लखनऊ : बेंगलुरू में अतुल सुभाष (34) ने इसलिए आत्महत्या कर ली क्योंकि वह अपनी पत्नी की ओर से लगाए गए आरोपों से परेशान हो चुका था. उसका आरोप था कि एक के बाद एक धाराएं उस पर और उसके परिवारवालों पर लगाई गईं. हमारे समाज में सिर्फ अतुल का ही नहीं बल्कि बहुत सारे ऐसे मामले आए हैं जिनमें पुरुषों ने महिलाओं के आरोपों से प्रताड़ित होकर आत्महत्या कर ली. महिलाओं की समस्या के लिए तमाम कानून बनाए गए हैं, यहां तक की महिला आयोग का भी गठन किया गया है, लेकिन पुरुषों की दिक्कतें सुनने के लिए कोई भी नहीं है.
पुरुष आयोग की मांग कर रहीं सामाजिक कार्यकर्ता इंदु प्रकाश ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कहा कि हमारे समाज में जब पुरुष के ऊपर अत्याचार होता है तो उनकी सुनने वाला भी कोई नहीं होता है. उन्होंने कहा कि हमारे पास बहुत सारे ऐसे मामले आते हैं, जिसमें पुरुष अपनी ही पत्नी से प्रताड़ित रहता है. पत्नी के द्वारा गलत आरोप लगाकर पारिवारिक न्यायालय में केस दर्ज कराया जाता है. इस तरह के केसों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है, इसके पीछे कई कारण हैं. उन्होंने कहा कि हर महिला या हर पुरुष एक समान नहीं होता है. कुछ महिलाएं जो इस तरह की घटनाओं को अंजाम देती हैं, उनके मन मुताबिक जब चीज नहीं होती है तो उस पर वह तलाक के लिए पारिवारिक न्यायालय जाती हैं. केस दर्ज करते समय तमाम धाराओं के साथ पति पर केस दर्ज करा देती हैं.
उन्होंने कहा कि पिछले 20 वर्षों से इस तरह के केस तेजी से बढ़े हैं. आज इंजीनियर अतुल सुभाष के साथ ऐसा हुआ है, कल किसी और के साथ ऐसा होगा, ऐसे में सरकार को पुरुषों के हित में कोई न कोई कानून जरूर बनना चाहिए. अतुल पढ़े लिखे शख्स थे. उन्होंने अपनी आपबीती पूरी दुनिया को सुनाई, फिर उसके बाद उन्होंने आत्महत्या का कदम उठाया, लेकिन बहुत सारे ऐसे पुरुष हैं जिनके बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं होती है. वह अंदर ही अंदर परेशानियों से लड़ते, झगड़ते व जूझते हैं, केस के चक्कर में घर, जमीन, जायदाद सब बिक जाता है. लेकिन, किसी को कानों कान खबर तक नहीं होती है. हमें उन बेकसूरों को भी इंसाफ दिलाने के लिए आवाज उठानी है, ताकि भविष्य में कभी किसी दूसरे अतुल के साथ इस तरह की घटना न हो.
उन्होंने कहा कि अतुल ने करीब 24 पेज का सुसाइड नोट लिखा. डेढ़ घंटे का वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट किया, जिसमें वह अपनी तमाम दिक्कतों को बता रहे हैं और कह रहे हैं कि उसे इंसाफ नहीं मिला है. अगर डेढ़ घंटे का वीडियो बनाते समय वह अपने इस निर्णय पर अडिग रहे तो सोचिए उसकी मानसिक स्थिति क्या होगी. इस तरह के एक नहीं बल्कि 100 मामले मेरे पास हैं. ऐसे में हम काउंसलिंग करते हैं. हमारे पास जो भी पुरुष आते हैं अपनी दिक्कतों को बताते हैं, हम उनकी पत्नियों से भी मिलते हैं और उनसे कन्फर्म बातें करते हैं कि आखिरकार उन्हें चाहिए क्या है. क्या दिक्कत हो रही है. कोशिश करते हैं कि दोनों की सहमति से बात बन जाए. बहुत सारे ऐसे पुरुष हमारे पास आए, जो सुसाइड तक करने के लिए मजबूर हो गए थे. हालांकि समय रहते उनकी काउंसलिंग हुई तो वह बच गए. उन्होंने कहा कि एनसीआरबी के आंकड़ा जो सरकार का डाटा है वह खुद कह रहा है कि 92 हजार पुरुष हर वर्ष आत्महत्या कर रहा है, जिसमें 67 हजार विवाहित पुरुष होता है. महिलाओं की संख्या 29 हजार है.