लखनऊ:ऐसे मरीज जिनकी किडनी में दिक्कत है या किडनी खराब होती है, उन्हें डायलिसिस की आवश्यकता होती है. जिला अस्पतालों में डायलिसिस नहीं होने के कारण मरीजों को तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ता है. लखनऊ के बलरामपुर अस्पताल में एकमात्र डायलिसिस यूनिट है. इस अस्पताल के अलावा किसी अन्य अस्पताल में डायलिसिस की सुविधा नहीं है. अब लोकबंधु अस्पताल में भी यह सुविधा होगी, जिससे मरीजों को राहत मिलेगी.
लोकबंधु अस्पताल के एमएस डॉ. अजय शंकर त्रिपाठी ने बताया कि अस्पताल में आगामी दिनों में डायलिसिस की सुविधा उपलब्ध होगी. इसकी कवायद शुरू हो गई है. शासन को हमने लिखित तौर पर अवगत कराया है. इसकी आवश्यकता पड़ रही है. जल्द ही अस्पताल में डायलिसिस यूनिट उपलब्ध होगी. क्योंकि रोजाना यहां किडनी के 100 से अधिक मरीज इलाज के लिए आते हैं. ऐसे इन मरीजों का इलाज नहीं हो पाता है. नतीजतन रेफर कर दिया जाता है.
लोगों ने कहा- अब होगी आसानी:विक्रांत कुमार ने बताया कि हम आशियाना के रहने वाले हैं. हमारे लिए लोकबंधु अस्पताल ही सबसे नजदीक है. यहां अच्छा इलाज भी होता है. पापा को डायलिसिस की जरूरत पड़ी तो केजीएमयू जाना पड़ गया. वहां मरीजों का अधिक लोड है. जिसके कारण डायलिसिस निर्धारित तिथि पर नहीं हो पाती है. अगर लोकबंधु अस्पताल में यह सुविधा हो जाती है तो सबसे अच्छी बात होगी.
निजी अस्पतालों में डायलिसिस का अधिक शुल्क लगता है. वहीं, महिला कोमल वर्मा ने कहा कि यहां का स्टाफ बहुत अच्छा है. इलाज अच्छा होता है. डायलिसिस शुरू होने के बाद किडनी के मरीजों को फायदा होगा. पति के डायलिसिस के लिए हम लोहिया संस्थान में बार-बार दौड़ें है. बिल्कुल परेशान हो गए थे.
सिविल अस्पताल के सीएमएस डॉ. राजेश कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि सिविल अस्पताल में डायलिसिस की सुविधा नहीं है. क्योंकि, यह बहुत कम जगह में बना हुआ है. जगह कम होने के कारण हम यहां पर बहुत सारी सुविधाएं चाहते हुए भी नहीं कर पा रहे हैं. विधानसभा बगल में है. ज्यादातर वीआईपी मरीजों का दबाव रहता है. डायलिसिस के लिए मरीज को बलरामपुर अस्पताल में रेफर किया जाता है.
प्रदेश में पीपीपी मॉडल पर होगी डायलिसिस:नवंबर से प्रधानमंत्री राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम के तहत पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल पर डायलिसिस यूनिट का संचालन किया जा रहा है. गुर्दे के गंभीर मरीजों को उनके जिले में डायलिसिस की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है, ताकि मरीजों को डायलिसिस के लिए दूसरे जिलों तक दौड़ न लगानी पड़े.