लखनऊ: उत्तर प्रदेश की सियासत के ठहरे हुए पानी में एक बार फिर हलचल हो रही है. पिछले कुछ समय में माना जा रहा था कि उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य सरकार के साथ सही लय ताल में चल रहे हैं लेकिन, एक बार फिर मौर्य ने राजनीतिक करवट ले ली है. कुछ मीटिंग में आने के बाद केशव प्रसाद मौर्य उत्तर प्रदेश की राजनीति को लेकर सबसे महत्वपूर्ण बैठक में गुरुवार की शाम गायब हो गए.
केशव प्रसाद मौर्य अकारण ही इस बैठक में नहीं आए. उनके नजदीकी लोगों का कहना है कि, वह कहां गए हैं और क्यों नहीं आए उनको इस बात की जानकारी नहीं है. मगर यह बात तय है कि केशव प्रसाद मौर्य के इस बैठक में शामिल न होने के पीछे कोई ठोस कारण नहीं है. इसलिए सियासी गालियारों में एक बार फिर यह चर्चा गर्म होने लगी है कि, क्या मौर्य ने फिर से सरकार से किनारा करना शुरू कर दिया है.
चार जून को लोकसभा का चुनाव परिणाम आने के बाद से लगातार केशव प्रसाद मौर्य का रुख बदला हुआ नजर आ रहा था. इसके बाद में उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा बुलाई गई बैठकों में वह नहीं आ रहे थे. कई बैठक में ना आने के बाद उन्होंने अलग-अलग मंच से कहीं न कहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की धारा के विपरीत बयानबाजी भी शुरू की थी.
वे लगातार मंचों से यह कह रहे थे कि 2027 में 2017 को दोहराएंगे. जबकि 2022 में भारतीय जनता पार्टी को विधानसभा चुनाव में जो जीत मिली है, उसका कोई उल्लेख नहीं कर रहे थे. दरअसल, 2017 में केशव प्रसाद मौर्य खुद प्रदेश अध्यक्ष थे. दूसरी ओर जब 2022 में बीजेपी ने चुनाव जीता था तब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस जीत के नेता माने गए थे. केशव प्रसाद मौर्य ने संगठन को सरकार से बड़ा बताने का एक बयान भी दिया था.