भरतपुर.देश में सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगे दो साल हो चुके हैं. 1 मई 2024 से प्रदेश के नेशनल पार्क और टाइगर रिजर्व में भी प्लास्टिक बोतल और पॉलिथीन पर बैन लगा दिया गया है, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि ना तो सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग बंद हुआ है और ना ही जंगलात में प्लास्टिक की बोतल और बैग का प्रवेश रुका है. बाजारों में भी धड़ल्ले से प्लास्टिक कैरी बैग का इस्तेमाल किया जा रहा है. वहीं, केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में भी प्लास्टिक बैन की सख्ती से पालना नहीं हो रही है. जिम्मेदारों का कहना है कि उनकी तरफ से लगातार सिंगल यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल के खिलाफ कार्रवाई की जाती है.
कूड़ेदान बता रहे नियम की हकीकत :1 मई 2024 से वन विभाग ने प्रदेश के नेशनल पार्क और टाइगर रिजर्व में प्लास्टिक की बोतल और प्लास्टिक कैरी बैग के इस्तेमाल पर रोक लगा दी थी. यह नियम सख्ती से लागू करने के आदेश थे. इस संबंध में केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के निदेशक मानस सिंह ने घना प्रशासन, कर्मचारियों, रिक्शाचालक, नेचर गाइड और होटल व्यवसायियों के साथ बैठक भी की. लेकिन जब ईटीवी भारत ने मंगलवार को घना में जाकर प्लास्टिक बैन की हकीकत जानी, तो चौंकाने वाले हालात मिले. यहां घना में धड़ल्ले से कैरीबैग इस्तेमाल नजर आया. घना के कचरा पात्र प्लास्टिक की बोतलों से भरे मिले, जिससे स्पष्ट है कि घना में प्लास्टिक की बोतलों का इस्तेमाल नहीं रुका है.