लखनऊ : उत्तर प्रदेश पावर काॅरपोरेशन ने पूर्वांचल और दक्षिणांचल में निजीकरण की राह पर कदम आगे बढ़ाए तो ऊर्जा संगठनों ने मुखर होकर विरोध करना शुरू कर दिया. अब तक देश भर के 11 राज्यों के ऊर्जा संगठनों ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर निजीकरण न करने की अपील की है. इसके साथ ही गुरुवार को उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा से उत्तर प्रदेश पावर ऑफिसर एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने मुलाकात की और किसी भी कीमत पर उत्तर प्रदेश में निजीकरण लागू न करने की मांग की. ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने कहा कि अभी इस मुद्दे पर बात करना जल्दबाजी है. जब मेरे सामने मसौदा आएगा तब बात होगी.
दक्षिणांचल और पूर्वांचल को पीपीपी मॉडल के तहत निजी क्षेत्र में दिए जाने के विरोध में गुरुवार को उत्तर प्रदेश पावर ऑफिसर एसोसिएशन के कार्यवाहक अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा के नेतृत्व में एक सात सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल ने ऊर्जा मंत्री एके शर्मा से मुलाकात की. प्रतिनिधि मंडल ने बताया कि सबसे पहले चुन-चुनकर दलित व पिछड़े वर्ग के अभियंता कार्मिकों को दक्षिणांचल व पूर्वाचल में भेजा गया. अब दोनों कंपनियों का निजीकरण किया जा रहा है. सबसे ज्यादा नुकसान इससे दलित व पिछड़े वर्गों सहित आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों का होगा, क्योंकि उनको मिलने वाला आरक्षण समाप्त हो जाएगा. स्वीकृत पद के अनुपात में अगर आरक्षण को निकाला जाए तो लगभग 16000 पदों पर आरक्षण की व्यवस्था समाप्त होगी, जो दलित व पिछड़े वर्गों के लिए काफी निराशाजनक होगा.