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दिल्ली में वनक्षेत्र के तीन पेड़ों को हटाने की मांग पर हाईकोर्ट ने वन विभाग को लगाई फटकार, मांगा स्पष्टीकरण - HC REPRIMANDS FOREST DEPARTMENT

-वन विभाग ने पेड़ों को दूसरी जगह शिफ्ट करने की दायर की थी याचिका. -कहा स्पष्टीकरण के बाद मिलेगी याचिका वापस लेने की अनुमति.

दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट (ETV Bharat)

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Nov 20, 2024, 9:57 PM IST

नई दिल्ली:दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली के वन विभाग को तीन पेड़ों को दूसरी जगह शिफ्ट करने की मांग करने वाली याचिका दायर करने पर फटकार लगाई है. जस्टिस जसमीत सिंह की बेंच ने वन विभाग के उप संरक्षक से पूछा, क्या आपने याचिका दायर करने के पहले ये सोचा कि जहां से पेड़ को हटाना चाहते हैं वो वन क्षेत्र माना गया है.

दरअसल, वन विभाग ने याचिका दायर कर आनंद विहार से दिलशाद गार्डेन के बीच बने फ्लाईओवर के बीच तीन पेड़ों को हटाकर दूसरे जगह लगाने की अनुमति देने की मांग की थी. वन विभाग ने लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) फ्लाईओवर के रास्ते में आ रहे तीन पेड़ो को हटाकर दूसरी जगह ले जाने की मांग की थी. पीडब्ल्यूडी का कहना था कि तीन पेड़ों को हटाए जाने के बाद ट्रैफिक की आवाजाही सुगम हो जाएगी.

याचिका वापस लेने की अनुमति नहीं: सुनवाई के दौरान एमिकस क्यूरी गौतम नारायण ने पेड़ो को हटाने की मांग का विरोध करते हुए कहा कि जो रास्ता बताया जा रहा है, वो वनक्षेत्र माना गया है. ऐसे में पेड़ों को काटने की अनुमति नहीं दी जा सकती है. सुनवाई के दौरान जब वन विभाग के वकील ने हाईकोर्ट से याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी तो हाईकोर्ट ने कहा कि हम याचिका वापस लेने की अनुमति नहीं देंगे. पहले आप ये बताएं कि आपने ये पता लगाया था कि नहीं कि जिन पेड़ों को हटाने की आप मांग कर रहे हैं वो वनक्षेत्र है. जब वन विभाग इस संबंध में स्पष्टीकरण देगा उसके बाद ही याचिका वापस लेने की अनुमति दी जाएगी.

अरेस्ट मेमो में कॉलम जोड़े पुलिस:वहीं एक अन्य मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर को निर्देश दिया है कि वो किसी आरोपी को गिरफ्तार करते समय अरेस्ट मेमो में गिरफ्तारी की वजह का कॉलम जोड़ें. जस्टिस दिनेश कुमार शर्मा की बेंच ने एक आरोपी की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए ये आदेश दिया. याचिकाकर्ता ने कहा था कि उसे गिरफ्तार करते समय उसे गिरफ्तारी की वजह नहीं बताई गई थी. ऐसा करना अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 50 का उल्लंघन है. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने आरेस्ट मेमो को देखा और पाया कि आरेस्ट मेमो का जो फॉर्मेट है उसमें गिरफ्तारी की वजह बताने वाला कोई कॉलम नहीं है.

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