. जब यह लोग संस्था के साथ जुड़ते हैं तो उनके पास किसी भी तरीके का हुनर नहीं होता. पहले इन्हें दो-तीन महीने विशेष ट्रेनिंग दी जाती है जिसके बाद वो कुशल कारीगर के रूप में तैयार हो जाते हैं, तो उनको मेहनत के आधार पर सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम वेतन राशि दी जाती है.

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