नई दिल्लीः दिल्ली सरकार ने कहा है कि वो दिल्ली के विभिन्न स्थानों पर काम कर रहे बाल मजदूरों को छुड़ाने के लिए हरसंभव कोशिश करेगी. सरकार ने गुरुवार को दिल्ली हाईकोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करते हुए उठाए जाने वाले कदमों की जानकारी दी. सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की ओर से पेश वकील संतोष त्रिपाठी ने कहा कि हाईकोर्ट के पिछले आदेश पर अमल करते हुए दिल्ली सरकार ने याचिकाकर्ता और एसडीएम से बैठक कराई है.
त्रिपाठी ने कहा कि याचिकाकर्ता ने बाल श्रमिकों को जहां रखा गया है वहां का सही पता और पहचान उपलब्ध नहीं करा पाए. इस पर याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता से कभी कोई सूचना नहीं मांगी गई. याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट से बाल श्रमिकों को छुड़ाने के लिए एक टाइमलाइन फिक्स करने की मांग की. इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि इसका कोई तय फार्मूला नहीं है. हमें प्रशासन पर विश्वास करना होगा.
इसके पहले 15 जुलाई को हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया था. कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने दिल्ली सरकार के अलावा राजस्व विभाग, दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग, राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग को भी नोटिस जारी किया था. याचिकाकर्ता रोहताश ने एनजीओ सहयोग केयर फॉर यू नाम के काम का समर्थन करते हुए याचिका में कहा है कि उसने अब तक विभिन्न प्राधिकारों को इन बाल श्रमिकों को छुड़ाने के लिए 18 शिकायतें कर चुके हैं. ये बाल श्रमिक दिल्ली के विभिन्न स्थानों में काफी असुरक्षित वातावरण में काम करने को मजबूर हैं. उनसे बंधुआ मजदूरों की तरह 12-13 घंटे काम लिया जाता है.
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याचिकाकर्ता ने अपनी शिकायतों में 245 बच्चों और 772 किशोरों को छुड़ाने के लिए कहा था. कहा कि कानून के मुताबिक शिकायत मिलने के 24 से 48 घंटे के अंदर बच्चों को छुड़ाने का प्रावधान है, लेकिन अधिकारियों ने कोई कार्रवाई नहीं की. याचिका में कहा गया है कि इन बाल श्रमिकों में अधिकतर को तस्करी कर लाया गया है जो नियोक्ता के यहां ही रहते हैं और काम करते हैं. उन्हें खतरनाक परिस्थितियों में काम करने को मजबूर किया जाता है.