अलवर.जैसे जैसे गणेश चतुर्थी का पर्व नजदीक आ रहा है, इसी को देखते हुए अब अलवर जिले में तैयार हुई मूर्तियां को बाहर भेजने की तैयारी की जा रही है. गणेश प्रतिमा के लिए लोगों की पहली पसंद अलवर बन रहा है. इसका खास कारण है कि अलवर में इको फ्रेंडली गणेश प्रतिमा बनाई जाती है, जो की चिकनी मिट्टी से तैयार की जाती है. अलवर में कारीगरों द्वारा करीब 6 माह पहले इसकी तैयारी शुरू कर दी जाती है. अलवर शहर के एक परिवार ने अपने पुरखों की इस विरासत को सहेजकर रखा. आज इसी के चलते अलवर का नाम की मूर्तियों के जरिए विदेशों तक पहुंचाया. गणेश चतुर्थी के पर्व तक इस परिवार द्वारा बनाई गई करीब 10 हजार से ज्यादा प्रतिमाएं विदेश व कई राज्यों तक पहुंचती है.
गणेश प्रतिमा बनाने वाले कारीगर रामकिशोर ने बताया कि यह उनका पुश्तैनी काम है. इससे पहले उनके बुजुर्ग मिट्टी से कई आइटम बनाने का कार्य करते थे. लेकिन जैसे-जैसे समय आगे बढ़ता गया, उन्होंने मिट्टी के आइटमों के अलावा चिकनी मिट्टी से गणेश जी की इको फ्रेंडली प्रतिमा बनाने की शुरुआत की, जिसे लोगों द्वारा काफी पसंद किया गया.
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10 हजार से ज्यादा प्रतिमा करते है तैयार :रामकिशोर ने बताया कि उन्होंने जब गणेश प्रतिमा बनाने की शुरुआत की, तब कम क्वांटिटी में प्रतिमा को बनाया. लेकिन आज उनकी द्वारा बनाई प्रतिमा को इतना पसंद किया जाता है, जिसके चलते 5- 6 माह पहले ही गणेश प्रतिमा बनाने की शुरुआत करते हैं और गणेश चतुर्थी पर्व आते आते 10 हजार से ज्यादा बनाई हुई प्रतिमाएं बाजार में बिकने के लिए पहुंचती है.
दो माह पहले ऑर्डर पर भी करते हैं तैयार : रामकिशोर ने बताया कि उनके पास मूर्तियां बनाने के ऑर्डर भी आते हैं. यदि कोई व्यक्ति अपने पसंद की प्रतिमा बनवाना चाहता है, तो इसके लिए उन्हें दो माह पहले मॉडल की फोटो देनी होती है. उन्होंने बताया कि पार्टी द्वारा दिया गया मॉडल को देख परख कर बनाने में और फिनिशिंग में समय लगता है. जिसके लिए करीब दो माह पहले आर्डर लिया जाता है.
सभी प्रतिमाएं बनाई जाती है हाथ से : मूर्ति बनाने वाले कारीगर रामकिशोर ने बताया कि उनके परिवार द्वारा बनाई गई सभी मूर्तियां हाथों से निर्मित है. यदि मूर्तियों का आर्डर ज्यादा होता है, तो उसके लिए पहले मूर्ति के आकार का मॉडल बनाया जाता है. उसे भी हाथों द्वारा तैयार किया जाता है. यदि कम क्वांटिटी में मूर्तियां बनानी होती है, तो सब लोग हाथों से ही मूर्तियों को तैयार करते हैं. उन्होंने बताया कि कुछ मूर्तियां ऐसी होती है जो एक दिन में तैयार हो जाती है, तो वहीं कुछ मूर्तियां ऐसी होती है, जो करीब 10 दिनों में तैयार होती है. छोटी व बड़ी मूर्ति के हिसाब से देखना पड़ता है कि वह कितने समय में तैयार हो सकती है.