नई दिल्लीः राजधानी दिल्ली में बुधवार को सभी 70 विधानसभा सीटों पर मतदान हुआ. दिल्ली में कुल 13,766 मतदान केंद्र व 733 सहायक मतदान केंद्रों पर ईवीएम के जरिए मतदान हुए. इस बार ईवीएम पर 60.44 प्रतिशत मतदान हुआ, जबकि इस बार कुल मतदाता 1,56,14000 थे. इस बार अभी तक चुनाव आयोग ने मतदान का सही और पूरा डाटा नहीं जारी किया है. इससे चुनाव आयोग की भूमिका पर सवाल खड़े हो रहे हैं. वहीं, एग्जिट पोल में भाजपा की जीत बताई जा रही है. इसपर दिल्ली विधानसभा चुनाव को करीब से देखने व समझने वाले राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इन एग्जिट पोल पर बहुत ज्यादा भरोसा नहीं किया जा सकता है.
चुनाव आयोग की तरफ से 85 वर्ष से अधिक उम्र के वरिष्ठ नागरिकों और 40 प्रतिशत से अधिक दिव्यांग मतदाताओं को घर से मतदान करने की सुविधा दी गई थी. चुनाव आयोग में लगे पुलिसकर्मयों व अन्य कर्मचारियों को वीवीपैट से मतदान करने की सुविधा दी गई थी. 4 फरवरी तक उपरोक्त मतदान करा लिए गए थे, लेकिन इस तरीके से कितना प्रतिशत मतदान हुआ उसका आंकड़ा चुनाव आयोग की तरफ से नहीं दिया गया था. फिलहाल ईवीएम पर 60.44 प्रतिशत मतदान का डाटा चुनाव आयोग की तरफ से दिया गया है लेकिन अभी यह डाटा करीब में है. एक्चुवल डाटा नहीं है. एक दिन बाद तक मतदान का एक्चुवल डाटा न देने पर चुनाव आयोग की कार्यशैली पर लोग सवाल खड़े कर रहे हैं.
डाटा जारी करने में विलंब होने का कारण:राजनीतिक विश्लेषक एनके सिंह का कहना है कि दिल्ली में 60 प्रतिशत मतदान के अनुसार 90 लाख लोगों ने मतदान किया है. 90 लाख लोगों के मतदान का डाटा चुनाव आयोग नहीं दे पा रहा है. जबकि चुनाव आयोग 90 करोड़ लोगों का चुनाव एक साथ कराने, वन नेशन वन इलेक्शन की बात करता है. चुनाव आयोग की कार्यशैली संदिग्ध है. वहीं, राजनीतिक विश्लेषक मनोज झा का कहना है कि महाराष्ट्र में भी मतदान का डाटा जारी करने में चुनाव आयोग को देरी हुई थी. इससे चुनाव आयोग निंदा का पात्र बना था. इस बार ऐसा नहीं होना चाहिए था. हालांकि मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने पहले ही कहा था कि इस बार मतदान का डाटा जारी करने में विलंब इसलिए होआ है कि पूरे राज्य से डाटा आता है उसको जोड़ा जाता है इसके बाद सार्वजनिक किया जाता है.