नई दिल्ली:15 अगस्त को देश अपना 77वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहा है. स्वतंत्रता दिवस पर देश के आजाद होने के साथ-साथ भारत और पाकिस्तान के विभाजन की यादें भी ताजा होती है. बंटवारे के कारण करोड़ों लोग प्रभावित हुए. इस दौरान हुए दंगों में 10 लाख से ज्यादा लोग मारे गए. इस विभाजन के दर्द और विभीषिका से मौजूदा पीढ़ी को अवगत कराने के लिए केंद्र सरकार ने 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका दिवस के रूप में घोषित किया है.
इस विभाजन के दर्द और परिस्थितियों को बयां करने के लिए दिल्ली के कश्मीरी गेट स्थित अंबेडकर विश्वविद्यालय के परिसर में स्थित दारा शिकोह लाइब्रेरी की बिल्डिंग में एक विभाजन संग्रहालय स्थापित किया गया है. इसमें भारत पाकिस्तान विभाजन के समय की बहुत सारी स्मृतियां को संजोया गया है. इस संग्रहालय का संचालन द आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज नामक एनजीओ द्वारा किया जाता है.
इसी तरह का एक इससे बड़ा संग्रहालय अमृतसर में भी है. यह देश में इस तरह का दूसरा संग्रहालय है, जो विभाजन की कहानी को बयां कर रहा है. इस संग्रहालय में जो परिवार पाकिस्तान से पलायन करके दिल्ली में आकर बसे थे उन परिवार के सदस्यों ने वहां से विभाजन के समय लाई गई बहुत सारी चीजों को इस संग्रहालय को दान किया है. वह चीजें इस संग्रहालय में संभाल कर रखी गई हैं. साथ ही उन सभी चीजों के महत्व को बताते हुए यहां प्रदर्शित किया गया है. इस विभाजन संग्रहालय का केंद्र दिल्ली है तथा यहां 1947 की घटनाओं के दौरान इस शहर और उसमें रहने वाली शरणार्थी आबादी पर पड़े प्रभाव पर विशेष ध्यान दिया गया है.
यह एक स्मारक है, जो उन लाखों पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को समर्पित है, जो रातों-रात अपना घर अथवा जीवन खो बैठे थे. संग्रहालय में उस समय की शरणार्थी शिविर ट्रेनों से पाकिस्तान से भारत लौट रहे लोगों के वीडियो शरणार्थी सवेरा में रह रहे लोगों बंटवारे के समय अखबारों में छपी समाचारों और भारत में शरणार्थी के रूप में आए हुए परिवार के सदस्यों के द्वारा बताई गई कहानियों को भी संरक्षित किया गया है. ऑडियो वीडियो के माध्यम से इन कहानियों को देख-सुन सकते हैं और विभाजन के दर्द को समझ सकते हैं.
निशुल्क है संग्रहालय में प्रवेश:संग्रहालय में आने वाले दर्शकों को विजिट कराने का काम देख रही अभिशक्ता ने बताया कि संग्रहालय में प्रवेश अभी तक निशुल्क है. मंगलवार से लेकर रविवार तक सुबह 10 से पांच बजे तक कोई भी संग्रहालय को देखने के लिए आ सकता है. सोमवार को संग्रहालय बंद रहता है. अभी प्रवेश निशुल्क है लेकिन आने वाले समय में कुछ शुल्क निर्धारित किया जा सकता है. अभी फिलहाल जो भी लोग संग्रहालय में अपनी इच्छा से कुछ दान देना चाहते हैं तो उसके लिए दान पात्र रखा गया है. अभी यह संग्रहालय पूरी तरह से डोनेशन पर ही चल रहा है.
सात गैलरी में विभाजित है संग्रहालय:संग्रहालय सात गैलरी में विभाजित है. इसकी यात्रा 1900 के दशक में ब्रिटिश राज के बढ़ते प्रतिरोध के साथ शुरू होती है. यहां 1900-1946 की अवधि के महत्वपूर्ण क्षणों पर प्रकाश डाला गया है और 1947 की शुरुआत में भारत के अधिकांश हिस्से को अपनी चपेट में ले लेने वाले अराजकतापूर्ण दंगों को भी वर्णित किया गया है. विभाजन की घोषणा के बाद बंगाल और पंजाब को दो भागों में विभाजित करते हुए, केवल 5 सप्ताह के भीतर सीमाओं का तदर्थ रेखांकन कर दिया गया. इन विभाजनकारी फैसलों के कारण लोगों का जीवन बिखर गया. वे भोजन व आश्रय के बिना अपने घरों से भागकर दोनों देशों के शरणार्थी शिविरों में पहुँचे.
विभाजन ने बदल दिया दिल्ली का नक्शा:संग्रहालय में दी गई जानकारी के अनुसार, विभाजन ने दिल्ली के मानचित्र को हमेशा के लिए बदल दिया. राहत और पुनर्वास मंत्रालय की स्थापना 6 सितंबर 1947 को की गई थी. केंद्रीय अनंतिम सरकार ने उपलब्ध खुली जगहों पर सैकड़ों टेंटों का निर्माण किया. स्कूलों और अन्य सार्वजनिक भवनों ने अस्थायी आश्रय प्रदान किए. दिल्ली में सभी बड़े स्मारक और उनके मैदानों, जैसे हुमायूँ का मकबरा, सफदरजंग का मकबरा, पुराना किला और तीस हजारी शरणार्थी शिविरों के रूप में इस्तेमाल किया गया. यह एक जन-केंद्रित संग्रहालय है, जहाँ लाखों असहाय लोगों की कहानियों बयां करने के लिए मौखिक इतिहास, वस्तुओं और तस्वीरों का सहारा लिया गया है.