नई दिल्लीःदिल्ली की यमुना नदी जो कभी इस शहर की जीवनरेखा मानी जाती थी, लेकिन आज प्रदूषण के सबसे बड़े उदाहरणों में से एक बन चुकी है. यमुना नदी के बढ़ते प्रदूषण ने दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में भी इस मुद्दे को केंद्र में ला दिया है. क्योंकि सरकारें सिर्फ यमुना नदी की सफाई का सिर्फ दावा करती हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर कुछ काम नहीं हुआ. विशेषज्ञ, पर्यावरणविद् और स्थानीय नागरिक सभी इसे एक गंभीर संकट मानते हैं. इस बार के दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी सभी राजनीतिक दल यमुना नदी के प्रदूषण और सफाई को लेकर अपने-अपने तरीके से भुनाने की कोशिश कर रहे हैं.
कड़े नियम लागू करना व जन जागरूकता:यमुना नदी का प्रदूषण दूर करने के लिए लोगों ने कहा कि ऐसी पॉलिसी बनाने की जरूरत है जिससे खुद-ब-खुद प्रदूषण दूर हो सके. साथ ही कड़े नियम लागू करना होगा, प्रदूषण फैलाने वाले कारखानों और घरों पर कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए. जन जागरूकता के तहत स्थानीय नागरिकों को यमुना को साफ रखने के लिए जागरूक करना और उनका सहयोग लेना अत्यंत महत्वपूर्ण है.
बदबू के कारण नदी के किनारे नहीं आते लोगःमिथुन कुमार ने कहा कि मैं निस्वार्थ भाव से यमुना की सेवा यानी उनकी सफाई करता हूं. इस विधानसभा चुनाव में यमुना नदी की सफाई बड़ा मुद्दा होना चाहिए. हमारी मांग है कि यमुना को साफ किया जाए. यमुना नदी जैसी पहले थी वैसी कर दी जाए. अन्य शहरों में नदी के किनारे पर्यटक घूमने के लिए आते हैं, लेकिन दिल्ली में यमुना नदी से बदबू आती रहती है. इससे लोग यहां पर घूमने के लिए नहीं आते हैं. बहुत से लोग यमुना की दुर्दशा देख साफ सफाई के लिए आते हैं लेकिन कुछ लोगों के चाहने से यमुना नहीं साफ हो सकती है. सरकार को इसके लिए बड़ा कदम उठाना पड़ेगा.