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देवउठनी एकादशी 2024 : जयपुर के आराध्य गोविंद देवजी में हुआ तुलसी और शालिग्राम का विवाह

देवउठनी एकादशी पर जयपुर के मंदिरों में भगवान विष्णु को मंत्रोच्चार के बीच जगाया गया. इस मौके पर तुलसी शालिग्राम विवाह भी हुए.

Devuthani Ekadashi 2024
देवउठनी एकादशी 2024 (Photo ETV Bharat Jaipur)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Nov 12, 2024, 4:59 PM IST

Updated : Nov 12, 2024, 5:46 PM IST

जयपुर:चातुर्मास के चार महीने तक क्षीर सागर में शयन कर रहे भगवान विष्णु को मंगलवार को देवउठनी एकादशी पर घंटे, घड़ियाल, शंख और वेद मंत्रों के साथ जगाया गया. इसके साथ ही मांगलिक कार्यक्रमों का दौर भी शुरू हो गया. इसकी शुरुआत गोविंद देवजी मंदिर प्रांगण सहित कई कृष्ण मंदिरों में तुलसी और सालिग्राम के विवाह के साथ हुई.

जयपुर के आराध्य गोविंद देवजी मंदिर में हर साल की तरह इस वर्ष भी देवउठनी एकादशी महोत्सव के रूप में मनाया गया. मंदिर सेवाधिकारी मानस गोस्वामी ने बताया कि मंगला झांकी से पहले ठाकुर श्रीजी का वैदिक मंत्रोचारण के साथ पंचामृत अभिषेक किया गया और विशेष अलंकार शृंगार किया गया.

जयपुर के आराध्य गोविंद देवजी में हुआ तुलसी और शालिग्राम का विवाह (Photo ETV Bharat Jaipur)

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ठाकुरजी को बिठाया चांदी के रथ पर: महंत अंजन कुमार गोस्वामी ने ठाकुर सालिग्राम को चांदी की चौकी पर विराजमान कर मंदिर के दक्षिण-पश्चिम कोने में स्थित तुलसी मंच पर लाकर विराजमान किया गया.इसके बाद सालिग्राम का पंचामृत अभिषेक पूजन किया गया.अभिषेक के बाद ठाकुर सालिग्राम और तुलसी महारानी की आरती पूजन कर भोग लगाया गया. बाद में तुलसी महारानी और सालिग्राम की चार परिक्रमा कर ठाकुर सालिग्राम को चांदी के रथ में विराजमान कर मंदिर की एक परिक्रमा कर दोबारा गर्भगृह में ठाकुर श्रीजी के समीप विराजमान कराया गया. इसके बाद धूप आरती के दर्शन हुए.

ठाकुरजी को बिठाया चांदी के रथ पर (Photo ETV Bharat Jaipur)

धारण कराई विशेष पोशाक:ठाकुर श्रीजी को लाल रंग की सुनहरे पार्चे की लप्पा जामा पोशाक धारण कराई गई और विशेष फूल अलंकार शृंगार धारण कराया गया. साथ ही ठाकुर श्रीजी को विशेष सागारी लड्डू, फल, माखन मिश्री का भोग अर्पित किया गया. आपको बता दें कि कार्तिक शुक्ल एकादशी युक्त द्वादशी तिथि के प्रदोष काल में तुलसी विवाह को उत्तम माना गया है, जो शास्त्र अनुसार भी श्रेष्ठ है. पैराणिक कथाओं के अनुसार दैत्यराज जलंधर की पत्नी का नाम वृंदा था, जो एक विष्णु भक्त और पतिव्रता स्त्री थी. उसके तप के कारण जलंधर को हराना मुश्किल था, तब भगवान विष्णु ने जलंधर का रूप धारण करके वृंदा के पतिव्रता धर्म को भंग कर दिया, जिसके फलस्वरूप जलंधर मारा गया. ये जानकर वृंदा ने अपना जीवन खत्म कर लिया. उस स्थान पर एक तुलसी का पौधा प्रकट हुआ. भगवान विष्णु ने वरदान दिया कि तुलसी का विवाह उनके सालिग्राम स्वरूप से होगा और उनकी पूजा तुलसी के बिना अपूर्ण होगी. इस वजह से विष्णु पूजा में तुलसी के पत्ते जरूर शामिल करते हैं.

देवउठनी एकादशी पर जयसिंहपुरा खोर स्थित तेजाजी मंदिर प्रांगण में माली (सैनी) समाज विकास सेवा समिति की ओर से 14वां सामूहिक विवाह सम्मेलन का आयोजन किया गया. विवाह सम्मेलन में 24 जोड़े परिणय सूत्र में बंधे. विधायक बालमुकुंद आचार्य, कांग्रेस के जिला अध्यक्ष आरआर तिवारी, पूर्व मंत्री बृजकिशोर शर्मा, भाजपा नेता रवि नैय्यर ने विवाह सम्मेलन में पहुंचकर वर-वधू को आशीर्वाद दिया.

Last Updated : Nov 12, 2024, 5:46 PM IST

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