नई दिल्ली: दिल्ली की सातों लोकसभा सीटों पर इस बार चुनावी मैदान में कुल 162 प्रत्याशियों ने अपनी किस्मत आजमाया. लेकिन मतदाताओं ने सिर्फ बीजेपी और 'इंडिया गठबंधन' के ही प्रत्याशी को पहले और दूसरे नंबर के रूप में सबसे ज्यादा पसंद किया है. दिल्ली के 1.52 करोड़ मतदाताओं में से सिर्फ 58.03 फीसदी वोटर्स ने अपना वोट का इस्तेमाल किया था. इसके चलते चुनाव परिणाम में साफ हुआ कि 148 कैंडिडेट्स को जमानत बचाने लायक भी वोट नहीं मिला. मतलब इस चुनाव में बीजेपी और आम आदमी पार्टी-कांग्रेस के कैंडिडेट्स ही जमानत बचाने में कामयाब रहे.
निर्वाचन आयोग के आंकड़ों की मानें तो दिल्ली में इस बार केवल 58.03 फीसदी वोटिंग हुई थी, जो 2019 और 2014 चुनावों के मुकाबले कम रिकार्ड की गई थी. 2019 के लोकसभा चुनाव में सातों सीटों पर कुल 60.60 फीसदी मतदान हुआ था, जबकि 2014 के लोकसभा चुनाव में 2019 के मुकाबले और ज्यादा वोटिंग यानी 65.10 फीसदी थी. 2024 में दिल्ली के वोटरों ने कोई खास दलचस्पी नहीं दिखाई. वहीं, जिन मतदाताओं ने वोटिंग में दिलचस्पी रखी वो सिर्फ दो बड़ी पार्टियों को ही पहली और दूसरी पसंद के रूप में ज्यादा वोट किए हैं.
चुनाव परिणाम के आंकड़ों की मानें तो आम आदमी पार्टी को दिल्ली में 24.17 पर्सेंट वोट मिला है. जबकि, कांग्रेस को 18.91 फीसदी वोट मिला है. बीजेपी ने 54.35 वोट शेयर हासिल कर दोनों पार्टियों को एक बार फिर से धराशाही करते हुए परचम लहराया है. वोटिंग पर्सेंटज के चलते 148 कैंडिडेट्स अपनी जमानत तक नहीं बचा पाए हैं. चुनावी मैदान में उतरे प्रत्याशी को जमानत बचाने के लिए कुल पड़े वोट का कम से कम 1/6 फीसदी मत हासिल करना अनिवार्य होता है लेकिन बीजेपी-आप-कांग्रेस से इतर प्रत्याशी अपनी-अपनी सीटों पर इतने फीसदी वोट हासिल नहीं कर पाए.