देहरादूनः उत्तराखंड चारधाम यात्रा पर रोजाना करीब 55 से 60 हजार श्रद्धालु दर्शन करने पहुंच रहे हैं. लेकिन मॉनसून सीजन के दौरान श्रद्धालुओं का यह आंकड़ा घटकर करीब 20 से 25 हजार रोजाना तक सीमित हो जाता है. जिसकी मुख्य वजह यह है कि मॉनसून सीजन के दौरान पर्वतीय क्षेत्रों में यात्रा करना काफी खतरनाक होता है. मॉनसून सीजन के दौरान श्रद्धालु सुलभ तरीके से यात्रा कर सके, इसके लिए शासन प्रशासन की तरफ के तमाम व्यवस्थाएं की जाती हैं.
इन्हीं व्यवस्थाओं में से एक, चारधाम यात्रा पूजा की बुकिंग है. दरअसल ऐसे श्रद्धालु जो चारधाम के दर्शन करने और धामों में पूजा अर्चना कराना चाहते हैं, लेकिन आ नहीं सकते वे श्रद्धालु अपने नाम से ऑनलाइन पूजा अर्चना कर पुण्य कमा सकते हैं. इसके लिए श्रद्धालुओं को बदरीकेदार मंदिर समिति की ऑफिशल वेबसाइट https://badrinath-kedarnath.gov.in पर जाकर पूजा की बुकिंग करनी होगी. केदारनाथ और बदरीनाथ धाम में प्रातः काल की पूजा से लेकर सायंकाल की पूजा के बीच तमाम पूजा होती है. कुछ ऐसी पूजा भी होती है जो श्रद्धालुओं की ओर से कराई जाती है. हर पूजा के लिए बीकेटीसी की तरफ से शुल्क निर्धारित है.
केदारनाथ धाम में 1300 लोगों ने कराई बुकिंग: हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु ऑनलाइन पूजा के लिए बुकिंग करते हैं. जिसके तहत साल 2023 में बदरीनाथ धाम में अलग-अलग पूजा के लिए करीब 19 हजार 700 लोगों ने ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाया था. इसी क्रम में बाबा केदारनाथ धाम में पूजा के लिए करीब 20 हजार श्रद्धालुओं ने बुकिंग कराई थी. मौजूदा साल 2024 में भी बढ़ चढ़कर लोग ऑनलाइन पूजा के लिए बुकिंग करवा रहे हैं. बदरीनाथ धाम में अभी तक करीब 2300 श्रद्धालु और केदारनाथ धाम के लिए करीब 1300 लोगों ने पूजा के लिए बुकिंग करवाई है.
दो तरीके से होती है पूजा: धामों में पूजा अर्चना के लिए ऑनलाइन पूजा की बुकिंग कराने पर दो तरीके से पूजा की जाती है. पहला- जब श्रद्धालु धामों में दर्शन के लिए जाता है तो ऑनलाइन पूजा की बुकिंग कराकर धाम में पूजा करवा सकता है. इसमें खास बात यह है कि ऑनलाइन पूजा की बुकिंग के दौरान श्रद्धालु खुद अपनी सुविधा के अनुसार दिन और समय का चयन कर सकता है. लेकिन अगर किसी कारण श्रद्धालु धाम में नहीं पहुंच पाता है तो उसके तय किए गए पूजा की तिथि और समय पर संबंधित व्यक्ति के नाम से पूजा अर्चना की जाती है. साथ ही श्रद्धालु के घर प्रसाद भेज दिया जाता है. धामों में ऑनलाइन पूजा की सुविधा का लाभ अधिकतर वे श्रद्धालु उठा रहे हैं जो दर्शन करने नहीं आ सकते हैं.