नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने सिविल सेवा अभ्यर्थियों के लिए आवासीय कोचिंग अकादमी में अन्य पिछड़ा वर्ग (गैर-क्रीमी लेयर) छात्रों के प्रवेश को लेकर दायर जनहित याचिका पर जामिया मिलिया इस्लामिया से जवाब मांगा हैं. मुख्य न्यायाधीश डी.के. उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने विधि स्नातक सत्यम सिंह की जनहित याचिका पर जामिया मिलिया इस्लामिया और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) को नोटिस जारी किया.
सत्यम सिंह ने यूजीसी के दिशा-निर्देशों का हवाला देते हुए कहा कि जामिया मुफ्त कोचिंग को केवल छात्राओं और अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति तथा अल्पसंख्यक समुदायों तक सीमित नहीं कर सकता, उसका दायित्व ओबीसी (गैर-क्रीमी लेयर) और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (EWS) दोनों को लाभ प्रदान करना है.
कोर्ट ने जिक्र किया कि यूजीसी के दिशा-निर्देशों में ईडब्ल्यूएस श्रेणी के लिए कोई प्रावधान नहीं है, जिसपर याचिकाकर्ता ने अपनी राहत केवल ओबीसी (गैर-क्रीमी लेयर) तक ही सीमित रखी. हालांकि, अदालत ने याचिकाकर्ता से कहा कि कोई भी विश्वविद्यालय यूजीसी के निर्देशों का पालन करने के लिए बाध्य है, इसलिए प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया जाता है.