सराज:मंडी जिले की सराज विधानसभा क्षेत्र के छतरी में पांच दिवसीय मगरू महादेव मेला शुक्रवार से शुरू हो गया है. ये मेला देव मगरू महादेव मंदिर के प्रांगण में आयोजित किया जाता है. जिसका शुभारंभ स्थानीय पंचायत प्रधान रघुनाथ कटौच ने दीप जलाकर किया. स्थानीय मेला कमेटी ने मुख्य अतिथि को शाल व टोपी के साथ स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया.
मेले में 22 साल बाद पहुंची देवी महामाया गाड़ (ETV Bharat) मेले में 7 देवी-देवताओं ने लिया भाग
मेले के शुभारंभ के अवसर पर सराज के 7 देवी-देवताओं ने मेले में भाग लिया. जिसमें की जंजैहली घाटी से 22 साल बाद बतौर मेहमान देवी महामाया गाड़ छतरी मेले में पहुंची. उनके साथ-साथ देव मगरू महादेव, देव चुंजवाला, देव नारायण, माता गाड़ा दुर्गा, देव खोडा, देव धनैलू और देव मटलासरी छतरी मेले में भाग लेने के लिए पहुंचे. मेले के शुभारंभ पर सभी देवी-देवताओं की भव्य जलेब निकाली गई.
मेले में सात देवी-देवतों ने लिया भाग (ETV Bharat) पांच दिनों तक चलेगा छतरी मेला
उपमंडल थुनाग से करीब 40 किलोमीटर दूर छतरी मेला सराज के प्रसिद्ध मेलों में से एक है. ये मेला हर साल अगस्त महीने में 16 तारीख से शुरू होकर 20 अगस्त तक चलता है. पांच दिवसीय इस मेले को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं. मेले का मुख्य आकर्षण स्थानीय देवी-देवताओं के साथ-साथ लोक गायक होते हैं, जो कि मेले की शोभा को बढ़ाते हैं.
छतरी मेले की विशेषता
मगरू महादेव के कारदार कश्मीर सिंह ठाकुर ने बताया कि सराज का छतरी मेला एक ऐसा मेला है, जहां पर लोगों के साथ देवी-देवता भी नाचते हैं. मंदिर में हर महीने जब भी हिंदू धर्म के अनुसार भद्रा माह शुरू होता है. उसी दिन से ही इस मेले की शुरुआत होती है. छतरी मेले में दूर-दराज से लोग देवी-देवताओं के दर्शनों के लिए आते हैं. इस दौरान हर साल मगरू महादेव सभी नजदीकी गांव की यात्रा करते हैं.
प्राचीन काष्ठ शिल्प का बेजोड़ नमूना मंदिर
मगरू महादेव के कारदार कश्मीर सिंह ठाकुर ने बताया कि मगरू महादेव का मंदिर प्राचीन काष्ट कला का एक अद्भुत नमूना है. मंदिर में दीवारों पर की गई लकड़ी की नक्काशी, इसकी खूबसूरती में चार चांद लगा देती है. मगरू महादेव मंदिर सतलुज वर्गीय शैली में तीन मंजिला है, जो उत्तरी भारत के उत्कृष्ट मंदिरों में विशेष स्थान रखता है. बाहर से साधारण दिखने वाला ये मंदिर अंदर से पूरी तरह से नक्काशी से सजा हुआ है. इसमें चित्रकारी के जरिए कई युगों का जिक्र किया गया है. 13वीं शताब्दी में निर्मित इस मंदिर के अंदर शिव और पार्वती की पाषाण प्रतिमाएं दर्शनीय हैं. साल भर यहां पर मेलों का आयोजन होता रहता है और दूर-दूर से लोग यहां देवता के दर्शनों के लिए आते हैं.
मेले में स्थानीय लोगों के साथ नाचे देवी-देवता (ETV Bharat) नदियों के बीच पहाड़ों से घिरा मगरू महादेव मंदिर
हिमाचल प्रदेश को देवभूमि के नाम से जाना जाता है. यहां के सभी मंदिर अपनी-अपनी विशेषता लिए हुए हैं. ऐसा ही एक मंदिर है मगरू महादेव मंदिर, जो कि बहुत ही प्राचीन मंदिर है. यह मंदिर दो छोटी-छोटी नदियों के बीच छतरी नाम के स्थान पर स्थित है. यह एक खूबसूरत जगह पर, पहाड़ों से घिरा हुआ है. कारदार कश्मीर सिंह ठाकुर ने बताया कि छतरी गांव में स्थित मगरू महादेव मंदिर कुल्लू जिले के आनी से मात्र 8 किलोमीटर, मंडी से 158 किलोमीटर दूर और करसोग से 45 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.
'मेले और त्योहार समृद्ध संस्कृति के परिचायक'
इस अवसर पर स्थानीय पंचायत प्रधान रघुनाथ कटौच ने कहा कि मेले और त्योहार हमारी समृद्ध संस्कृति के परिचायक हैं. इन मेलों के पौराणिक रीति-रिवाजों को संजोए और बनाए रखना हम सभी नागरिकों का परम कर्तव्य है. उन्होंने कहा कि इन मेलों के आयोजन से जहां दूरदराज के ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को अपने रोजमर्रा के कामों से हटकर मनोरंजन का करने का मौका मिलता है. वहीं, उन्हें अपने सगे-संबंधियों से भी मिलने का मौका मिलता है. मुख्य अतिथि ने मेला कमेटी को 10 हजार रुपए देने की भई घोषणा की.
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